Lucknow News: दिवाली बाद खूंखार हुए कुत्ते, दो दिन में 250 से ज्यादा लोगों को लखनऊ में बनाया शिकार
Lucknow News: लखनऊ में दिवाली के बाद पटाखों के शोर से बौखलाए कुत्तों ने 48 घंटों में 250 से ज्यादा लोगों को काटा है, जिनमें अधिकांश बच्चे हैं. तेज धमाकों से कुत्ते डर और गुस्से में आक्रामक हो रहे हैं, जिससे वे लोगों पर हमला कर रहे हैं.
लखनऊ/मयूर शुक्ला: राजधानी लखनऊ से एक चौंकाने वाली खबर सामने आई है, जहां पटाखों के शोर से बौखलाए कुत्तों ने बीते 48 घंटों में 250 से ज्यादा लोगों को काट लिया है. दिवाली के दौरान और उसके बाद पटाखों के तेज शोर से कुत्ते आक्रामक हो गए हैं, जिसके चलते ताबड़तोड़ डॉग बाइट के मामले सामने आ रहे हैं. हैरानी की बात यह है कि इनमें से अधिकतर शिकार छोटे बच्चे बने हैं, जिन्हें अस्पताल में इलाज के लिए लाया गया है.
पटाखों के शोर से बौखलाए कुत्ते
वेटरनरी डॉक्टर रजनीश चंद्र के अनुसार, पटाखों के तेज धमाकों से कुत्ते इरिटेट और भयभीत हो जाते हैं. कई बार, इन धमाकों की वजह से उनमें डर पैदा हो जाता है, जिससे वे आक्रामक हो उठते हैं और आसपास के लोगों पर हमला कर देते हैं. डॉ. रजनीश का कहना है कि यदि किसी कुत्ते या उसकी फैमिली के किसी सदस्य को पहले पटाखों से कोई चोट लगी हो, तो उस कुत्ते के लिए पटाखे खतरनाक वस्तु के रूप में पहचाने जाते हैं. ऐसे में वे खतरा महसूस करते हुए सामने वाले पर हमला कर सकते हैं. दिवाली के दौरान तेज धमाकों की वजह से कुत्तों के इस तरह के हमले बढ़ जाते हैं, क्योंकि उनके लिए यह असहनीय और भयावह अनुभव होता है.
डॉग बाइट के बढ़ते मामले और अस्पतालों में भीड़
लखनऊ के प्रमुख अस्पतालों में डॉग बाइट के मामलों में अचानक उछाल आया है. बलरामपुर अस्पताल में पिछले 48 घंटों में 100 से अधिक, सिविल अस्पताल में 20 से ज्यादा और लोक बंधु अस्पताल में 30 से ज्यादा मरीज रेबीज का इंजेक्शन लगवाने पहुंचे हैं. अन्य अस्पतालों में भी ऐसी ही स्थिति देखी जा रही है. आमतौर पर एक दिन में 25-30 कुत्ता काटने के मामले सामने आते हैं, लेकिन बीते दो दिनों में यह आंकड़ा 250 से ऊपर पहुंच गया है, जिससे स्वास्थ्य विभाग और नगर निगम की चिंताएं बढ़ गई हैं.
कुत्ते के काटने के बाद क्या करें?
डॉ. रजनीश चंद्र ने कुत्ते के काटने पर जरूरी एहतियात के बारे में जानकारी दी है. उन्होंने बताया कि कुत्ते के काटते ही सबसे पहले घाव को साफ पानी से 15 मिनट तक धोना चाहिए, ताकि संक्रमण का खतरा कम हो सके. इसके बाद एंटीसेप्टिक का उपयोग करें और जितनी जल्दी हो सके रेबीज का इंजेक्शन लगवाएं. उन्होंने यह भी कहा कि अगर समय रहते रेबीज का इलाज शुरू कर दिया जाए तो वायरस दिमाग तक नहीं पहुंच पाता है, जिससे स्थिति गंभीर होने से बच सकती है.
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