Urban Electricity Bill, लखनऊ: शहरी सीमा से सटे गांवों के लोगों के लिए बिजली बिल से जुड़ी एक परेशान करने वाली खबर है. इन गांवों के बिजली उपभोक्ताओं को बिजली बिल का भुगतान अब शहरी दरों पर करना होगा. इस आशय का आदेश उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन निदेशक मंडल द्वारा जारी कर दिया गया है. जिसमें शहरी सीमा से लगे वे ग्रामीण इलाकों जिसे शासन ने उच्चीकृत करने और शहरी सीमा में लेने का निर्णय किया है, उन इलाकों के विद्युत फीडरों का ग्रामीण स्टेटस खत्म कर दिया जाएगा और शहरी फीडर घोषित कर दिया जाएगा ऐसा आदेश जारी कर दिया गया है. इन फीडरों से संबंधित सभी ग्रामीण उपभोक्ताओं से बिजली बिल शहरी दर से लिया जाएगा. 


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शहरी शिड्यूल से बिजली भी देंगे
उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन के निदेशक मंडल इस आशय का आदेश शुक्रवार को ही जारी कर दिया है. आदेश में ये भी दर्ज है कि प्रदेश में बढ़ते शहरीकरण और शासन द्वारा क्षेत्रों का उच्चीकरण करने को ध्यान में रखते हुए ऐसे ग्रामीण क्षेत्रों के फीडरों को शहरी फीडर के रूप में घोषित कर दिया जाएगा. शहरी फीडर घोषित करने और के साथ साथ यूपी एसएलडीसी ने घोषित शहरी क्षेत्रों के शेड्यूल के हिसाब से बिजली दी जाए व कस्टमर से शहरी दर पर ही बिजली बिल का भुगतान करवाया जाए. इस तरह इस फैसले से बढ़े बिल की जद में वो सभी इलाके आएंगे जिनको शासन द्वारा नगर निगम, नगर पालिका परिषद के साथ ही नगर पंचायत की सीमा में जोड़े गए है. जानकारी है कि इन गांवों के साथ ही उन गांव को भी शामिल किया जा रहा है जो शहरी सीमा में शामिल को नहीं हैं पर शहर से लगे हैं. फीडर स्टेटस बदले जाने से वे क्षेत्र शहरी फीडर का भाग होंगे. 


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फैसले के खिलाफ लड़ाई
राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष हैं अवधेश कुमार वर्मा जिनका साफ कहना है कि निदेशक मंडल के इस निर्णय के खिलाफ लड़ाई लड़ी जाएगी. जब देश में विद्युत उपभोक्ता अधिकार कानून-2020 लागू किया जाएगा. इसकी धारा 10 में कस्टमर को 24 घंटे विद्युत आपूर्ति का प्रावधान है ऐसे में बिजली दरों को शहरी आपूर्ति और ग्रामीण आपूर्ति के आधार पर लागू करने की बात क्यों की जा रही है. उन्होंने आगे कहा कि पहले से ही सप्लाई टाइप को परिषद ने बदलकर गलत तरीके से उपभोक्ताओं से बिल वसूली की याचिका लगाई है. उन्होंने कहा कि नियामक आयोग का फिर से दरवाजा खटखटाया जाएगा. मुख्यमंत्री से इसमें हस्तक्षेप करने की मांग की गई है.