फैजाबाद: इसी साल यानी 2024 में जल्दी ही लोकसभा चुनाव होने वाली है जिसे लेकर अलग-अलग पार्टियों की तैयारियां जोरों पर हैं. इस आम चुनाव पर अयोध्‍या के नव निर्मित और भव्य राम मंदिर का काफी असर देखने को मिल सकता है. ऐसे में फैजाबाद लोकसभा सीट इस चुनावी रण में एक महत्वपूर्ण भूमिका में रहने वाला है. फैजाबाद लोकसभा सीट पर मौजूदा समय में बीजेपी संसद लल्लू सिंह का कब्जा है. आइए फैजाबाद लोकसभा सीट का पूरा हाल इस लेख में जान लेते हैं. 

 

साल 2019 में 17वीं लोकसभा का चुनाव हुआ जिसमें सपा प्रत्याशी आनंद सेन यादव को हराकर 65,477 के अंतर से बीजेपी प्रत्‍याशी लल्लू सिंह ने जीत हासिल की थी. लल्लू सिंह को कुल 5, 29021 वोट, वहीं सपा के आनंद सेन यादव को केवल 4,63544 वोट व कांग्रेस से निर्मल खत्री ने 53,386 वोट हासिल हुए.  कुल 10,87420 मतदाताओं ने अपने अधिकार का इस्तेमाल किया. साल 1991 से 2007 तक लगातार पांच बार लल्‍लू सिंह अयोध्या विधानसभा संख्या 275 से विधायकी जीतते रहे. लल्लू सिंह को मुख्य चेहरे के रूप में देखा जा सकता है. लल्लू सिंह ने एम.ए., एल.एल.बी. साकेत पीजी कॉलेज, अयोध्या के साथ ही डॉ राममनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय अयोध्या से अपनी शिक्षा पूरी की है. अयोध्‍या व फैजाबाद का क्षेत्र फैजाबाद लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र में आता है. फैजाबाद लोकसभा सीट राम मंदिर और बाबरी मस्जिद विवाद के कारण हमेशा चर्चा में रही है. योगी आदित्‍यनाथ की सरकार के द्वारा एक बड़ा कदम उठाते हुए फैजाबाद जिले को साल 2018 में छोटी दीपावली के दिन अयोध्‍या नाम दे दिया गया. फैजाबाद लोकसभा से बीजेपी ने लल्लू सिंह को तीसरी बार टिकट दिया है.

 

इस संसदीय क्षेत्र की बात करें तो यहां पर विधानसभा सीटें इस तरह है- 

गोसाईगंज, रुदौली

मिल्‍कीपुर, बीकापुर

अयोध्‍या कुल पांच व‍िधानसभा सीट

 

जनपद अयोध्या में 1 लोकसभा क्षेत्र तथा 5 विधानसभा क्षेत्र हैं –

लोकसभा क्षेत्र विधानसभा क्षेत्र

54 फैजाबाद 270 दरियाबाद

54 फैजाबाद 271 रुदौली

54 फैजाबाद 273 मिल्कीपुर

54 फैजाबाद 274 बीकापुर

54 फैजाबाद 275 अयोध्या

 

यूपी में समाजवादी पार्टी ने वैसे तो अपनी पहली लिस्ट लोकसभा चुनाव 2024 के लिए जारी कर दी है लेकिन चुनावी समीकरणों का तब तक पता नहीं चल पाएगा जब तक सभी पार्टियां अपने उम्मीदवार मैदान में उतार न दें. सपा की लिस्ट की बात करें तो उनसे अपने 16 उम्मीदवारों के नाम निकाले हैं जिनमें फैजाबाद से उतारे गए उम्मीदवार अवधेश प्रसाद का नाम भी है. 

 

सपा की पहली लिस्ट में मुलायम सिंह के करीबी

अयोध्या फैजाबाद लोकसभा क्षेत्र में आता है और अयोध्या में 22 जनवरी 2024 को रामलला का प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम हुआ. पूरे देश का माहौल राममय है ऐसे में सपा ने अपने वरिष्ठ नेता व मुलायम सिंह के करीबी माने जाते रहे अवधेश प्रसाद को यहां उतारा है. नौ बार के विधायक और दलित समाज से आने वाले अवधेश सपा की स्थापना के समय पार्टी से जुड़े, फैजाबाद और आपसाप के इलाकों में अच्छी पकड़ बना चुके हैं. जहां दलित समाज का बहुत वोट बैंक है. अवधेश प्रसाद को अखिलेश यादव ने पार्टी के भीतर एक दलित चेहरे के तौर पर आगे बढ़ाया है. वे पहले बसपा में थे और हाल के दिनों में ही सपा का दामन उन्होंने थामा लिया. अवधेश प्रसाद खुद पांच बार कैबिनेट में मंत्री और नौ बार के मिल्कीपुर सुरक्षित सीट से सपा विधायक रहे हैं.

