Bahraich Lok Sabha Chunav 2024: उत्तर प्रदेश में 80 लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र है जिसमें से एक नेपाल के नेपालगंज और लखनऊ के बीच के रेलमार्ग पर स्थित बहराइच है. यूपी की राजधानी लखनऊ से यह जिला 125 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है. भगवान ब्रह्मा की धरती के रूप में जाना जाने वाला बहराइच का पुराना नाम भरराईच है जोकि भर/राजभर राजाओं के साम्राज्य के बीच फलाफूला. नेपाल के साथ होने वाले व्यापारिक गतिविधियों में कृषि उत्पाद व इमारती लकड़ी मुख्य हैं जोकि बहराइच के साथ की जाती है. लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र के तौर पर आइए इस सीट का हाल जानते हैं और इसके बारे में कई और जानकरियां हासिल करते हैं. 


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किसी एक पार्टी का कब्जा नहीं
यहां के महाराजा सुहेलदेव ने मुस्लिम धर्म प्रचारक सैय्यद सालार मसूद गाज़ी को हराया जिसके लिए उन्हें आज भी याद किया जाता है. राजनीतिक नजरिए से देखे तो बहराइच में 1952 से लेकर अब तक देश की कई बड़ी हस्तियों ने बहराइच लोकसभा सीट से सांसदी का चुनाव लड़ा है. हिन्दू और मुस्लिम वीरों की धरती बहराइच यूपी के तराई में स्थित है जहां के संसदीय सीट पर 1998 के चुनाव से ही कभी किसी एक पार्टी ने अपना कब्जा नहीं जमाया. वैसे, बहराइच सीट पर 1989 से लेकर 1996 तक बीजेपी जीतती रही पर बाद के समय में बीजेपी, बीएसपी, सपा व कांग्रेस एक दूसरे से हारते जीतते रहे. 


कुल पांच विधानसभा  सीट 
कुल पांच विधानसभा क्षेत्रों वाले लोकसभा बहराइच में  बलहा सुरक्षित, नानपारा, मटेरा, महसी, बहराइच सदर सीट हैं. 4 सीटों पर बीजेपी के उम्मीदवार की जीत हुई, ये उम्मीदवार हैं- सरोज सोनकर, बहराइच सदर से अनुपमा जयसवाल, महसी से भाजपा के सुरेश्वर सिंह, नानपारा से अपना दल - (सोनेलाल) राम निवास वर्मा और मटेरा से समाजवादी पार्टी की मारिया ने जीत दर्ज की. 


मतदाताओं का लेखाजोखा
17 बार हुए लोकसभा चुनाव में कांग्रेस का ही बहराइच सीट पर सबसे अधिक समय तक परचम लहरा. यहां से 6 बार कांग्रेस ने अपना प्रतिनिधित्व कायम किया और पांच बार बीजेपी की जीच हुई. अब 18वीं लोकसभा चुनाव में बीजेपी कांग्रेस की बराबरी करना चाहेगी और छटी बार विजयी का परचम लहराना चाहेगी. बहराइच लोकसभा अनुसूचित जाति के लिए साल 2009 में सुरक्षित कर दी गई तब से ही बड़े चेहरों के लिए सीट दूर की बात हो गई. 
बहराइच सुरक्षित लोकसभा क्षेत्र 56 में 24 लाख 65 हज़ार 344 कुल मतदाता हैं, जिसमें पुरुष मतदाता- कुल 13 लाख 10 हज़ार 867
महिला मतदाता- कुल  11 लाख 54 हज़ार 318, अन्य की मतदाता संख्या कुल 159 है. हिन्दू मुस्लिम मतदाता का अनुपात 60 और 40 का है.


पार्टियों द्वारा कराए गए सर्वे के मुताबिक लोकसभा बहराइच का ये रहा जातिगत मतदाता
कुल मुस्लिम मतदाता की संख्या लगभग 5 लाख 22 हज़ार
कुल ब्राह्मण मतदाता की संख्या लगभग 2 लाख 95 हज़ार
कुल दलित मतदाता की संख्या लगभग 4 लाख 16 हज़ार
कुल क्षत्रीय मतदाता की संख्या लगभग 1 लाख 12 हज़ार
कुल कुर्मी मतदाता की संख्या लगभग 2 लाख 21 हज़ार
कुल कायस्थ मतदाता की संख्या लगभग 2 लाख 87 हज़ार
कुल यादव मतदाता की संख्या लगभग 2 लाख 15 हज़ार
अन्य पिछड़ा मतदाता की संख्या लगभग 3 लाख 93 हज़ार (इसमें कहांर, नाई, भुरजी, लोहार, बढ़ई, मल्लाह सहित कई निचली जातियां शामिल हैं।)


