Masane Ki Holi: आज पूरे भारत में होली मनाई जा रही है. बाबा विश्वनाथ, मां गौरा और उनके गण भी काशी में होली माना रहे हैं. वैसे बनारस की होली का रंग लाल पिला नीला नहीं है बल्कि यहा पर भस्म की होली खेली जाती है. आज पूरा वाराणसी रंगो से सराबोर है. रंगभरी पर दूल्हा के रूप में सजे धजे भूतभावन शिव से होली खलने की अनुमति पाकर काशी में फाग का शुरू हो जाता है. सतरंगी रंगों के बीच काशी रंगों में तो रंग जाता है लेकिन यहां की भस्म की होली विश्व प्रसिद्ध है.


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

लगभग हर जगह होली पर रंग-गुलाल उड़ाए जाते हैं लेकिन बरसाना में लड्डू और लट्ठमार होली होती है,  गोकुल में छड़ी और वृंदावन में फूल वाली होली. इससे एकदम इतर मोक्ष की नगरी काशी में मणिकर्णिका घाट पर शिव भक्त श्मशान में फूंके गए शव के भस्म से होली खेलते हैं. फाल्गुन एकादशी से पर यहां होली शुरू हो जाती है. बाबा विश्वनाथ की इस दिन पालकी निकलती है. भक्त बाबा के संग रंग खेलते हैं. 


इस दिन भगवान शिव माता पार्वती का गौना कराते है. दूसरे दिन महादेव औघड़ रूप में श्मशान चले अते हैं जहां पर जलती चिताओं की राख से भक्तों संग होली खेलते हैं. डमरुओं की गूंज, हर-हर महादेव के जयकारे से काशी गूंज उठती है. भांग, पान और ठंडाई का दौर चल पड़ता है. होली के दिन तक वाराणसी में होली की धूम बनी रहती है. रंगभरी एकादशी के एक दिन बाद से शिवजी खुद भक्तों के साथ होली खेलने लगते हैं. होली के दिन घाटों की सुरक्षा को लेकर प्रशासन मुस्तैद होता है. आज के दिन गंगा में सुरक्षित नौका संचालन को लेकर जल पुलिस ने गाइडलाइन भी निकाल दी है. घाटों और गंगा में एनडीआरएफ, पीएसी के साथ ही जल पुलिस के जवान भी इस तैनात है. स्पीड बोट से गंगा के आठ किलोमीटर तक सख्त निगरानी रखी जाएगी.