Bulldozer Action in Uttar Pradesh: उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री और बसपा प्रमुख मायावती ने भी सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव की तरह बुलडोजर एक्शन को लेकर बीजेपी पर हमला बोला है. मायावती ने भी अखिलेश के सुर में सुर मिलाए हैं. यूपी के साथ मायावती ने केंद्र सरकार को भी इस मुद्दे पर घेरा है. 


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मायावती ने कहा, बुलडोजर से इमारतों, मकानों या प्रतिष्ठानों को ध्वस्त करना - कानून के शासन का प्रतीक नहीं माना जा सकता. इसका उत्तर प्रदेश में बढ़ा इस्तेमाल चिंता की वजह है. बुलडोजर या अन्य बातों को लेकर अगर जनता के बीच असंतोष है तो केंद्र सरकार को आगे आकर कदम उठाना चाहिए. इस पर कोई गाइडलाइन तय करनी चाहिए थी. ऐसा होता तो सुप्रीम कोर्ट को मामले में हस्तक्षेप नहीं करना पड़ता. 


अखिलेश यादव ने भी इसी तरह सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद टिप्पणी की थी. सपा सुप्रीमो ने कहा था, बुलडोजर को न्याय नहीं माना जा सकता. इसका महिमामंडन करने वाले लोगों को इस पर पुनर्विचार करना चाहिए. बीजेपी पर निशाना साधते हुए अखिलेश ने कहा था, बुलडोजर का इस्तेमाल विरोधियों की आवाज को दबाने के लिए किया गया. सुप्रीम कोर्ट बधाई का पात्र है कि उसने ऐसा फैसला दिया है. अब बुलडोजर खामोश हो गया है. अखिलेश यादव ने ये भी कहा, बुलडोजर की बजाय कोर्ट से न्याय किया जाना चाहिए.शीर्ष अदालत ने भी मंगलवार को कहा था, बुलडोजर के ताबड़तोड़ एक्शन पर सवाल उठाया था. उसका कहना था कि अफसर अगर जज बनकर काम करने लगेंगे तो क्या होगा.


मायावती ने ट्वीट में अखिलेश की उन्हीं बातों को दोहराते हुए योगी आदित्यनाथ सरकार को कठघरे में खड़ा किया. साथ ही संविधान और कानून सम्मत कार्रवाई का समर्थन किया. सुप्रीम कोर्ट ने दो हफ्तों तक बुलडोजर एक्शन पर रोक लगाई है. हालांकि सार्वजनिक स्थानों पर अतिक्रमण के खिलाफ ऐसी ध्वस्तीकरण की कार्रवाई बुलडोजर द्वारा जारी रहेगी.


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