Lok Sabha Election Results 2024: लोकसभा चुनाव में सपा-कांग्रेस बड़ा उलटफेर करते हुए दिख रही है. रुझानों में सपा-कांग्रेस गठबंधन 42 लोकसभा सीटों पर लगातार बढ़त बनाए हुए हैं. अखिलेश, डिंपल यादव, धर्मेंद्र यादव, अक्षय यादव बढ़त बनाए हुए हैं. पूर्वांचल की कई सीटों पर समाजवादी पार्टी की साइकिल तेजी से चल रही है. जिसके आधिकारिक परिणाम चुनाव आयोग की वेबसाइट results.eci.gov.in पर जारी किए जाएंगे. लोकसभा 2024 रिजल्ट रझानों में बड़ा उलटफेर देखने को मिला है. मैनपुरी से डिंपल यादव, अखिलेश यादव कन्नौज ,फिरोजाबाद से अक्षय यादव,. बदायूं से आदित्य यादव भी बढ़त बनाए हुए हैं. इसके अलावा सपा की कई सीटों पर बढ़त दिखाई दे रही है. समाजवादी परिवार के लिए ये अच्छी खबर है. यादव परिवार की रणनीति काम कर गई है. राहुल-अखिलेश की जोड़ी ने यूपी में कमाल किया है. पूर्वांचल से यादव बेल्ट तक लोकसभा चुनाव में सपा की साइकिल खूब चली है. मैनपुरी, आंवला, कन्नौज, धौरहरा, इटावा, , हरदोई, मोहनलाल गंज सीट पर सपा अच्छा काम कर रही है.


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सपा का 2022 में ओवरऑल प्रदर्शन


2022 में सपा के संस्थापक मुलायम सिंह यादव के निधन के बाद जब मैनपुरी सीट पर उपचुनाव हुआ था तो अखिलेश यादव ने अपनी पत्नी डिंपल यादव को यहां से चुनाव मैदान में उतारा. तब सपा के पक्ष में सहानुभूति की जबरदस्त लहर देखने को मिली थी और डिंपल यादव को 2.88 लाख वोटों से जीतीं.


पूरे प्रदेश में मुरादाबाद एकमात्र ऐसा जिला रहा, जहां पार्टी ने सबसे ज्यादा सीटें जीतीं. पिछली बार यहां अधिकतम चार सीटों पर जीत का रिकार्ड था. 2012 समाजवादी पार्टी के मुरादाबाद नगर, मुरादाबाद देहात, बिलारी, कुंदरकी सीट से विधायक चुने गए  जबकि, 2017 में बीजेपी की प्रचंड लहर के बीच मुरादाबाद देहात, कुंदरकी, बिलारी और ठाकुरद्वारा में जीत दर्ज की थी. आजमगढ़ में साल 2022 विधानसभा चुनाव में सपा ने यहां की सभी 10 सीटों पर जीत दर्ज कर इतिहास रचा. लेकिन लोकसभा सीट से अखिलेश के इस्तीफे के बाद सपा के इस गढ़ में भाजपा जीती. 2022 के उपचुनाव में खराब प्रदर्शन के बाद भाजपा ने यहां से योगी सरकार में कैबिनेट मंत्री ठाकुर जयवीर सिंह को टिकट दिया.


2022 सपा का चरणवार तुलनात्मक प्रदर्शन



2019 लोकसभा
2014 के बाद लोकसभा चुनाव 2019 में बीजेपी को उत्तर प्रदेश में प्रचंड जीत मिली थी. प्रदेश की 80 लोकसभा सीटों में 62 पर भाजपा को जीत मिली थी.  बसपा को 10 सीटें और समाजवादी पार्टी को 5 सीटें मिली. बीजेपी की  सहयोगी दल अपना दल सोनेलाल भी 2 सीटें,  कांग्रेस केवल एक सीट जीतने में कामयाब रही. 2019 के लोकसभा चुनाव में जब सपा बसपा और रालोद के संयुक्त गठबंधन प्रत्याशी के तौर पर मुलायम सिंह यादव ने चुनाव लड़ा था तब वह 94 हजार वोटों से जीते थे.


2017 विधानसभा चुनाव
2017 विधानसभा चुनाव का इतिहास बता रहा है कि सपा का सामाजिक न्याय का कारगर फार्मूला कांग्रेस के साथ आते ही फ्लाप हो गया था. वोट बैंक के सियासी गणित के मोटे फार्मूले के आधार पर यह कयास थेकि दोनों पार्टियों का गठबंधन जीत का आधार बनेगा लेकिन हुआ इसका उलटा.उत्तर प्रदेश में वर्ष 2017 का विधानसभा चुनाव में दोनों पार्टियों को भारी नुकसान हुआ था. सपा सत्ता से बाहर हुई थी और कांग्रेस भी बस वजूद बचाती नजर आई थी.


हर चुनाव में कम हुआ जनाधार
सपा का बीते 2019 के लोकसभा चुनाव में प्रदर्शन अब तक के पार्टी के चुनावी दौर में सबसे खराब रहा था. सपा  वोट प्रतिशत पहली बार 20 फीसदी से भी कम हो गया.फिर साल 2019 के चुनाव में बसपा के सा लड़ने वाली सपा 37 सीटों पर चुनाव मैदान में उतरी और सिर्फ 5 सीट जीती. गठबंधन के बावजूद उसका वोट प्रतिशत सिर्फ 18.11 फीसदी ही रहा. यानी देखा जाए तो सपा के बीते चार चुनाव में हर बात जनाधार कम होता गया.


2014  चरणों में चुनाव
भारत निर्वाचन आयोग द्वारा 7 अप्रैल 2014 से 12 मई 2014 तक 9 चरणों में चुनाव कराये गये. चुनाव के नतीजे 16 मई 2014 को घोषित किए गए.  


2014 लोकसभा में सपा का प्रदर्शन
साल 2014 का इलेक्शन सपा के लिए हर मायने में खराब रहा है. 78 सीटों पर लड़ने वाली पार्टी सिर्फ 5 सीटें जीत पाई और उसका मत प्रतिशत भी घटा. इस चुनाव में सपा को 22.35 फीसदी वोट मिले थे. इस इस दौरान राज्य में अखिलेश यादव की अगुवाई में सपा की सरकार भी थी.


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