लखनऊ: लखनऊ नगर निगम में अलग तरह की लूट का पर्दाफाश हुआ है. यहां पर स्टेशनरी खरीद खरीदकर बड़ी लूट की साजिश को अंजाम दिया जा रहा है जिसे फिलहाल बेनकाब किया गया है. आरोप है कि कुछ अफसरों द्वारा बाजार से 10 से 11 गुना ज्यादा दाम पर सामान को खरीदा जा रहा था. करीब ₹150 रुपये में आने वाले पेन स्टैंड को यहां पर 1700 रुपये में और मेज साफ के लिए इस्तेमाल झाड़न को 200 में खरीदने का प्रस्ताव तैयार किया गया. अफसरों ने कुल रुपये 47.01 लाख रुपए का एक एस्टीमेट तक पास कर दिया. इसका पता चलते ही नगर आयुक्त के द्वारा इन खरीद पर रोक लगाकर जांच के आदेश जारी कर दिए गए. 


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प्रस्तावित दाम 
वैसे तो पहले ही नगर निगम की वित्तीय हालत खराब है. इस संबंध में नगर आयुक्त इंद्रजीत सिंह ने पहले ही आदेश दिया है कि खर्चों में कटौती की जाए लेकिन कुछ अफसरों को ऐसे आदेशों से शायद कोई मतलब ही नहीं है. नगर निगम में एक अपर नगर आयुक्त ने तो स्टेशनरी खरीद का भारी प्रस्ताव अप्रैल महीने में तैयार किया था जिसमें 10 से 11 गुना बढ़ाकर हर एक समाना के दामों को प्रस्तावित किया गया था. इस तरह 47.01 लाख की स्टेशनरी खरीद वाले प्रस्ताव को अपने स्तर से स्वीकृति भी दे दी. 


ये है खरीद की लिस्ट 
सैलो बटरफ्लो पेन ₹10 रुपए की बजाए 95 रुपए में खरीदने का प्रस्ताव.
200 पीस सैलो बटरफ्लो पेन को 19000 रुपए में खरीदने का प्रस्ताव.
150 रुपए में मिलने वाला पेन स्टैंड को 1700 रुपये में खरीदने का प्रस्ताव.
केवल 20 पेन स्टैंड को 34000 रुपये में खरीदने का प्रस्ताव.
200 पेपरवेट को 35000 रुपये में खरीदने का प्रस्ताव.
30 रुपए में मिलने वाली एक पेपरवेट की कीमत 175 रुपये प्रस्तावित की गई. 
100 जेटर रिफिल को 20000 में खरीदने का प्रस्ताव.
एक रिफिल 200 रुपये में खरीदने का प्रस्ताव. 
50 से 60 रुपए में मिलने वाली पेपर पंच की 150 मशीन को 33000 में खरीदने का प्रस्ताव.
आयरन स्केल 110 रुपए में खरीदने का प्रस्ताव.
आयरन स्केल बाजार में केवल 30 से 40 रुपए में यह मिल जाती है. 
आयरन स्केल के 100 पीस को 11000 रुपए में खरीदने का प्रस्ताव.


उसी दाम पर स्टेशनरी खरीदने का दबाव 
अधिकारियों ने इस खरीद के प्रस्ताव को इसी साल अप्रैल महीने में तैयार किया था, तब एक अपर नगर आयुक्त ने इसे तैयार किया लेकिन फिलहाल वे इस काम से हट गए हैं. ध्यान देने वाली बात ये है कि काम से हट जाने के बाद भी नीचे के अधिकारियों पर वह इस खरीद के लिए दबाव बना रहे थे जिसके बाद फाइल नगर आयुक्त को भेजी गई जिस पर खरीद को रोकर जांच के आदेश नगर आयुक्त द्वारा जारी कर दिए गए.


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