राजकुमार दीक्षित /सीतापुर: उत्तर प्रदेश के सीतापुर में ऑनलाइन फ्री फायर गेम में फंस कर बच्चों ने अपने ही घर से नकदी और गहने पार कर दिए. इस मामले का खुलासा तब हुआ जब सिधौली पुलिस ने चोरी की इस घटना की तफ्तीश की. इस मामले में परिजनो ने कार्रवाई न करने का लिखित प्रार्थना पत्र पुलिस को दिया है. जिसके चलते पुलिस ने बच्चों को चेतावनी देकर छोड़ दिया.


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क्या है मामला? 
सीतापुर के सिधौली कोतवाली इलाके के गांधीनगर मोहल्ले की रहने वाली एक महिला ने सिधौली कोतवाली में घर की अलमारी में रखी ज्वेलरी व 85 हजार की नकदी चोरी होने का मुकदमा दर्ज कराया था. इस मामले में सिधौली पुलिस ने तफ्तीश शुरू की. कोतवाल आलोकमणि त्रिपाठी को क्लू मिलते ही खुद पड़ताल की तो परत दर परत खुलती चली गई.


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ऐसे हुआ खुलासा 
दरअसल, जिस अलमारी से घर में गहने और रुपए चोरी हुए थे. उसी को देख कर तफ्तीश में यह पता चला कि कोई अंदर का व्यक्ति ही वारदात में शामिल है. वहां किसी बाहरी का पहुंचना मुमकिन नहीं था. पुलिस को इस मामले में पहले दो किराएदार युवतियों की भूमिका संदिग्ध लगी. लेकिन, बाद में महिला के ही घर के दोनों नाबालिग बच्चे ही पुलिस के निशाने पर आए.


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फ्री फायर गेम के आदी थे बच्चें 
 इन बच्चों की गतिविधियों पर नजर रखी गई तो यह पता चला कि दोनों मोबाइल में ऑनलाइन गेम खेलने के आदी है. दोनों बच्चों से पूछताछ की गई तो पता चला कि फ्री फायर गेम में सहूलियते हासिल करने के लिए बच्चों ने ही घर में चोरी कर अपने एक दोस्त को पैसा दिया है. सिधौली के ही निवासी इन बच्चों के नाबालिक दोस्त से पुलिस ने कड़ाई से पूछताछ की तब पता चला कि राजस्थान के रहने वाले एक लड़के को यह धनराशि बैंक में ट्रांसफर की है. इसके बाद पूरा खेल सामने आया.


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 जब बच्चों से कोतवाल ने की पूछताछ
सिधौली कोतवाली के एसएचओ आलोक मणि त्रिपाठी ने बच्चों से बात की तो सभी ने अपना जुर्म स्वीकार कर लिया. एसएचओ ने बताया राजस्थान के रहने वाले एक नाबालिग दोस्त के खाते में गई धनराशि पुलिस ने वापस कराई है और गहने भी बरामद किए.


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SHO ने बच्चों के अभिभावकों को समझाया
पुलिस ने बच्चों के अभिभावकों को समझाया कि बच्चों पर नजर रखें और ऑनलाइन गेम के दौरान अपने बच्चों की गतिविधियों पर विशेष नजर बनाए रहे कि कोई बच्चा गलत दिशा में तो नहीं जा रहा. जितने भी इंटरनेट से जुड़े उपकरण है जब बच्चे उन्हें इस्तेमाल करें तो विशेष नजर बनाए रखें जिससे वह गलत न कर सके.


ऐसे पैसे लगा रहे बच्चें
सीतापुर का यह मामला ऑनलाइन गेम फ्री फायर गेम से जुड़ा है. अब सवाल ये उठता है कि ये कैसे हो रहा है? नाबालिग बच्चें फ्री फायर गेम में कैसे पैसे हार जाते हैं? क्योंकि इस गेम में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है. फ्री फायर में पैसे लगा कर फीचर्स अपग्रेड किए जा सकते हैं, वेपन्स अपग्रेड किए जा सकते हैं, लेकिन इस गेम में ऑफिशियली पैसे नहीं लगते हैं. बावजूद इसके भारत में ऑनलाइन मल्टी प्लेयर गेम में बच्चे पैसे लगा रहे हैं और उन्हें इसकी बुरी लत लग रही है.  


फ्री फायर से लेकर कॉल ऑफ ड्यूटी मोबाइल गेम में कस्टम रूम बना कर खेलने का फीचर होता है. इसी के तहत बच्चे ग्रुप बना कर कस्टम रूम तैयार करते हैं और गेमिंग करते हैं.  इसके लिए वॉट्सऐप पर ग्रुप तैयार किया जाता है जहां सभी प्लेयर्स से पैसे इकठ्ठे किए जाते हैं. कई बार ये पैसा हजारों में होता है तो गर कोई बड़ा इसमें शामिल है तो ये खेल लाखों का हो जाता है.  


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