Lok Sabha Elections 2024: चार दशक से भाजपा (BJP)  का मजबूत गढ़ रही इस लोकसभा सीट पर 35 सालों में यह पहला मौका है, जब मेनका गांधी या वरुण गांधी (Varun Gandhi) यहां से अपना भाग्य नहीं आजमा रहे हैं. बीजेपी ने परिवारवाद की राजनीति को दरकिनार करने की गरज से शाहजहांपुर और धौरहरा से सांसद रहे वर्तमान में प्रदेश के कैबिनेट मंत्री जितिन प्रसाद को मैदान में उतारकर अगड़े वोट बैंक को साधने की कोशिश की है. कुर्मी मतदाताओं की निर्णायक भूमिका वाली इस  सीट पर बीजेपी ने हिंदू मतों के भरोसे जितिन प्रसाद को मैदान में उतारा है. वहीं बसपा ने अपने दलित-मुस्लिम कार्ड को फिर से यहां आजमाने की कोशिश की है. आइए जानते हैं इस लोकसभा सीट पर बड़ी राजनीतिक पार्टियों के कौन-कौन से चेहरे चुनावी मैदान में खड़े हैं.


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लोकसभा चुनाव 2024 (Lok sabha Chunav 2024) में उत्तर प्रदेश की पीलीभीत सीट लगातार चर्चा में बनी हुई है. दो बार के सांसद वरुण गांधी का टिकट काटकर भारतीय जनता पार्टी ने जितिन प्रसाद को उम्मीदवार बनाया है. जितिन कुछ समय पहले ही कांग्रेस से बीजेपी में आए थे. यह सीट लंबे समय से बीजेपी के पाले में रही है. यहां से मेनका गांधी और वरुण गांधी चुनाव लड़ते रहे हैं. 35 साल से पीलीभीत में गांधी परिवार का जादू बरकरार है.


भाजपा के पीलीभीत लोकसभा सीट से उम्मीदवार जितिन प्रसाद
जितिन प्रसाद ने कांग्रेस के टिकट पर 2004 के लोकसभा चुनाव में शाहजहांपुर से जीत हासिल की थी. साल 2009 के चुनाव में वह धौरहरा सीट से सांसद बने. वर्तमान में लोक निर्माण मंत्री जितिन प्रसाद शाहजहांपुर और धौरहरा लोकसभा सीट से सांसद रह चुके हैं.  साल 2008 की यूपीए सरकार में केंद्रीय राज्य इस्पात मंत्री सहित कई मंत्रालयों का प्रभार संभाल चुके हैं. कुछ साल पहले जितिन ने बीजेपी का दामन थाम लिया और मौजूदा समय में उत्तर प्रदेश सरकार में लोक निर्माण विभाग के मंत्री हैं.  ऐसे में प्रदेश सरकार के मंत्री और भाजपा प्रत्याशी जितिन प्रसाद के सामने गढ़ बचाने की चुनौती है.


सपा के पीलीभीत लोकसभा सीट से उम्मीदवार भगवत सरन गंगवार
बरेली की नवाबगंज विधानसभा से पांच बार विधायक भगवत सरन गंगवार साल 2003 की तत्कालीन सपा सरकार में स्वास्थ्य मंत्री भी रहे हैं. इससे पहले ये बरेली लोकसभा सीट पर 2019 में पूर्व केंद्रीय मंत्री संतोष गंगवार के खिलाफ भी चुनावी मैदान में थे.गंगवार ने आखिरी चुनाव 2012 में जीता था. उसके बाद 2017 और 2022 के विधानसभा चुनाव में हार गए थे.  1991 और 1993 के दो चुनाव उन्होंने बीजेपी के टिकट पर जीते हैं. इसके बाद में वो सपा में आए और फिर 2002, 2007 और 2012 में लगातार 3 बार सपा के टिकट पर विधायक चुने गए. सपा के भगवत सरन गंगवार के सामने पिछड़ा-मुस्लिम गठजोड़ के फार्मूले को साबित करने का मौका है. सपा ने कुर्मी बिरादरी में प्रभाव रखने वाले बरेली के भगवत सरन गंगवार को उम्मीदवार बनाकर मुस्लिम-कुर्मी मतों के सहारे कामयाबी का ताना-बाना बुना है. 