चुनावी समीकरण और जीत-हार 
एक समय था जब इस लोकसभा सीट से रुद्रसेन चौधरी-पद्मसेन चौधरी ने अपना प्रतिनिधित्व कायम किया था और आरिफ मोहम्मद खान ने भी यहां का प्रतिनिधित्व किया. साल 2004 के आने तक यहां से डॉ. वकार अहमद शाह अल्पसंख्यक नेता के रूप में अपनी पहचान बनाने में कामयाब रहे थे और साल 2004 में यहां से संसदीय चुनाव उनकी पत्नी रूवाब सईदा ने लड़कर जीत अपने नाम किया. वहीं डॉ. वकार अहमद शाह ने बहराइच की विधानसभा सीट से पांच बार जीत हासिल की. 2019 के लोकसभा चुनाव में अक्षयवर लाल जोकि बीजेपी के प्रत्याशी रहे उन्होंने बहराइच लोकसभा सीट से जीत हासिल की. सर्वाधिक 525982 वोट अक्षयवर ने हासिल की. सपा के शब्बीर मलिक को उन्होंने 39723 वोट से मात दिया था. उनके पहले की स्थिति की बात करें तो बीजेपी से ही सांसद रहीं सावित्री बाई फुले को कांग्रेस उम्मीदवार के रूप में केवल 34454 वोट मिल सके. 


सावित्री बाई फुले की बगावत 
साल-2014 के चुनाव में बीजेपी की उम्मीदवार सावित्री बाई फुले इसी क्षेत्र से थीं जिसमें उन्हें 432392 वोट मिले थे, तब सपा के शब्बीर अहमद को उन्होंने 95645 वोट से मात दी थी. उस चुनाव में 3,36,747 वोट शब्बीर वाल्मीकि को मिले थे. बीएसपी उम्मीदवार डॉ विजय कुमार ने इस चुनाव में 96,904 पाए. उस साल 15 साल बाद ऐसा हुआ था कि बहराइच में बीजेपी को जीत मिली थी. साल 2019 के चुनाव में बीजेपी ने अक्षयवर लाल को उम्मीदवारी दी तो सावित्री बाई फुले को ये रास नहीं आया और उन्होंने कांग्रेस ज्वाइन कर लिया जहां वो टिकट पा गईं लेकिन हार का सामना करना पड़ा.


बहराइच लोकसभा से जीते लोगों की लिस्ट
1952 में रफ़ी अहमद क़िदवई जोकि भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी से रहे.
1957 में जोगिन्दर सिंह जोकि भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी से रहे.
1962 में कुंवर राम सिंह जोकि स्वतंत्र पार्टी पार्टी से रहे.
1967 में के.के. नायर जोकि भारतीय जन संघ पार्टी से रहे.
1971 में बदलु राम शुक्ला जोकि भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी से रहे.
1977 में ओम प्रकाश त्यागी जोकि भारतीय लोकदल पार्टी से रहे.
1980 में मौलाना सैय्यद मुजफ्फर हुसैन जोकि भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (इंदिरा) पार्टी से रहे.
1984 में आरिफ मोहम्मद खान जोकि भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी से रहे.
1989 में आरिफ़ मोहम्मद ख़ान जोकि जनता दल पार्टी से रहे.
1991 में रुद्रसेन चौधरी जोकि भारतीय जनता पार्टी पार्टी से रहे.
1996 में पदमसेन चौधरी जोकि भारतीय जनता पार्टी पार्टी से रहे.
1998 में आरिफ़ मोहम्मद ख़ान जोकि बहुजन समाज पार्टी पार्टी से रहे.
1999 में पदमसेन चौधरी जोकि भारतीय जनता पार्टी पार्टी से रहे.
2004 में रुबाब सईदा जोकि समाजवादी पार्टी पार्टी से रहे.
2009 में कमल किशोर जोकि भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी से रहे.
2014 में सावित्री बाई फुले जोकि भारतीय जनता पार्टी (2 मार्च 2019 के बाद से वह भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में शामिल हो गईं)
2019 में अक्षयवर लाल जोकि भारतीय जनता पार्टी


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