UP News: मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह योजना में धांधली के मामले को लेकर समाज कल्याण मंत्री असीम अरुण ने कड़ी नाराजगी जताई है. योजना में फर्जीवाड़े को लेकर एडीओ समाज कल्याण सुल्तानपुर को सस्पेंड किया गया है. सामूहिक विवाह योजना जांच मामले में 31 आवेदक अपात्र मिले थे, जिसके बाद ADO पर कार्रवाई की गई है. साथ ही घर-घर जाकर शादियों का वेरिफिकेशन करने के निर्देश दिए हैं. मंत्री ने यूपी के सभी जिलों में 10 फीसदी मामलों का औचक परीक्षण करने का भी निर्देश दिया.  


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विवाहितों को दे दिया योजना का लाभ
अयोध्या मंडल के उपनिदेशक राकेश रमण की जांच में गड़बड़ी का खुलासा होने के बाद मंत्री ने यह फैसला लिया है. जांच में पता चला कि सुल्तानपुर जिले में कई ऐसी महिलाओं को भी मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह योजना का लाभ दिया गया था, जो पहले से शादीशुदा थीं. इसके बाद मंत्री असीम अरुण ने सुल्तानपुर जिले में योजना के तहत हुई सभी शादियों का घर-घर जाकर विभाग से वेरिफिकेशन करने का आदेश दिया. 


जांच कमेटी का गठन 
जांच के आधार पर उन्होंने दोषियों की पहचान के लिए एक उच्च स्तरीय कमेटी का भी गठन किया है, जो मामले की जांच करेगी. जांच के बाद दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी. मंत्री असीम अरुण ने बताया कि सरकार की ओर से जरूरतमदों के लिए चलाई जा रही योजनाओं को पारदर्शी तरीके से लोगों तक पहुंचाने के लिए प्रतिबद्ध है. भ्रष्टाचार की कोई संभावना न रहे. इसलिए यूपी के सभी जिलों में सामूहिक विवाह योजना के 10 फीसदी का औचक वेरिफिकेशन कराया जाएगा. 


क्या है सामूहिक विवाह योजना?
योगी सरकार सामूहिक विवाह योजना के जरिए पात्रों को विवाह अनुदान देती है ताकि वो कम खर्च में वैवाहिक जीवन शुरू कर सकें. विवाह कार्यक्रम के दौरान सरकार दूल्हा-दुल्हन के लिए आभूषण, कपड़े और अन्य सामग्री प्रदान करती है. सामूहिक विवाह योजना के पात्रों को विवाह समारोह में दाम्पत्य और गृहस्थ जीवन शुरू करने के लिए कन्या के खाते में 35,000 रुपये भेजे जाते हैं. वहीं विवाह संस्कार के लिए आवश्यक सामग्री जैसे कपड़े, पायल, बर्तन आदि के लिए 10 हजार रुपये दिये जाते हैं.