Moradabad Lok Sabha Chunav 2024: 2024 में होने वाले लोकसभा चुनावों को लेकर राजनीतिक दलों ने भागदौड़ शुरू कर दी है. लोकसभा चुनाव को लेकर इन दिनों सियासी गलियारों से तरह-तरह के बयान भी सामने आ रहे हैं. कोई किसी का समीकरण बिगाड़ रहा है तो कई बना रहा है. हालांकि, चुनाव को लकेर प्रत्याशियों और राजनीतिक दलों की स्थिति क्या होगी ये तो चुनाव के बाद ही पता चलेगा.


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मुरादाबाद लोकसभा प्रत्याशी


सपा-रुचि वीरा 
भाजपा-सर्वेश सिंह 


 


समाजवादी पार्टी ने संभल समेत यूपी की 16 लोकसभा सीटों पर साल 2024 लोकसभा चुनाव के लिए प्रत्याशियों का ऐलान कर दिया है. जहां समाजवादी पार्टी ने सबसे उम्रदराज संभल सीट से मौजूदा सांसद शफीकुर्रहमान बर्क पर एक बार फिर दांव लगाया था, उनका निधन हो गया. वहीं, साल 2019 में बर्क ने संभल लोकसभा सीट से ही चुनाव लड़कर बीजेपी प्रत्याशी परमेश्वर लाल सैनी को 174826 वोटो से हराया था, जबकि इससे पहले 2014 के लोकसभा चुनाव में शफीकुर्रहमान बर्क को बीजेपी के सत्यपाल सिंह सैनी के सामने हार का सामना करना पड़ा था. 


लोकसभा चुनाव में मुरादाबाद Seat का हाल


मुस्लिम वोटरों की बड़ी संख्या
मुरादाबाद और रामपुर में  मुस्लिम वोटरों की बड़ी संख्या है. 2019 के लोकसभा चुनाव में इन वोटरों ने ही  दोनों शहरों की सीटों पर बीजेपी का  समीकरण पूरी तरह से बिगाड़ दिया था. मुरादाबाद में सपा के एसटी हसन चुनाव जीते थे तो रामपुर से आजम खान. हालांकि आजम खान को सजा होने के बाद उनकी सदस्यता चलकी गई और उपचुनाव में ये सीट बीजेपी ने अपने कब्जे में ले ली थी.




2014 के लोकसभा चुनाव में 6 सीटों पर खिला था कमल
2014 के लोकसभा चुनाव में मुरादाबाद मंडल की सभी छह सीटों पर कमल खिला था. 2019 में मंडल की 3 सीटों पर सपा और,तीन पर बसपा जीती थी.  


वर्ष 2014 में बीजेपी का शानदार प्रदर्शन
साल 2014 के लोकसभा चुनाव में मंडल में बीजेपी ने शानदार प्रदर्शन किया. सभी छह सीटों पर भाजपा को जीत मिली थी.  2019 के चुनाव में भाजपा ने अपने दो सांसदों का टिकट काट दिया था. इसमें रामपुर और संभल सीट शामिल थी.  रामपुर से पूर्व सांसद एवं अभिनेत्री जयाप्रदा और संभल से पूर्व एमएलसी परमेश्वर लाल सैनी को उम्मीदवार बनाया था.
 
2019 का लोकसभा चुनाव SP, BSP और RLD ने मिलकर लड़ा
वहीं 2014 के चुनाव में मंडल की सभी छह सीटें जीतने वाली भाजपा पिछले चुनाव में एक भी सीट नहीं जीती. 2019 का लोकसभा चुनाव सपा, बसपा और रालोद ने मिलकर लड़ा था. इसके बाद भी बीजेपी गठबंधन को यूपी में 64 सीटों पर जीत मिली थी. 16 सीटों पर विपक्षी दल विजयी हुए थे. बसपा को 10, सपा को 5 और कांग्रेस को 1 सीट मिली थी. 


हर दांव आजमाएगी बीजेपी
2024 के चुनाव में मंडल की सीटों पर जीत के लिए भाजपा हर दांव आजमाएगी. पहले से जारी होमवर्क के तहत मुरादाबाद के चौधरी भूपेंद्र सिंह को प्रदेश भाजपा की कमान सौंप जाटों से सीधा नाता जोड़ा हैं तो यादव बिरादरी को साधने के लिए भाजपा ने सुभाष यदुवंश को पश्चिमी यूपी का प्रभारी बनाया है.