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बसपा के पीलीभीत से उम्मीदवार-अनीस अहमद खां उर्फ फूल बाबू
बसपा ने यहां से अनीस अहमद खान उर्फ फूल बाबू को मैदान में उतारा है. पीलीभीत जिले की बीसलपुर विधानसभा का चार बार प्रतिनिधित्व कर चुके अनीस अहमद खां उर्फ फूल बाबू तीसरी बार पीलीभीत लोकसभा सीट पर भाग्य आजमा रहे हैं. राजनीति इन्हें विरासत में मिली है. पिता शफी अहमद खान बीसलपुर नगर पालिका के दो बार अध्यक्ष रह चुके हैं. अनीस अहमद ने अपनी राजनीति की शुरूआत यूथ कांग्रेस से की थी. ये बसपा सरकार में मंत्री भी रहे हैं. पीलीभीत उम्मीदवार अनीस अहमद बीसलपुर कस्बे के रहने बाले हैं. अनीस इस समय 57 साल के हैं. इन्होंन ग्रेजुएशन तक की पढ़ाई की है. वहीं, अनीस वॉलीबॉल के अच्छे खिलाड़ी भी रहे चुके हैं. बसपा ने अपने दलित-मुस्लिम कार्ड को फिर से यहां आजमाने की कोशिश की है.


पीलीभीत के जातीय समीकरण?
पीलीभीत में 25 फीसदी मतदाता मुस्लिम समुदाय से हैं. अनुसूचित जाति के मतदाताओं की संख्या 17 फीसदी है. राजपूत भी यहां अच्छी संख्या में हैं. 2019 में वरुण गांधी इस सीट पर 2.5 लाख वोट के अंतर से जीते थे.


जातिगत आंकड़े
मुस्लिम-5 लाख
लोधी किसान-4 लाख 35 हजार
कुर्मी- दो लाख 15 हजार
मौर्य- 70 हजार
पासी- 70 हजार
जाटव- 65 हजार
बंगाली- 50 हजार
ब्राह्मण- 50 हजार
सिख- 45 हजार
कश्यप- 40 हजार
भुर्जी- 28 हजार
बढ़ई- 26 हजार
धोबी- 26 हजार
ठाकुर- 22 हजार
नाई- 19 हजार
यादव- 18 हजार
 बनिया- 18 हजार
कुम्हार- 18 हजार
राठौर- 17 हजार
खटीक- 12 हजार
कोरी- 12 हजार
 जाट- 12 हजार
 कायस्थ- 12 हजार
पाल- 08 हजार
बेलदार- 08 हजार
 गुर्जर- 08 हजार
 धानुक- 07 हजार
वाल्मीकि- 07 हजार
गिरि- 5 हजार
सुनार- 5 हजार
जायसवाल-5 हजार
माली- 2 हजार
दर्जी- 2 हजार
नट- 1 हजार
ईसाई- 1 हजार.


नोट-- यह आंकड़े विभिन्न राजनीतिक दलों के आकलन के आधार पर हैं। इसमें बदलाव भी हो सकता है.


पीलीभीत से वरुण गांधी 2 बार सांसद
मेनका गांधी पहली बार 1989 में पीलीभीत लोकसभा सीट पर  सांसद बनी थीं. 1996 से पीलीभीत सीट पर गांधी परिवार का कब्जा है. मेनका गांधी इस सीट से 6 बार और वरुण गांधी 2 बार सांसद बन चुके हैं. यहां मेनका का दबदबा इतना है कि उन्हें कोई पार्टी टिकट दे या नहीं, उनकी जीत निश्चित मानी जाती है. मेनका 2 बार इस सीट से निर्दलीय सांसद बन चुकी हैं.


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