Sambhal lok Sabha Seat: संभल से सपा सांसद शफीकुर्र रहमान वर्क का निधन हो चुका है. सपा ने लोकसभा चुनाव 2024 के लिए भी उम्मीदवार घोषित किया था. दिवंगत सपा सांसद शफीकुर्र रहमान वर्क के पोते सपा विधायक जिया उर रहमान वर्क ने दादा की विरासत संभालने का एलान कर दिया है. उन्होंने कहा सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव से जल्दी मुलाकात कर संभल लोकसभा सीट से टिकट के लिए मांग करेंगे. 


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सपा से कई और दावेदारों के नाम की चर्चा
शफीकुर्र रहमान वर्क के निधन के बाद संभल की सियासी लड़ाई और गरमाने जा रही है. एक तरफ जिया उर रहमान वर्क ने दादा की सियासी विरासत संभालने का ऐलान किया है. वहीं बदायूं में शिवपाल को टिकट मिलने के बाद चर्चा है कि पूर्व सांसद धर्मेंद्र यादव संभल सीट से चुनाव लड़ सकते हैं. इसके अलावा सपा विधायक नवाब इकबाल महमूद भी लोकसभा टिकट के लिए कर रहे है दावेदारी कर रहे हैं. 


यादव परिवार की परंपरागत सीट रही संभल
संभल लोकसभा सीट यादव परिवार की परंपरागत सीटों में से एक रही हैं. यहां से समाजवादी पार्टी के संस्थापक मुलायम सिंह 1998 में जीतकर लोकसभा पहुंचे थे. इसके बाद 2004 लोकसभा चुनाव में रामगोपाल यादव को भी यहां की जनता ने जिताकर संसद पहुंचाया. 


जिया उर रहमान का सियासी सफर
जिया उर रहमान बर्क संभल की कुंदरकी विधानसभा सीट से विधायक हैं.  2022 में सपा ने तीन बार के विधायक रहे हाजी रिजवान का टिकट काटकर उनको उम्मीदवार बनाया था. जिया उर रहमान ने अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी से पढ़ाई की है. कहा जा रहा है कि  शफीकुर्रहमान बर्क के बाद उनको सपा टिकट दे सकती है. 


क्या बोले वर्क पोते 
विधायक जिया उर रहमान वर्क ने बातचीत के दौरान कहा, "दादा की कोशिश की बदौलत वह विधायक बनने में कामयाब हुए हैं. वैसे इस बात का जिक्र करने का यह सही मौका नहीं है लेकिन लोगों ने अगर अपने जज्बात जाहिर किए हैं तो वह भी दादा की विरासत को पूरी ईमानदारी से कायम रखूंगा और उसे आगे बढ़ाने का काम करूंगा. मैं सपा प्रमुख अखिलेश यादव से बात कर लोगों की बात रखूंगा." 


संभल से दो बार सांसद रहे वर्क
शफीकुर रहमान वर्क संभल सीट से दो बार सांसद रहे. पहली बार उन्होंन बसपा के टिकट पर चुनाव जीता था. हालांकि 2014 की मोदी लहर में वह चुनाव हार गए लेकिन 2019 में उन्होंने इस सीट पर फिर जीत हासिल की थी.


क्या हैं संभल के समीकरण
संभल के जातीय समीकरण देखें तो यहां वोटर की संख्या करीब 16 लाख से ज्यादा है. 50 फीसदी से अधिक मुस्लिम आबादी है जबकि करीब 40 प्रतिशत हिंदू हैं. वोटर के हिसाब से देखें तो यहां करीब साढ़े आठ लाख मुस्लिम वोटर हैं, जबकि अनुसूचित जाति के करीब 2.75 लाख, डेढ़ लाख यादव और 5.25 लाख में अन्य पिछड़ा और सामान्य वोटर हैं.


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