मयूर शुक्ला/लखनऊ: देश में इस वक्त कोरोना वायरस के बाद जिसकी सबसे ज्यादा चर्चा है, वो है ब्लैक फंगस. अलग-अलग राज्यों में ब्लैक फंगस के मामले लगातार बढ़ रहे हैं. यूपी-उत्तराखंड समेत अन्य कई राज्यों ने इसे महामारी घोषित कर दिया है. वहीं, कहीं-कहीं अब व्हाइट और यलो फंगस के मामले भी सामने आए हैं. इसी बीच लखनऊ स्थित SGPGI के निदेशक डॉक्टर राधा कृष्ण धीमान ने बड़ा बयान दिया है. उनका कहना है कि ब्लैक फंगस नाम की कोई भी चीज नहीं होती है. फंगस सिर्फ एक कलर का होता है और वह है व्हाइट. 


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क्यों दिया जा रहा है ब्लैक फंगस नाम?
ब्लैक फंगस बीमारी ने चारों तरफ हाहाकार मचा रखा है. रोजाना इससे कई लोगों की जान जा रही है. ऐसे में आपको जब ये पता चलेगा कि ब्लैक फंगस नाम का कोई फंगस होता ही नहीं है, तो आप भी आश्चर्य में पड़ जाएंगे. जी हां! पीजीआई के डायरेक्टर आरके धीमान का कहना है कि फंगस केवल व्हाइट कलर का होता है, जिसकी वजह से नसों में ब्लॉकेज हो जाती है. इसके कारण उसके आगे का हिस्सा काला पड़ने लगता है, जिसे ब्लैक फंगस का नाम दिया जा रहा है. 


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अलग रंगों से नया नाम देना गलत
ज़ी मीडिया से एक्सक्लूसिव बातचीत में डॉक्टर धीमान ने इससे जुड़े हुए कई और तथ्य भी बताए. उन्होंने बताया कि फंगस व्हाइट रंग का ही होता है. ऐसे में उसे अलग-अलग कलर से नया नाम देना बिल्कुल गलत है. ऐसे में सवाल ये उठता है कि देश के जाने-माने डॉक्टर भी ब्लैक फंगस होने की बात कह रहे हैं. यहां तक कि इसी के नाम से बड़े-बड़े अस्पतालों में इलाज भी चल रहा है. 


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