लखनऊ: राजधानी लखनऊ स्थित केजीएमयू (Kgmu) में मृतक आश्रित कोटे से नौकरी की जांच में लगातार धांधली की खबरें सामने आ रही हैं. इस मामले शिकायत के बाद केजीएमयू प्रशासन ने कार्रवाई की है. प्रशासन ने एक और महिला कर्मचारी की सेवाएं खत्म कर दी हैं. इससे पहले 19 जून को मृतक आश्रित कोटे में तथ्य छिपाकर नौकरी करने वाले कर्मचारी की सेवा समाप्त की जा चुकी हैं.


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नियमों की खूब धज्जियां उड़ीं
मृतक के आश्रितों को नौकरी देने में नियमों की खूब धज्जियां उड़ीं. बिना नियमावली के पालन के मृतक आश्रित कोटे से नौकरी लेने के मामले में केजीएमयू प्रशासन ने दो मामलों में कार्रवाई की है. इनमें से 19 जून को मृतक आश्रित कोटे से तथ्य छिपाकर नौकरी करने वाले एक कर्मी को टर्मिनेट किया है. इसके चौथे दिन 22 जून को केजीएमयू प्रशासन ने एक और कर्मचारी की सेवा समाप्त करने का दिया आदेश दिया है. 16 साल बाद महिला कर्मचारी पर बर्खास्ती की कार्रवाई की गई है. 


 नौकरी करने के 16 साल बाद बर्खास्त 
कर्मचारी के खिलाफ हुई शिकायत पर जांच के बाद यह कार्रवाई की गई है. जांच रिपोर्ट के अनुसार कुमारी काले की मां की 2005 में मृत्यु हो हुई थी. कुमारी काले की मां kgmu में ही नौकरी कर रही थी. उसके पिता भी KGMU में नौकरी कर रहे थे. कुमारी काले ने पिता के केजीएमयू  में नौकरी करने के तथ्य को छिपाते हुए मां के निधन के बाद मृतक आश्रित कोटे से नौकरी ज्वाइन कर ली.


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जब जांच हुई तो उनकी नियुक्ति अवैध मानी गई और नौकरी करने के 16 साल बाद बर्खास्त कर दिया गया. 22 जून 2021 को केजीएमयू कुलसचिव आशुतोष कुमार द्विवेदी ने सफाई कर्मचारी कुमारी काले की बर्खास्तगी का आदेश जारी कर दिया.


तथ्य छिपाकर मृतक आश्रित की अनुकम्पा के आधार हासिल की नौकरी 
दूसरे मामले में केजीएमयू प्रशासन ने सुमित कुमार के खिलाफ कार्रवाई की है. सुमित केजीएमयू में वाटर कैरियर पद पर तैनात थे. उन्होंने मृतक आश्रित कोटे में 2007 में आवेदन किया था और साल 2008 में उन्हें तैनाती मिली थी. कुलसचिव आशुतोष कुमार ने 19 जून को कर्मी सुमित वर्मा के टर्मिनेशन के आदेश जारी किए. आदेश में जांच रिपोर्ट का हवाला दिया गया. रिपोर्ट के मुताबिक, सुमित की मां बालरोग विभाग में सेवारत थीं. सुमित ने यह तथ्य छिपाकर मृतक आश्रित की अनुकम्पा के आधार पर नौकरी हासिल की, जो कि गलत है.


 समूह-ग की भर्ती में भी भ्रष्टाचार के बड़े आरोप
केजीएमयू में मृतक आश्रित कोटे में भर्ती में ही धांधली नहीं हुई. समूह-ग की भर्ती में भ्रष्टाचार के बड़े आरोप हैं. इसकी शिकायत शासन से की गई है. तथ्यों को छिपाकर मृतक आश्रित कोटे के तहत नौकरी हाथियाने के कई और मामले की तफ्तीश चल रही है. ऐसे कर्मचारियों की नौकरी पर तलवार लटक रही है. केजीएमयू में कर्मियों-डॉक्टरों की भर्ती के कई मामले उजागर हुए. इसमें कुछ पर कार्रवाई हुईं तो कई जांचें ठंडे बस्ते में चली गई.


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