UP News: रील की लत से बढ़ा सर्वाइकल स्पॉन्डिलाइटिस का खतरा, सबसे बड़े मेडिकल कॉलेज की रिपोर्ट
Lucknow News: लखनऊ के शोध में सोशल मीडिया पर ज्यादा समय बिताने के गंभीर स्वास्थ्य परिणाम सामने आए हैं. मोबाइल, लैपटॉप और टैबलेट पर लंबे समय तक रील देखने से गर्दन, कंधे, कमर और हाथों में ब्लड सर्कुलेशन प्रभावित होता है, जिससे क्रॉनिक पेन और स्ट्रोक का खतरा बढ़ जाता है.
लखनऊ/मयूर शुक्ला: लखनऊ के किंग जॉर्ज मेडिकल कॉलेज (केजीएमयू) के फिजिकल मेडिसिन एंड रिहैबिलिटेशन विभाग ने एक शोध में सोशल मीडिया और स्क्रीन टाइम के बढ़ते खतरे का खुलासा किया है. विभाग प्रमुख डॉ. अनिल कुमार गुप्ता ने बताया कि मोबाइल, लैपटॉप और टैबलेट पर ज्यादा समय बिताने से गर्दन, कंधे, कमर और हाथों में ब्लड सर्कुलेशन बाधित हो रहा है. इसका परिणाम क्रॉनिक पेन, सर्वाइकल स्पॉन्डिलाइटिस और स्ट्रोक जैसे गंभीर स्वास्थ्य जोखिमों के रूप में सामने आ रहा है.
सोशल मीडिया है दुशमन
विशेषज्ञों के अनुसार, 15-30 साल के युवाओं में सर्वाइकल स्पॉन्डिलाइटिस के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं, जबकि पहले यह बीमारी 45 साल से अधिक उम्र के लोगों में पाई जाती थी. सोशल मीडिया, खासकर रील देखने की लत, इस समस्या को और बढ़ा रही है.
विशेषज्ञों का कहना है कि सोशल मीडिया का सही उपयोग और स्क्रीन टाइम को सीमित कर, इन खतरनाक बीमारियों से बचा जा सकता है. इस पर जागरूकता बढ़ाना बेहद जरूरी है.
रील की लत एक दिन ले डुबेगी
डॉ. गुप्ता ने सलाह दी है कि स्क्रीन टाइम कम करें और मोबाइल या लैपटॉप की जगह डेस्कटॉप का उपयोग करें. उन्होंने यह भी कहा कि लंबे स्क्रीन समय के दौरान नियमित ब्रेक लेना आवश्यक है, क्योंकी रील की लत अब टीनएजर्स से लेकर प्रोफेशनल्स तक सभी को प्रभावित कर रही है. पहले यह समस्या आईटी प्रोफेशनल्स में अधिक पाई जाती थी, लेकिन अब हर वर्ग, महिला और पुरुष, इस समस्या की चपेट में आ रहे हैं.
IIT कंपनी के एक कर्मचारी का एक्सपीरियंस
आईटी कंपनी में काम करने वाले अविरल ने बताया कि वह पिछले 10 सालों से लैपटॉप पर काम कर रहे हैं और यह बात बिल्कुल सही है की लगातार बैठकर काम करने से उनको शारीरिक समस्याओं का सामना करना पड़ा है.
उनकी आंखें भी कमजोर हुई है, इसी के साथ सर्वाइकल समेत रीढ़ की हड्डी में भी दिक्कतें आई हैं. लगातार स्क्रीन पर काम नहीं करना चाहिए ब्रेक लेना बहुत जरूरी है और यह बहुत जरुरी है.
16 वर्षीय को कम उम्र में लग गया चश्मा
हाई स्कूल में पढ़ने वाले 16 वर्षीय अलौकिक ने बताया कि उनकी ज्यादातर पढ़ाई मोबाइल पर ही होती है कोविड के बाद उनका स्कूल समेत कोचिंग पर होमवर्क भी मोबाइल के जरिए ही करना पड़ता है.
अलौकिक ने बोला घंटों क्लासेस करनी पड़ती है यूट्यूब पर रिसर्च वीडियो देखने पड़ते हैं. और हम लगातार घर में एक पोजीशन पर बैठकर यह काम नहीं कर सकते इस वजह से टेढ़ा-मेढ़ा बैठना या उठना पड़ता है. सोशल मीडिया पर ज्यादा समय बिताने की वजह से मुझे तमाम समस्याएं हुई है कम उम्र में चश्मा लग गया है और रीढ़ की हड्डी में दर्द भी रहता है.
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