Swami Prasad Maurya: सपा की सदस्यता से इस्तीफा देने के बाद स्वामी प्रसाद मौर्य ने धुआंधार तरीके से पार्टी नेताओं पर हमला बोला है. उन्होंने प्रोफेसर रामगोपाल यादव से लेकर अखिलेश यादव तक किसी को नहीं बख्शा. अखिलेश यादव के हमले का जवाब देते हुए स्वामी प्रसाद ने कहा,  मैं पद की लालच में राजनीति में नहीं आया हूं. विचारधारा मेरे लिए महत्वपूर्ण है और राजनीति में विचारधारा सबसे महत्वपूर्ण है. दरअसल, अखिलेश ने स्वामी प्रसाद के सवाल पर कहा था, कुछ लोग लाभ लेने के लिए आते हैं और लाभ लेकर चले जाते हैं. 


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स्वामी प्रसाद मौर्य ने कहा, अखिलेश यादव ने पीडीए का नारा दिया लेकिन उसकी हवा उन्होंने खुद निकाल दी.अखिलेश यादव ना इधर हैं और ना ही उधर हैं. सपा के लोग अपनी विचारधारा से भटक गए हैं. रामगोपाल यादव की बोली सही नही है. उन्हें शिवपाल यादव से सीखना चाहिए. सपा की खटिया खड़ी बिस्तरा गोल है. प्रोफेसर रामगोपाल जब तक रहेंगे, तब तक सपा पर अंधेरा छाया रहेगा.


धर्मनिरपेक्ष सपा ने कराई शालिग्राम पूजा
स्वामी प्रसाद ने यहां तक कहा, सपा के लोग धर्मनिरपेक्ष हैं, फिर सपा कार्यालय में शालिग्राम की पूजा करवा दी. बीजेपी सपा से शर्मा गई होगी। अखिलेश का धर्मनिरपेक्ष चेहरा जनता देख रही है. पल्लवी पटेल बुलंद आवाज उठाती रही हैं. वो भी एक विचारधारा के तहत राजनीति में आई हैं. अखिलेश यादव के साथ कोई नहीं चल सकता है.


22 फरवरी को करेंगे बड़ा ऐलान
स्वामी ने कहा, सपा से मैंने इस्तीफा दे दिया है. 22 फरवरी को मैं नई पार्टी का ऐलान करूंगा. स्वामी ने कहा, 'देश की संपत्तियां निजी हाथों में बेची जा रही है. संविधान के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है। नौजवान बेरोजगार है, किसानों को लाभ दिलाना तो दूर उनपर लाठियां बरसाई जा रही हैं। व्यापारियों की कमर तोड़ी जा रही। लोकतंत्र को खत्म करने के लिए ईडी का दुरुपयोग किया जा रहा है। इंडिया अलायन्स को मजबूत करना ही मेरी प्राथमिकता है. मैंने सदैव राजनीति में देश के दलितों आदिवासियों गरीबों किसानों की समस्याओं को प्राथमिकता दी है'.


अपनी नाराजगी जाहिर करते हुए स्वामी ने कहा, इससे पहले मैंने अखिलेश यादव से वार्ता की. उन्हें बताया कि सपा में कुछ ऐसे भी हैं जो पार्टी को कमजोर करने की कोशिश कर रहे हैं. स्वामी ने कहा, जब भी मैं सपा को बढ़ाने का प्रयास करता हूं, मुझे रोका जाता है. इसके बावजूद अखिलेश यादव ने मुझसे कोई वार्ता नहीं की. मुझे फोन तक नहीं किया, इसीलिए मैंने सदस्यता से भी इस्तीफा दे दिया. एमएलसी सदस्यता से भी नैतिकता के आधार पर इस्तीफा दे दिया है. 


स्वामी बोले, मैंने हमेशा लड़ाई लड़ी, विचारधारा और मिशन में जब कोई मेरे आड़े आया, उससे टकराने में गुरेज नहीं किया, राजनीति में विचारधारा महत्वपूर्ण है, विचारधारा के लिए कुर्सी छोड़ी है। मेरे लिए पद नहीं विचारधारा जरूरी है। पद के लिए मैने कभी राजनीति नहीं की है। मैं विचारधारा के लिए लड़ाई लड़ता हूं. 


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