 

सामाजिक ताना-बाना और लोकसभा सीट 

फैजाबाद से बीजेपी के लल्लू सिंह दो दफा सांसद रहें है. हालांकि, साल 2009 में कांग्रेस व 2004 में बसपा ने इस सीट पर जीत हासिल की. ध्यान देने वाली बात है कि भगवान श्रीराम, राममनोहर लोहिया, कुंवर नारायण के साथ ही राम प्रकाश द्विवेदी का यह जन्मस्थान है. फैजाबाद लोकसभा क्षेत्र के विधानसभा पांच सीट में से एक मिल्कीपुर सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है और फैजाबाद लोकसभा क्षेत्र की आबादी में हिंदू 84 प्रतिशत और मुस्लिम 14 प्रतिशत की संख्या में हैं. 

 

कैसे बदल जाता है माहौल

अयोध्या में मतदान से करीब दो-तीन दिन पहले ही माहौल बहुत तेजी से पलट जाता है. पिछले दो दशक से इसी तरह के बदलाव देखे जा रहे हैं. यहीं नहीं, मतदान से एक-दो दिन पहले ही अयोध्या के घरों में प्रसाद के तौर पर लड्डू भी पहुंचा दिए जाते हैं.  अयोध्या के महत्व को बीजेपी तो महसूस हमेशा से करती रही है लेकिन यहां पर कांग्रेस नेतृत्व भी सक्रिय हो जाता है. हालांकि, भव्य राम मंदिर के निर्माण के बाद यहां के माहौल में बहुत कुछ बदलाव महसूस किया जा सकता है. यहां पर महौल पूरी तरह से राममय हो गया है जिसका असर पूरी तरह से लोकसभा चुनाव पर दिखेगा. 

 

1957 में पहली दफा हुआ चुनाव, कांग्रेस 7 बार जीती

फैजाबाद लोकसभा सीट 1957 में अस्तित्व में आया जहां से कांग्रेस सात बार जीती, भीजेपी चार बार और सपा, बसपा, भाकपा के अलावा भारतीय लोकदल एक-एक दफा जीती. साल 1957 के चुनाव में इस सीट से राजाराम मिश्र ने जीत हासिल की और फिर कांग्रेस 1971 तक चार दफा जीती. साल 1977 में भारतीय लोकदल के अनंतराम जायसवाल जीते और साल 1980 और 1984 में कांग्रेस के पाले में जीत रही. कम्युनिस्ट पार्टी के मित्रसेन साल 1989 में सांसद रहे. 1991 में बीजेपी के विनय कटियार यहां से सांसद रहे और वही साल 1996 व 1998 में भी जीतते रहे. वैसे, 1998 में सपा के हाथों उन्होंने हार हासिल की. साल 2004 में बीएसपी से मित्रसेन यादव ने जीत अपने नाम की थी. साल 2009 में कांग्रेस से निर्मल खत्री की जीत हालिस की. 

 

2014 का आंकड़ा

2014 के चुनाव में भी बीजेपी उम्‍मीदवार लल्लू सिंह विजयी हुए और उन्होंने कुल 4,91,761 (49%) वोट हासिल किए. उन्‍होंने 2,82,775 वोटों के अंतर से तब सपा के उम्‍मीदवार मित्रसेन यादव को मात दी थी. कुल 2,08,986 (21%) वोट मित्रसेन यादव ने हासिल किए और बसपा उम्‍मीदवार जितेंद्र कुमार सिंह (बबलू भईया) 1,41,827 (13.87%) वोट किए. कांग्रेस प्रत्‍याशी निर्मल खत्री को इस चुनाव में केवल 1,29,917 (12.7%) वोट मिले थे।

 

क्‍या विपक्षी एकता और सरकार 

फैजाबाद लोकसभा सीट से बीजेपी ने 2014 और 2019 लगातार दो आम चुनाव जीते. 2014 में सपा और बसपा ने अलग-अलग चुनाव लड़े और 21 प्रतिशत सपा को, 13.87 प्रतिशत बसपा को और 12.7% वोट कांग्रेस को मिले. साल 2019 में जब सपा-बसपा ने साथ चुनाव लड़ा जिसमें  एक होकर चुनाव लड़ा तो गठबंधन के उम्‍मीदवार को कुल 43% वोट पाए. 

 

अब 2024 के रण के लिए बीजेपी, सपा और बसपा के साथ ही कांग्रेस भी तैयार हैं. अखिलेश यादव कांग्रेस के साथ छोटे-बड़े दलों को मिलाकर विपक्षी को मजबूती देने में जुटे हैं. अभी बसपा ने खुद को इससे अलग किया है. 2019 में अकेले दम पर 49 प्रतिशत वोट हासिल कर चुकी बीजेपी के बात इस बार भव्य राममंदिर व राष्‍ट्रवाद के जैसे भारी टॉपिक भी है.