राजकुमार दीक्षित /सीतापुर:  मैं जिंदा हूं साहब, ऐसा कहना था यूपी के सीतापुर में एक किसान इतवारी का...अपने आप को जिंदा साबित करने के लिए किसान को 15 महीने लग गए. वह अफसरों और ऑफिसों के चक्कर लगाता रहा पर अब जाकर उसे कागजों में फिर से जिंदा किया गया है.


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किसान को कागजों में दिखाया गया मृत
17 फरवरी 2020 को लेखपाल लालता द्वारा किसान इतवारी को कागजों में मृतक दिखा दिया गया था. जिसे SDM बिसवां अनुपम मिश्रा ने निरस्त करते हुए उसके खाते पर दर्ज नाम लालता व विजय पाल और छोटे पुत्र गढ़ इतवारी नंदन को निरस्त करते हुए खाते पर दोबारा इतवारी पुत्र नंदा को 17 मई 2021 को दर्ज करा दिया. 


ये है पूरा माजरा
आपको बता दें की तहसील बिसवां इलाके के पकरिया मजरा रेवान में इतवारी पुत्र नंदा और पासी इतवारी पुत्र नंदन रहते थे. पासी इतवारी नंदन की मौत होने के बाद, उनके तीन बेटों लालता विजयपाल और छोटे के नाम किसान इतवारी की साढे 3 बीघा जमीन वरासत में दर्ज हो गई. किसान इतवारी और उसका बेटा जब गन्ने का सट्टा बनवाने पहुंचा तब उन्हें पता चला की इतवारी तो अब जिंदा ही नहीं है तो वह हैरान रह गया.


फिर किसान इतवारी ने अपने को जिंदा साबित करने के लिए लड़ाई लड़नी शुरू की. 15 माह तक वह अफसरों के चक्कर काटता रहा. किसान इतवारी ने आईजीआरएस में शिकायत दर्ज कराई थी. इसके बाद हाल ही में बिसवां के SDM बने अनुपम मिश्रा ने पूरे मामले की जांच कराई. 


लेखपाल को कारण बताओ नोटिस
इस मामले में  SDM बिसवां अनुपम मिश्रा ने बताया कि तहसील बिसवां में आईजीआरएस में एक प्रार्थना पत्र डाला गया था जिसमें त्रुटिपूर्ण वरासत का मामला था जिसका तहसील के द्वारा तत्काल संज्ञान लिया गया. जांच में पता चला कि लेखपाल से मानवीय त्रुटि के कारण कुछ गलतियां हुई है जिसको तत्काल संज्ञान में लिया गया सही खतौनी सही व्यक्ति को उपलब्ध कराई गई और लेखपाल को कारण बताओ नोटिस जारी कर दिया है.


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