लखनऊ: उत्तर प्रदेश के शहरों के मुख्य मार्गों पर स्थित आवासीय और व्यावसायिक भवनों के बाहरी हिस्से को विकास प्राधिकरण द्वारा तय रंग में ही रंगना होगा. इस प्रस्ताव को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ हरी झंडी दे चुके हैं. आवास एवं शहरी नियोजन विभाग जल्द ही आदेश जारी करने वाला है. 


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उत्तर प्रदेश नगर योजना एवं विकास अधिनियम-1973 की धारा 12(क) के तहत शहर के मुख्य मार्गों से सटे भवनों के बाहरी हिस्से की सुरक्षा व मरम्मत के लिए राज्य सरकार ने पहली बार मॉडल उपविधि (बाइलॉज) तैयार की है. आवास विभाग द्वारा तैयार उपविधि को विभागीय मंत्री होने के नाते मुख्यमंत्री ने मंजूरी दे दी है.


जल्द ही इससे संबंधित आदेश जारी किया होगा
प्रमुख सचिव आवास एवं शहरी नियोजन दीपक कुमार ने बताया कि जल्द ही इससे संबंधित आदेश जारी कर दिया जाएगा. विकास प्राधिकरणों को बोर्ड के माध्यम से अपने-अपने शहर में उपविधि को लागू करना होगा. उपविधि के लागू होने पर भवन स्वामियों (अध्यासी) को शहर के मुख्य मार्गों के गैर आवासीय या आंशिक रूप से आवासीय/गैर आवासीय भवनों में एकरूपता के लिए उनके बाहरी हिस्से की रंगाई तय रंग से करानी होगी.


भवन स्वामियों को छह माह की मोहलत मिलेगी
इसके लिए भवन स्वामियों को छह माह की मोहलत मिलेगी. रंगाई का खर्च खुद भवन स्वामियों को उठाना होगा. संबंधित शहर के विकास प्राधिकरण को मुख्य मार्गों का चयन करने के साथ ही रंग तय कर भवन स्वामियों को प्रचार माध्यमों से बताना होगा. आवासीय कॉलोनियों या ऐसे मार्ग, जिन पर सिर्फ आवासीय भवन हैं उनका चयन नहीं करना होगा.


मकानों के नेम प्लेट व साइन बोर्ड एक जैसे होंगे 
बाहरी दीवार का रंग ही नहीं बल्कि नेम प्लेट व साइन बोर्ड भी एक जैसे होंगे. नेम प्लेट, साइन बोर्ड का आकार, रंग और लिखावट भी प्राधिकरण तय करेगा. सभी के लिए बोर्ड की चौड़ाई तो तय होगी, लेकिन लंबाई भवन या दुकान के आकार के अनुसार कम ज्यादा हो सकेगी. किसी भी शहर के मुख्य मार्ग की इमारतें किस रंग की होंगी, इसे स्थानीय स्तर पर उस शहर की खासियत को देखते हुए प्राधिकरण को तय करना है. जैसे अयोध्या श्री राम की नगरी है तो यहां के मुख्य मार्ग पर स्थित इमारतों का रंग केसरिया या उससे मिलता-जुलता तय किया जा सकता है.


प्राधिकरण कराएगा तो ऑनर को देना होगा खर्च
किसी भवन स्वामी ने यदि निर्धारित अवधि में तय रंग से भवन की रंगाई नहीं कराई तो विकास प्राधिकरण उसे कराएगा. उस पर आने वाला खर्च भवन स्वामियों को प्राधिकरण में जमा करना होगा. प्राधिकरण बिना लाभ-हानि के लागत तय करेगा. भवन स्वामियों द्वारा लागत का पूरा भुगतान न करने की दशा में प्राधिकरण को भू-राजस्व की तरह बकाए की वसूली करने का अधिकार होगा.


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