UP Lok Sabha Chunav 2024: लोकसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान भले न हुआ हो लेकिन सियासी उठापटक तेज हो गई है. दलितों की राजधानी कहे जाने वाले आगरा में आज बीजेपी का अनुसूचित वर्ग महासम्मेलन हुआ. जिसमें मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा शामिल हुए. अनुसूचित वर्ग महासम्मेलन के जरिए बीजेपी ने दलित वोटरों को साधने की कोशिश की. साथ ही अनुसूचित जाति के लिए सरकार द्वारा किए जा रहे कार्यों और योजनाओं का जिक्र कर विपक्षी दलों पर निशाना साधा. 


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क्यों जरूरी हैं दलित वोटर
कहा जाता है कि दलित मतदाता जिस दल का हाथ थामते हैं, चुनाव में उसका बेड़ा पार हो जाता है. दलित वोटर भले साइलेंट हो लेकिन यह निर्णायक भूमिका निभाता है. 2012 के बाद से बसपा की पकड़ दलित मतदाताओं पर कमजोर पड़ी है. जिसे साधने के लिए सभी राजनैतिक दल जुटे हैं. पीडीए (पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक) के फॉर्मूले पर लोकसभा चुनाव लड़ने जा रही सपा की काट ढूंढने के लिए अब बीजेपी दलित मतदाताओं को साध रही है. 


यूपी में 21 फीसदी से ज्यादा हैं दलित वोटर
आंकड़ों की बात करें तो यूपी में दलित वोटरों की संख्या करीब 21.1 प्रतिशत है, जो जाटव और गैर जाटव में बंटा है. दलित मतदाताओं में जाटव वोटरों की संख्या 11.70 फीसदी है. एक समय यह बसपा का वोट बैक माना जाता था. इसके अलावा 3.3 प्रतिशत पासी, बाल्मीकी 3.15 प्रतिशत, धानुक, गोंड और खटीक 1.05 प्रतिशत हैं जबकि अन्य दलित जातियां भी 1.57 प्रतिशत हैं.


लोकसभा के आंकड़े
आगरा और इसके आसपास के जिले में दलित वोटरों की खास भूमिका है. वहीं पूरब से लेकर पश्चिमी यूपी की कई सीटों पर दलित वोटर मुख्य भूमिका में हैं. यूपी में 17 लोकसभा सीटें आरक्षित हैं. बीते लोकसभा चुनाव की बात करें तो 2014 में बीजेपी के खाते में सभी 17 दलित सीटें गई थीं. वहीं 2019 के चुनाव में बीजेपी को 15 सीटों पर सफलता मिली थी जबकि दो सीटें बसपा ने जीती थीं. 


बीजेपी अध्यक्ष अध्यक्ष जेपी नड्डा ने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि संविधान की रचना करने वाले बाबा साहब भीमराव अंबेडकर की उपेक्षा की गई, उनको दरकिनार रखा गया, उनके योगदान को कम आंका गया. उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने अपने शासनकाल में हमारे दलित भाइयों को, अनुसूचित जाति के भाइयों को कभी भी मानवता और इंसानियत की दृष्टि से नहीं देखा. जब उन्होंने देखा तो वोटबैंक की राजनीति को ध्यान में रखकर देखा. इनकी सरकार में संविधान की रचना करने वाले बाबा साहब भीमराव अंबेडकर की उपेक्षा की गई, उनको दरकिनार रखा गया, उनके योगदान को कम आंका गया. यही कांग्रेस का चरित्र है, यही इनका इतिहास है.


सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा कि पहली बार ऐसा हुआ कि एयरपोर्ट का नाम महर्षि वाल्मीकि पर रखा गया. काशी में संत रविदास की जन्मभूमि की पावन भूमि के विवाद को लेकर पिछली सरकार कुछ नहीं कर पा रही थी. पीएम मोदी ने 25 फीट ऊंची प्रतिमा की स्थापना कर दी है. म्यूजिक पार्क का निर्माण कर दिया है. अब पावन धरा पर जाने के लिए फोर लेन की सड़क बना दी गई है.उन्होंने कहा कि हमने सबको अधिकार देने का काम किया. वंचित की आवाज मजबूत कर दी गई. एक दिन पहले ही आगरा को मेट्रो की सौगात दी गई है. एक स्टेशन का नाम बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर के नाम पर रखा गया.


जब लोहिया के सामने इंदिरा की चमक हुई फीकी,फर्रुखाबाद के चुनाव में जनता ने सादगी चुनी


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