साल 2019 में भाजपा ने इन प्रत्याशियों पर लगाया था दांव
मुरादाबाद से सर्वेश सिंह, अमरोहा से तंवर सिंह कंवर, रामपुर से फिल्म अभिनेत्री और पूर्व सांसद जयाप्रदा, बिजनौर से राजा भारतेंद्र सिंह, नगीना से यशवंत सिंह, संभल से परमेश्वर लाल सैनी को चुनाव मैदान में उतारा था.


शफीकुर्रहमान बर्क अभी तक 5 बार सांसद 
93 वर्षीय सासंद शफीकुर्रहमान बर्क के राजनीतिक करियर की बात की जाए तो शफीकुर्रहमान बर्क अभी तक पांच बार सांसद रह चुके हैं. जहां शफीकुर्रहमान बर्क साल 1996-98 और 2004 में मुरादाबाद लोकसभा सीट से सपा सांसद रह चुके हैं, जबकि 2009 में बहुजन समाज पार्टी से और 2019 में संभल लोकसभा सीट पर सपा से सांसद रहे हैं. जबकि 2014 के लोकसभा चुनाव के दौरान बीजेपी के परमेश्वर लाल सैनी ने सपा के शफीकुर्रहमान बर्क को 5174 वोटो से हराया था. 


आजादी के बाद कब-कब हुआ चुनाव
आजादी के बाद पहली बार साल 1952 में इस सीट पर लोकसभा का चुनाव हुआ था. कांग्रेस ने इस सीट पर लगातार 2 बार जीती. 1967 और 1971 के चुनाव में कांग्रेस ये सीट हार गई थी. ये सीट भारतीय जनसंघ के खाते में चली गई थी. 1971 में आपातकाल लगने के बाद कांग्रेस को काफी नुकसान उठाना पड़ा. इस सीट पर इमरजैंसी के दौरान चौधरी चरण सिंह की पार्टी भारतीय लोकदल ने जीत दर्ज की.


ऐसा रहा सीट का इतिहास
साल 1980 में एक बार फिर जनता दल ने यहां पर जीत दर्ज की. लेकिन साल 1984 में ये सीट फिर कांग्रेस के पाले में गई. 1989 से लेकर 1991 तक इस सीट पर जनता दल का कब्जा रहा. 1996 और 1998 में सीट समाजवादी पार्टी ने अपने कब्जे में ले ली. 1999 में यहां एक बार फिर लोकसभा चुनाव हुए. ये चुनाव काफी रोचक थे. दरअसल, अखिल भारतीय लोकतांत्रिक कांग्रेस की जगदंबिका पाल ने सीट पर कब्जा जमाया था. जगदंबिका ने कांग्रेस पार्टी को छोड़ नई पार्टी बना ली थी. 


2009 में कांग्रेस सांसद बने मोहम्मद अजहरुद्दीन 
साल 2004 के लोकसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी ने कब्जा जमाया. साल 2009 में पूर्व क्रिकेटर मोहम्मद अजहरुद्दीन यहां से कांग्रेस सांसद चुने गए. साल 2014 में आई मोदी लहर के दौरान इस सीट पर पहली  बार बीजेपी ने चुनाव जीता. फिर 2019 में फिर हुए चुनाव में वापस सपा ने कब्जा जमाया.


2019 में SP के खाते में मुरादाबाद सीट
मुरादाबाद में वर्तमान सांसद सपा के एसटी हसन हैं. उन्होंने 2019 के चुनाव में बीजेपी के कुंवर सर्वेश कुमार को हराया था. दूसरे नंबर पर बीजेपी तो तीसरे पर कांग्रेस रही थी.


मुरादाबाद की 6 विधानसभाओं से 5 पर सपा, एक पर BJP
मुरादाबाद लोकसभा के अंतर्गत आने  वाली 6 विधानसभा सीटों में से 5 सीटों पर समाजवादी पर कब्जा है. बीजेपी केवल 1 ही सीट जीत पाई थी.


मुरादाबाद का इतिहास
पीतलनगरी के नाम से मशहूर मुरादाबाद लोकसभी सीट का इतिहास बहुत पुराना है. मुरादाबाद लोकसभा क्षेत्र यूपी का छठवां निर्वाचन क्षेत्र है. रामगंगा नदी के किनारे बसा ये शहर अक्सर बाढ़ की समस्या से दो-चार होता है. मुगल शासक अकबर के शासन के समय मुरादाबाद चौपाल परगना के कार्यकाल के रूप में विकसित हुआ था. 1624 में इस संभल के राज्यपाल रुस्तम खान ने अपने कब्जे में लिया और इसका नाम रुस्तम नगर रख दिया. 1625 में इसका नाम बदला गया. मुगल शासक शाहजहां के बेटे मुराद बक्श के नाम पर मुरादाबाद किया गया. इस शहर में एक जामा मस्जिद भी है.


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