Pauri Garhwal Loksabha Constituency: आगामी लोकसभा चुनाव में उत्तराखंड की पौड़ी गढ़वाल लोकसभा सीट पर बीजेपी और कांग्रेस की कड़ी टक्कर होने की उम्मीद है. 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव में इस सीट पर बीजेपी का कब्जा रहा है. जानें इस बार क्या बन रहे हैं समीकरण?. क्या इस बार भी मोदी लहर इस सीट पर भारी पड़ सकती है?....
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Uttarakhand Loksabha Election 2024: देश में कुछ ही समय बाद लोकसभा चुनाव होने वाले हैं. लोकसभा सीटों की बात करें तो उत्तराखंड में अल्मोड़ा, नैनीताल, पौड़ी गढ़वाल, टिहरी गढ़वाल और हरिद्वार पांच लोकसभा सीटें हैं. लोकसभा चुनाव 2024 के लिए सभी दलों के द्वारा जमकर तैयारियां की जा रही हैं. आगामी लोकसभा चुनाव को लेकर सभी दलों ने तैयारियां भी शुरु कर दी है. प्रदेश की सभी लोकसभा सीटों के लिए कई उम्मीदवार सामने आ रहे हैं. वहीं अगर पौड़ी लोकसभा सीट की बात करें तो यहां सबसे ज्यादा उम्मीदवार सामने आ रहे हैं.
पौड़ी गढ़वाल लोकसभा सीट
पौड़ी गढ़वाल लोकसभा सीट उत्तराखंड के गढ़वाल मंडल में आती है. यहां से इस समय बीजेपी के तीरथ सिंह रावत सांसद हैं. तीरथ उत्तराखंड के मुख्यमंत्री भी रह चुके हैं. पौड़ी गढ़वाल लोकसभा सीट में 14 विधानसभा सीटें आती हैं. इनमें बदरीनाथ, थराली (अनुसूचित जाति), कर्णप्रयाग, केदारनाथ, रुद्रप्रयाग, देवप्रयाग, नरेंद्रनगर, यमकेश्वर, पौड़ी (अनुसूचित जाति), श्रीनगर, चैबट्टाखाल, लैंसडाउन, कोटद्वार और रामनगर सीटें आती हैं.
पौड़ी लोकसभा सीट का इतिहास
पहाड़ों में बसे पौड़ी गढ़वाल सीट पर अमूमन कांग्रेस और बीजेपी का कब्जा रहा है आजादी के बाद देश में पहली बार जब लोकसभा चुनाव हुए तो पौढ़ी गढ़वाल पर भी मतदान हुए 1952 से 1977 तक इस सीट पर लगातार कांग्रेस का कब्जा रहा 1952 से 1971 तक हुए चार लोक सभा चुनाव में कांग्रेस के भक्त दर्शन यहां से चुनाव जीतते रहे 1971 में जब पांचवीं लोकसभा के लिए चुनाव हुए तो कांग्रेस के प्रताप सिंह नेगी ने चुनाव जीता 1977 में इंदिरा गांधी के खिलाफ लहर के दौरान कांग्रेस को यहां हार का मुंह देखना पड़ा और जनता पार्टी के जगन्नाथ शर्मा चुनाव जीते 1980 में हुए लोकसभा चुनाव में यूपी के पूर्व सीएम हेमवती नंदन बहुगुणा को जीत मिली 1984 और 89 में चंद्र मोहन सिंह नेगी चुनाव जीते 1991 में जब देश में मंदिर आंदोलन का जोर था तो इस दौरान इस सीट पर बीजेपी ने बाजी मारी और भुवन चंद्र खंडूरी चुनाव जीते हालांकि 1996 में हुए लोकसभा चुनाव में इस सीट पर सतपाल महाराज को जीत मिली इसके बाद इस सीट पर लंबे समय तक बीजेपी का दबदबा कायम रहाण् पौड़ी सीट पर 1998, 1999 और 2004 में बीजेपी के बीसी खंडूरी जीतते रहे, 2007 में इस सीट पर उपचुनाव हुए तो बीजेपी के तेज पाल सिंह रावत चुनाव जीते 2009 में इस सीट पर बीजेपी से लोगों का मोहभंग हुआ और कांग्रेस के सतपाल महाराज ने जीत हासिल की.
कभी कांग्रेस से लिए थी सेफ सीट
2014 से पहले इस सीट को पारंपरिक रूप से कांग्रेस वर्चस्व वाली सीट माना जाता था. इस सीट पर 16 आम चुनाव और दो उप चुनाव हो चुके हैं. इनमें से कांग्रेस सात चुनाव जीती. जीत का यह सिलसिला 1984 लोकसभा चुनाव तक चला. भाजपा के तीरथ सिंह रावत वर्तमान में इस सीट पर सांसद हैं. 1982 के उपचुनाव में ये सीट पूरे देश की सियासत का केंद्र बनीं, जब एचएन बहुगुणा के इस्तीफा देने के बाद सीट खाली हो गई थी, उपचुनाव बहुगुणा बनाम इंदिरा बन गया था. इस सीट पर कांग्रेस प्रत्याशी को मात मिली. 2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के द्वारा भाजपा सांसद बीसी खंडूड़ी के पुत्र को कांग्रेस का उम्मीदवार बनाने के बाद यह सीट फिर हॉट हो गई थी.
