Hardoi Lok Sabha Seat SP Candidate: समाजवादी पार्टी ने सोमवार को 11 लोकसभा प्रत्याशियों की दूसरी लिस्ट जारी कर दी है. इसमें हरदोई  (सुरक्षित) लोकसभा सीट भी शामिल है. सपा ने यहां से एक बार फिर ऊषा वर्मा को उम्मीदवार बनाया है. उनकी गिनती जिले बड़े नेताओं में होती है. वह अपने ससुर स्व. परमाईलाल की राजनीतिक विरासत को संभाल रही हैं. सपा की साइकिल पर सवार होकर वह दो बार जिले से सांसद रह चुकी हैं जबकि विधायक भी रही हैं. 


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तीन बार रह चुकी हैं सांसद
ऊषा वर्मा पहली बार साल 1998 में सपा के टिकट चुनाव जीतकर संसद पहुंची थीं. उन्होंने बीजेपी के जीत के सिलसिले को तोड़ा था. 2002 में वह विधायक बनी थीं. सपा सरकार में राज्यमंत्री भी रह चुकी हैं. ऊषा वर्मा 2004 और 2009 में सपा उम्मीदवार को तौर पर जीत दर्ज की. हालांकि 2014 में मोदी लहर में  वह तीसरे स्थान पर खिसक गईं. वहीं 2019 में भी उनको बीजेपी प्रत्‍याशी जयप्रकाश रावत ने करीब 1 लाख 32 हजार वोटों से चुनाव हराया. 2022 विधानसभा चुनाव में सपा ने उनको सांडी से उम्मीदवार बनाया लेकिन उनको यहां भी हार का सामना करना पड़ा. 


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बहू कहकर बुलाते थे मुलायम
ऊषा वर्मा की गिनती यादव परिवार के भरोसमंद के तौर पर होती है. उन्होंने संघर्ष के दिनों में भी मुलायम सिंह यादव और अखिलेश का साथ नहीं छोड़ा. मुलायम सिंह के मुख्यमंत्री रहते उनकी गिनती खास मंत्रियों में होती थी. सपा ने उनको 1999 में महिला सशक्तिकरण की संयुक्त समिति का सदस्य बनाया. साल 2004 में सपा ने उनको एससी एसटी के कल्याण समिति की सदस्य बनाकर बड़ी जिम्मेदारी दी.  मुलायम सिंह उनको बहू कहकर बुलाते थे. कहा जाता है कि उन्होंने केंद्र में बाजपेई सरकार को 1 वोट से गिराने में सपा की मदद की थी. 


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सास-ससुर की संभाल रहीं राजनीतिक विरासत
ऊषा वर्मा के ससुर स्व. परमाईलाल को पासी बिरादरी का बड़ा नेता माना जाता था.  1969 में परमाई लाल निर्दलीय विधायक बने. इसके बाद 1980, 19 85, 1989 में चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचे. 1991 में विधायक बनने पर मुलायम सिंह यादव की सरकार में उनको लघु सिचाई उपमंत्री बनाया गया था. उनके निधन के बाद पत्नी भी विधायक रहीं. इसके बाद उनकी बहू ऊषा वर्मा की राजनीति में एंट्री हुई. 


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