UP Hardoi Lok Sabha Chunav 2024: कांग्रेस का गढ़ रहा हरदोई कैसे बना बीजेपी का मजबूत किला, क्या मोदी लहर में दोबारा चल पाएगी साइकिल
Hardoi Lok Sabha Chunav 2024: हरदोई लोकसभा सीट की बात करें तो यह आजादी के बाद से ही अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित रही है. आइए जानते हैं इस सीट के सियासी समीकरण क्या रहे हैं.
Hardoi Lok Sabha Chunav 2024: यूपी की राजधानी लखनऊ से सटा हरदोई जिला प्रदेश की सियासत में खास पहचान रखता है. यहां 8 विधानसभा क्षेत्र और 2 संसदीय क्षेत्र हैं. हरदोई लोकसभा क्षेत्र में 5 विधानसभा सीटें हैं जबकि मिश्रिख में 3 सीटें हैं. मौजूदा समय में जिले से दो विधायक योगी सरकार में मंत्री हैं. हरदोई लोकसभा सीट की बात करें तो यह आजादी के बाद से ही अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित रही है. आइए जानते हैं इस सीट के सियासी समीकरण क्या रहे हैं.
2024 लोकसभा चुनाव में कौन प्रत्याशी ( Hardoi Sabha Chunav 2024 Candidate)
बीजेपी - जयप्रकाश रावत
सपा-कांग्रेस गठबंधन - ऊषा वर्मा
बसपा - घोषित नहीं
कांग्रेस का रही गढ़
हरदोई लोकसभा सीट पर एक समय कांग्रेस का दबदबा देखने को मिलता था. कांग्रेस यहां से 6 बार चुनाव जीती. एक बार जनसंघ प्रत्याशी ने जीत दर्ज की जबकि भाजपा 4, तीन बार सपा के खाते में यह सीट गई. बसपा यहां से एक बार भी अपना परचम नहीं लहरा पाई है. 1952 के पहले आम चुनाव में यहां से कांग्रेस के छेदा लाल सांसद चुने गए थे. इसके बाद 1957 में उप चुनाव में छेदालाल फिर जीते. इसके बाद 1962, 1967 और 1971 में कांग्रेस के किंदर लाल ने जीत की हैट्रिक लगाई. 1977 में जनता पार्टी से परमाई लाल, 1980 में कांग्रेस के मन्नीलाल, 1984 में कांग्रेस के किंदर लाल जीते. 1989 में जनता दल के परमाई लाल और 1990 में जनता दल के चौधरी चांद राम सांसद बने.
1990 के बाद बीजेपी-सपा का रहा दबदबा
इसके बाद 1991 में बीजेपी का पहली बार इस सीट पर कब्जा हुआ. जयप्रकाश रावत यहां से सांसद बने. इसके बाद वह 1996 में भी बीजेपी के टिकट पर सांसद बने. 1998 में यहां से सपा की ऊषा वर्मा ने जीत दर्ज की. वह 2004 और 2009 में भी सपा के टिकट पर सांसद बनीं. 2014 में बीजेपी ने अंशुल वर्मा को उम्मीदवार बनाया, उन्होंने परचम लहराया. 2019 में बीजेपी ने जयप्रकाश रावत को टिकट दिया. वह मौजूदा समय में हरदोई सीट से सांसद हैं.
नरेश अग्रवाल का मानी जाती है गढ़
हरदोई सदर विधानसभा सीट पर नरेश अग्रवाल और उनके परिवार का वर्चस्व माना जाता है. इस सीट पर ज्यादातर उनके परिवार का कब्जा रहा है. यहां से नरेश अग्रवाल 7 बार चुनाव जीते, जबकि उनके बेटे नितिन अग्रवाल भी चार चुनाव जीत जुके हैं. वह योगी सरकार में मंत्री हैं.नरेश अग्रवाल सत्ता के करीब रहते हैं, यही वजह है कि वह हर दल में रह चुके हैं.
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किसका पलड़ा भारी?
वर्तमान में हरदोई लोकसभा क्षेत्र में पांच विधानसभा क्षेत्र सवायजपुर, शाहाबाद,हरदोई सदर,गोपामऊ(सुरक्षित) व सांडी(सुरक्षित) हैं. इन सभी सीटों पर बीजेपी का कब्जा है. नरेश अग्रवाल भी मौजूदा समय में बीजेपी में है. देखना होगा कि भाजपा जेपी रावत पर ही दांव खेलती है या कोई अन्य उम्मीदवार मैदान में उतारती है. टिकट कटने से सपा के पाले मे गए अंशुल वर्मा की भी बीजेपी में वापसी हो गई है. टिकट की जुगत में कई और नेता भी लगे हैं.