क्या कांग्रेस अपना वोट सपा को कर पाएगी ट्रांसफर, 2019 के बुआ-बबुआ के लोकसभा चुनाव जैसा न हो जाए हाल
UP Lok Sabha Chunav 2024: लोकसभा चुनाव में सपा और कांग्रेस के बीच गठबंधन का औपचारिक ऐलान हो चुका है. कांग्रेस कुल 17 सीटों पर चुनावी ताल ठोकेगी. आइए समझते हैं पिछले लोकसभा चुनाव में इन सीटों पर कांग्रेस का प्रदर्शन कैसा रहा था.
UP Lok Sabha Chunav 2024: यूपी में 'दो लड़कों की जोड़ी' एक बार फिर साथ नजर आएगी. सपा और कांग्रेस के बीच गठबंधन का रास्ता साफ हो गया है. सपा जहां 63 सीटों पर ताल ठोकेगी. वहीं, कांग्रेस 17 सीटों पर चुनावी मैदान में है. सत्ता पर काबिज बीजेपी का मुकाबला करने के लिए सपा-कांग्रेस के सामने कई बड़ी चुनौती होंगी, इसमें एकदूसरे का वोट ट्रांसफर से लेकर वोटरों को पाले में लाना प्रमुख है.
2017 में साथ लड़े सपा-कांग्रेस
साल 2017 में उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव कांग्रेस और समाजवादी पार्टी साथ मिलकर लड़े थे. तब सपा सत्ता पर काबिज थी. 403 विधानसभा सीटों में सपा ने कांग्रेस को 105 सीटें दी थीं जबकि 298 सीटों पर अपने प्रत्याशी मैदान में उतारे थे. लेकिन परिणाम दोनों दलों के पक्ष में नहीं रहे. सपा 47 सीटों पर ही जीत दर्ज कर सकी जबकि कांग्रेस के खाते में महज 7 सीटें आईं.
वोट शेयर की बात करें तो सपा को 21.82 प्रतिशत वोट मिले जबकि कांग्रेस का वोटशेयर 6.25 फीसदी तक पहुंच पाया. दोनों का मिलाकर वोट प्रतिशत 28.07 तक ही पहुंच पाया. आगामी लोकसभा चुनाव में सपा के साथ गठबंधन में कांग्रेस को 17 सीटें मिली हैं. यानी कांग्रेस की सीटों की हिस्सेदारी 2022 विधानसभा चुनाव में 26 फीसदी थी, जो लोकसभा गठबंधन में घटकर करीब 21 फीसदी रह गई है.
पीडीए पर सपा का फोकस
इस लोकसभा चुनाव में सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने पीडीए (पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक) का नारा दिया है. जिसकी झलक सपा की ओर से जारी प्रत्याशियों की तीनों सूचियों में देखने को मिल रहा है. सपा की ओर से अब तक 31 प्रत्याशी मैदान में उतारे गए हैं. इनमें सबसे ज्यादा 19 टिकट ओबीसी वर्ग को दिए गए हैं. इसके अलावा दलित को 6 और मुस्लिमों को 3 टिकट दिए. हालांकि इनमें जो सीट कांग्रेस के खाते में गई हैं, उन पर सपा प्रत्याशी वापस लेगी.
2019 में बसपा संग लड़ा चुनाव
सपा ने 2019 का लोकसभा चुनाव बसपा और रालोद के साथ गठबंधन में लड़ा था. इनमें से 38 सीटों पर बसपा जबकि 37 सीटों पर सपा ने चुनाव लड़ा. सपा को केवल 5 सीटें मिलीं जबकि बसपा ने 10 सीटों पर जीत दर्ज की. वहीं, कांग्रेस के हिस्से में जो 17 सीटें आई हैं, उनमें से 12 पर 2019 में उसकी जमानत जब्त हुई थी. जबकि केवल रायबरेली सीट ही कांग्रेस जीत पाई थी. चुनाव के बाद मायावती ने वोट ट्रांसफर न होने और नुकसान की बात कहकर गठबंधन तोड़ दिया था.
सपा 2022 में अकेले लड़ी विधानसभा चुनाव
सपा ने बड़े दलों की बजाय छोटे दलों के साथ विधानसभा चुनाव लड़ा. ओबीसी वर्ग पर फोकस करने वाली सपा को इसका फायदा हुआ और वह 47 सीटों से छलांग लगाकर सहयोगी दलों के सहयोग से 125 सीटों तक पहुंच गई. अब देखना होगा कि सपा और कांग्रेस का गठबंधन 2024 लोकसभा चुनाव में कैसा प्रदर्शन करता है.
कांग्रेस के सामने खोया जनाधार पाने की चुनौती
कांग्रेस के रिकॉर्ड पर नजर डालें तो बीते 15 साल से पार्टी का जनाधार बिखरता गया, जिसे दोबारा पाने की चुनौती होगी. 2019 लोकसभा चुनाव में पार्टी को करीब 6 फीसदी ही वोट मिले थे और एक सीट ही जीत पाई थी.
बीजेपी ने 62 सीटों पर लहराया परचम
वहीं दूसरी ओर बीजेपी ने 2019 में कुल 62 सीटों पर जीत दर्ज की थी जबकि दो सीटें उसकी सहयोगी अपना दल (एस) के खाते में गई थीं. भाजपा को करीब 50 फीसदी वोट मिले जबकि उसका सहयोगी अपना दल (एस) भी 1.21 फीसदी वोट पाने में कामयाब हुआ.
यह भी पढ़ें - कांग्रेस की आसान नहीं राह, SP गठबंधन में मिली 17 सीटों में 12 पर 15 साल से नहीं जीती
यह भी पढ़ें - 2017 में क्यों कमाल नहीं कर सके राहुल-अखिलेश, लोकसभा चुनाव में क्या बदलेगी किस्मत?