Old Pension Scheme: लोकसभा चुनाव नजदीक आते ही पुरानी पेंशन स्कीम का मुद्दा एक बार फिर गरमाता दिख रहा है. 'पुरानी पेंशन' बहाली के लिए  केंद्र और राज्य कर्मचारी बीते साल से ही आंदोलन कर रहे हैं. कर्मचारी संगठनों ने कई तरीकों से अपनी बात सरकार तक पहुंचाने का प्रयास किया है. ओपीएस को लेकर सियासत भी देखने को मिल रही है. कर्मचारी संगठन बीजेपी, कांग्रेस सहित अलग-अलग दलों से बातचीत करेंगे. कोई दल अगर ठोस आश्वासन देता है तो कर्मचारी उसका समर्थन कर सकते हैं. यानी लोकसभा चुनाव से पहले 'पुरानी पेंशन बहाली' की गेंद सियासी दलों के पाले में की जा सकती है. 


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क्या है कर्मचारियों की मांग
दरअसल 1 अप्रैल 2004 को पुरानी पेंशन योजना को बंद कर दिया गया था. इसक जगह राष्ट्रीय पेंशन योजना को लागू किया गया, इसे न्यू पेंशन सिस्टम भी कहते हैं. पुरानी पेंशन को बहाल करने के लिए संगठन आंदोलन कर रहे हैं. पेंशन कर्मचारियों का एक बड़ा वोटर वर्ग है, राजनीतिक दल पुरानी पेंशन स्कीम को लागू करने के वादे के साथ इसे आगामी चुनाव में भुनाने चाहते हैं. चुनाव में ओपीसी को लागू करने का वादा अहम रोल निभा सकता है. 


क्या है ओल्ड पेंशन स्कीम?
ओल्ड पेंशन स्कीम को आसान भाषा में समझें तो कर्मचारी के आखिरी वेतन का 50 प्रतिशत हिस्सा उसे पेंशन के तौर पर मिलती है, इसका भुगतान सरकार की ओर से किया जाता है. पुरानी पेंशन स्कीम को 2003 में केंद्र सरकार ने खत्म कर दिया था. इसकी जगह पर 1 अप्रैल 2004 से नई पेंशन स्कीम लागू कर दी गई.  दावा किया जाता है कि पुरानी पेंशन स्कीम में नई पेंशन स्कीम के मुकाबले कर्मचारियों को ज्यादा फायदे मिलते हैं. 


क्या है नई पेंशन स्कीम
ओपीएस को खत्म कर सरकार ने साल 2004 में राष्ट्रीय पेंशन स्कीम की शुरुआत की. इसके तहत कर्मचारी के वेतन से 10 प्रतिशत (बेसिक+ डीए) की कटौती होती है. नई पेंशन स्कीम में 6 महीने बाद मिलने बाला महंगाई भत्ता लागू नहीं होता है. नई पेंशन स्कीम में रिटायमेंट के समय कोई निश्चित पेंशन की गारंटी नहीं है.  


5 राज्यों में पुरानी पेंशन स्कीम लागू
बता दें कि देश के पांच राज्यों में पुरानी पेंशन स्कीम को लागू किया गया है. इनमें राजस्थान, छत्तीसगढ़, झारखंड, पंजाब और हिमाचल प्रदेश शामिल है. इन राज्य सरकारों ने केंद्र सरकार, पेंशन निधि नियामक और विकास प्राधिकरण (PFRDA) को अपने निर्णय के बारे में बता दिया है. पुरानी पेंशन को लागू करने वालों में राजस्थान पहले नंबर पर है.


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