आजादी के बाद पौड़ी गढ़वाल लोकसभा के सांसदों की सूची
चुनाव | सदस्य | पार्टी |
---|---|---|
1951-52 | भक्त दर्शन | कांग्रेस |
1957 | भक्त दर्शन | कांग्रेस |
1962 | भक्त दर्शन | कांग्रेस |
1967 | भक्त दर्शन | कांग्रेस |
1971 | प्रताप सिंह नेगी | कांग्रेस |
1977 | जगन्नाथ शर्मा | जनता पार्टी |
1980 | हेमवती नंदन बहुगुणा | कांग्रेस |
1982 (उपचुनाव) | हेमवती नंदन बहुगुणा | कांग्रेस |
1984 | चंद्र मोहन सिंह नेगी | कांग्रेस |
1989 | जनता दल | कांग्रेस |
1991 | भुवन चंद्र खंडूरी | BJP |
1996 | सतपाल महाराज | कांग्रेस |
1998 | भुवन चंद्र खंडूरी | BJP |
1999 | भुवन चंद्र खंडूरी | BJP |
2004 | भुवन चंद्र खंडूरी | BJP |
2008 (उपचुनाव) | तेजपाल सिंह रावत | BJP |
2009 | सतपाल महाराज | कांग्रेस |
2014 | भुवन चंद्र खंडूरी | BJP |
2019 | तीरथ सिंह रावत | BJP |
वर्ष | दल | वोट | प्रतिशत |
---|---|---|---|
2019 | भाजपा | 506,980/ 7,48,022 | 68.25 |
कांग्रेस | 2,04,311/ 7,48,022 | 27.51 | |
2014 | भाजपा | 405,690/ 6,82,024 | 59.48 |
कांग्रेस | 2,21,164/ 6,82,024 | 32.43 | |
2009 | भाजपा | 2,19,662/ 5,33,568 | 41.15 |
कांग्रेस | 2,36,949/ 5,33,568 | 44.41 | |
2004 | भाजपा | 2,57,726/ 5,03,240 | 51.21 |
कांग्रेस | 2,06,764/ 5,03,240 | 41.08 |
भौगोलिक क्षेत्र | प्रतिशत | मतदाता संख्या |
---|---|---|
ग्रामीण | 83.64% | 14,05,271 |
शहरी | 16.36% | 2,76,554 |
एससी | 18.76% | 3,15,728 |
एसटी | 1.13% | 18,972 |
कुल | 16,81,825 |
2014 लोकसभा
2014 के लोकसभा चुनाव में इस सीट पर 12, 69,083 मतदाता थे, पिछले आम चुनाव में यहां पुरुष मतदाताओं की संख्या 6 लाख 52 हजार 891 थीए जबकि महिला वोटर्स का आंकड़ा 6 लाख 16 हजार 192 था, यहां पर मतदान का प्रतिशत 53,74 रहा थाण् चुनाव आयोग के आंकड़ों के मुताबिक 2017 के विधान सभा चुनाव में में यहां मतदाताओं की संख्या बढ़कर लगभग 14 लाख हो गई थी. 2011 की जनगणना की बात करें तो यहां की आबादी 16 लाख 81 हजार 825 है.
2019 के लोकसभा में क्या थे समीकरण
2019 लोकसभा चुनाव से पहले इस सीट की हर कोई चर्चा कर रहा था. उस समय यहां से मौजूदा सांसद मेजर भुवन चंद्र खंडूरी की उम्र (84) होने की वजह से इस बार चुनाव नहीं लड़ने की खबरें थीं. NSA चीफ और पीएम मोदी से करीबी समझे जाने वाले अजित डोभाल के बेटे शौर्य डोभाल के इस सीट पर चुनाव लड़ने की जमकर चर्चा होने लगी थी. शौर्य डोभाल दिसंबर 2017 में भाजपा से जुड़े. इसके बाद उन्हें उत्तराखंड बीजेपी कार्यकारिणी समिति का सदस्य बनाया गया. शौर्य डोभाल के अलावा इस सीट से कर्नल अजय कोठियालए सतपाल महाराज की पत्नी अमृता प्रदेश बीजेपी के पूर्व अध्यक्ष तीरथ सिंह रावत और ऋतु खंडूरी भी रेस में थी.
लोकसभा 2024 के चुनावों की समीकरण
सूत्रों के अनुसार इस बार पौड़ी लोकसभा सीट पर जहां दो पूर्व मुख्यमंत्री दावेदार बताए जा रहे हैं, तो एक पूर्व सांसद भी दौड़ में शामिल है. जबकि एक राज्य सभा सांसद का नाम भी उम्मीदवारों की लिस्ट में चर्चा का विषय बना हुआ है. इसके साथ ही धामी कैबिनेट के दो मंत्रियों के नाम भी दावेदारी में बताए जा रहे हैं. 2014 के बाद पौड़ी लोकसभा सीट भाजपा के लिए मुफित मानी जाती है क्योंकि राज्य बनने बाद से यह सीट सिर्फ 1 बार कांग्रेस की झोली में गई है.
क्या कट सकता है तीरथ सिंह रावत का टिकट?
2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा के द्वारा तीरथ सिंह रावत को मैदान में उतारा गया और वो जीते. तीरथ सिंह रावत वर्तमान में पौड़ी लोकसभा सीट से ही संसद के रूप में प्रतिनिधित्व कर रहे हैं. लेकिन इस बार चर्चाओं है की पौड़ी लोकसभा सीट पर वर्तमान सांसद तीरथ सिंह रावत का टिकट कट सकता है. बीजेपी से अनिल बलूनी का दोबारा राज्यसभा ना भेजकर तीरथ सिंह रावत की मुश्किलें बढ़ा दी हैं.