Exit Poll 2024 : यूपी समेत देशभर में आम चुनाव हो रहे हैं. पांच चरणों में मतदान संपन्‍न हो चुके हैं. दो ही चरणों में मतदान बाकी है. वोटिंग खत्‍म होने के बाद रिजल्‍ट को लेकर बेसब्री से इंतजार रहता है. ऐसे में सबकी नजरें एग्जिट पोल पर टिकी रहती हैं. लेकिन क्‍या आपको पता है कि देश में एग्जिट पोल की शुरुआत कब हुई थी?, कब-कब एग्जिट पोल ने चौंकाने वाले रिजल्‍ट दिए. वहीं कब एग्जिट पोल गलत साबित हुआ?. तो आइये जानते हैं एग्जिट पोल से जुड़ी रोचक कहानी.   


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भारत में एग्जिट पोल की शुरुआत 
जानकारी के मुताबिक, भारत में एग्जिट पोल की शुरुआत 1996 में हुई थी. इसे सेंटर फॉर द स्टडी ऑफ डेवलपिंग सोसाइटीज ने किया था. देश के पहले एग्जिट पोल में अनुमान लगाया था कि बीजेपी लोकसभा चुनाव जीतेगी. लोकसभा चुनाव के रिजल्‍ट आए तो बीजेपी ने जीत दर्ज की. इसके बाद से एग्जिट पोल का चलन बढ़ता गया. साल 1998 में पहली बार किसी निजी न्यूज चैनल ने एग्जिट पोल का प्रसारण किया. 


एग्जिट पोल कब किए जाते हैं?
एग्जिट पोल को लेकर मन में सवाल आता होगा कि आखिर कब किया जाता है. तो बता दें कि एग्जिट पोल मतदान के दिन ही किए जाते हैं. मतदान के बाद मतदान केंद्रों के बाहर मतदाताओं से पूछा जाता है कि उन्होंने किस पार्टी या प्रत्याशी को वोट दिया. उनके जवाबों से आंकड़ों का विश्‍लेषण कर नतीजे निकाले जाते हैं. अधिकांश बार देखा गया है कि पहले चरण का मतदान होने के बाद एग्जिट पोल किए जाते हैं. 


क्‍या होता है एग्जिट पोल?
एग्जिट पोल एक तरह का चुनावी सर्वे होता है. इसमें मतदान करके बाहर निकले मतदाताओं से पूछा जाता है कि उन्होंने किस पार्टी या प्रत्याशी को वोट दिया है, इस तरह से प्राप्त आंकड़ों का विश्लेषण करके यह अनुमान लगाया जाता है कि चुनावी नतीजे क्या होंगे. भारत में चुनाव आयोग ने एग्जिट पोल के परिणामों को मतदान के दिन प्रसारित करने पर प्रतिबंध लगा रखा है. 


भारत में कौन जनक? 
भारत में चुनावी सर्वे का जनक भारतीय जनमत संस्थान (इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ पब्लिक ओपिनियन) के प्रमुख एरिक डी कोस्टा को माना जाता है. भारत में शुरुआत में पत्रिकाओं में एग्जिट पोल प्रकाशित होते थे. इसके बाद 1998 में पहली बार टीवी चैनल पर भी प्रसारित किया गया. 


एग्जिट पोल प्रकाशित करने का नियम
चुनाव आयोग की ओर से 1999 में ओपिनियन पोल और एग्जिट पोल पर प्रतिबंध लगा दिया गया था. इसके बाद एक समाचार पत्र ने इसका विरोध किया और कोर्ट में चुनौती दे दी. इसके बाद कोर्ट ने इस पर लगे प्रतिबंध को हटा लिया था. इसके बाद यह नियम लागू किया गया कि जब तक चुनावी प्रक्रिया का अंतिम वोट न डल जाए किसी भी चुनावी सर्वे को न तो दिखाया जा सकता है और न ही प्रकाशित किया जा सकता है. 


ओपिनियन पोल क्‍या होता है?
ओपिनियन पोल चुनाव से पहले किए जाते हैं. इनमें सभी लोगों को शामिल किया जा सकता है, भले ही वो वोटर हों या नहीं. इनमें आमतौर पर यह पूछा जाता है कि लोग किस पार्टी या प्रत्याशी को वोट देने की योजना बना रहे हैं. एग्जिट पोल और ओपिनियन पोल दोनों ही उपयोगी उपकरण हो सकते हैं, लेकिन इनकी सीमाएं भी हैं. हालांकि दोनों हमेशा सटीक साबित नहीं होते.  


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