UP Politics: बांदा में भी बगावत, स्वामी-सलीम शेरवानी के बाद एक और सपा नेता ने अखिलेश के खिलाफ मोर्चा खोला
Lok Sabha Election 2024: समाजवादी पार्टी और अखिलेश यादव के लिए इन दिनों कुछ भी अच्छा नहीं चल रहा है. पार्टी के अंदर उन्हें लेकर काफी नाराजगी देखने को मिल रही है. जानें क्यों उनकी पार्टी के पूर्व विधायक ने उन्हें `लायक बाप का नालायक बेटा` कहा?....
अतुल मिश्रा/ बांदा: उत्तर प्रदेश के तिंदवारी विधान सभा के पूर्व विधायक और सपा के पूर्व नेता बृजेश प्रजापति ने अखिलेश यादव को बताया "लायक बाप का नालायक बेटा" और समाजवादी पार्टी (सपा) की प्राथमिक सदस्यता से भी इस्तीफा दे दिया है. प्रजापति ने अपने ही नेता अखिलेश यादव पर कई आरोप लगाए. उन्होंने कहा कि सपा के द्वारा बहुजन को बढ़ाने का कोई कार्य नहीं किया गया. मायावती भी मिशन से भटक गईं हैं, इसलिए नई पार्टी बनाकर जनता को नया ऑप्शन देंगे. उन्ंहोंने कहा कि सपा को वोट देने वाले आधे वोटर हमारे हैं.
पूर्व विधायक बृजेश प्रजापति ने दिया इस्तीफा
स्वामी प्रसाद मौर्य के नक्शे कदम पर चलते हुए सपा के पूर्व विधायक बृजेश प्रजापति ने समाजवादी पार्टी की प्राथमिक सदस्य से इस्तीफा दे दिया है. स्वामी प्रसाद मौर्य, सलीम शेरवानी के बाद अब दो दिन पहले सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव को उपेक्षा किए जाने का पत्र भेजने वाले पूर्व विधायक बृजेश प्रजापति स्वामी प्रसाद मौर्य खेमे के हैं. उन्होंने साथ मिलकर नई पार्टी बनाने की बात की.
बृजेश प्रजापति ने जानकारी देते हुए बताया कि 14 जनवरी 2022 को उन्होंने समाजवादी पार्टी ज्वाइन की थी. तब हमें उम्मीद थी कि समाजवादी पार्टी हमारे सपनों को पूरा करेगी. पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष पीडीए की बात तो करते हैं, लेकिन काम नहीं करते हैं. इस संबंध में कई बार जब उनसे मुलाकात हुई, तब उन्हें समझाने की कोशिश की गई, लेकिन उनके समझ में नहीं आया. चार-पांच दिन पहले मैंने इस सिलसिले में पार्टी मुखिया को पत्र भी लिखा था, फिर भी उनके समझ में नहीं आया. इसलिए मजबूर होकर मैंने पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा देने का निर्णय लिया.
आधी सपा टूट की कगार पर
सपा के पूर्व विधायक बृजेश प्रजापति ने आगे कहा कि इस समय पार्टी 50 प्रतिशत टूट की कगार पर है. पार्टी के विधायक और पार्टी के सीनियर नेता हमारे संपर्क में हैं. इस सिलसिले में 22 फरवरी को दिल्ली में होने वाली सभा में नई रणनीति बनाई जाएगी. उन्होंने बताया कि इस समय मनुवादी ताकते हावी हैं, इनसे निपटने के लिए एक ही दवा है अंबेडकरवाद. बसपा और सपा में बड़ी संख्या में नेता अंबेडकरवादी विचारधारा के हैं, वह भी पार्टी छोड़ना चाहते हैं. हालांकि उनके लिए कोई विकल्प नहीं मिल रहा है. नई पार्टी में अंबेडकरवादी विचारधारा के लोग शामिल होंगे.