यूपी में 75 पार या 55-60 पर अटक जाएगी भाजपा, फलोदी के बाद कानपुर सट्टा बाजार ने बताया-वीआईपी सीटों का हाल
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यूपी में 75 पार या 55-60 पर अटक जाएगी भाजपा, फलोदी के बाद कानपुर सट्टा बाजार ने बताया-वीआईपी सीटों का हाल

Lok Sabha Chunav 2024:  राजनैतिक दल और सियासी जानकारों से लेकर सट्टा बाजार तक जीत-हार का अनुमान लगाने में जुटे हैं. राजस्थान के फलोदी सट्टा बाजार के बाद कानपुर सट्टा बाजार का गणित सामने आया है. 

यूपी में 75 पार या 55-60 पर अटक जाएगी भाजपा, फलोदी के बाद कानपुर सट्टा बाजार ने बताया-वीआईपी सीटों का हाल

Lok Sabha Chunav 2024: लोकसभा चुनाव के पांच चरणों का मतदान हो चुका है. अब केवल दो चरणों का ही चुनाव बाकी है, राजनैतिक दल और सियासी जानकारों से लेकर सट्टा बाजार तक जीत-हार का अनुमान लगाने में जुटे हैं. राजस्थान के फलोदी सट्टा बाजार के बाद कानपुर सट्टा बाजार का गणित सामने आया है.

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बीजेपी को कितनी सीटें?
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक लोकसभा चुनाव को लेकर कानपुर के सट्टा बाजार का भाव तेजी से चढ़ रहा है. यहां बीजेपी को बड़ी बढ़त का दावा किया जा रहा है. इसने उत्तर प्रदेश की 80 में से 70 सीटों को बीजेपी के खाते में जाता हुआ दिखाया है.  लेकिन दिलचस्प बात यह है कि कई ऐसी सीटें हैं, जहां सबसे ज्यादा बीजेपी और इंडिया गठबंधन में कड़ी टक्कर मानी जा रही है. 

इन सीटों पर सबसे ज्यादा लग रहा सट्टा
कानपुर सट्टा बाजार में रायबरेली, अमेठी, मैनपुरी, कन्नौज और आजमगढ़ लोकसभा सीट पर तेजी से भाव चढ़ रहा है. इन पर सबसे ज्यादा सट्टा लगाया जा रहा है. बता दें कि रायबरेली से कांग्रेस नेता राहुल गांधी, अमेठी से बीजेपी की स्मृति ईरानी, मैनपुरी से सपा की डिंपल यादव, कन्नौज से सपा प्रमुख अखिलेश यादव और आजमगढ़ से सपा के धर्मेंद्र यादव और  बीजेपी के दिनेश लाल यादव निरहुआ के बीच कड़ा मुकाबला है. 

बता दें कि पांच चरण के चुनाव के बाद फलोदी सट्टा बाजार के मुताबिक बीजेपी 300 सीटें (13 मई 2024 तक) जीत सकती है, जबकि कांग्रेस को 40-42 सीटें मिल सकती हैं,  यूपी में भी कम मतदान के कारण भाजपा को घाटा हो सकता है. बीजेपी को 80 में से करीब 62 से 65 सीटों की संभावना सट्टा बाजार ने जताई है. 

फलोदी सट्टा बाजार काफी पुराना है, जहां चुनाव से लेकर कई चीजों को लेकर सट्टा लगाया जाता है. सट्टा बाजाार में सीटों को लेकर होने वाले सौदों का अपना गणित है. राजनैतिक दलों और प्रत्याशियों की जीत के भाव अलग-अलग कारणों के चलते बदलते रहते हैं. चुनाव में हार-जीत के आकलन प्रत्याशी का चेहरा, समर्थकों की चुनावी सभा में भीड़ और जातीय सहयोग के साथ पार्टी के ओहदे को ध्यान में रखते हुए भाव तय किए जाते हैं.

Disclaimer : यहां पर दी गई जानकारी अलग-अलग माध्यमों जैसे-अखबार,मीडिया रिपोर्ट्स और सट्टा बाजारों के जानकारों के माध्यम से दी गई है. सट्टा बाजार को किसी भी प्रकार से प्रोत्साहित करना हमारा उद्देश्य नहीं है.

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