यूपी में भाजपा के हारे प्रत्याशियों की रिपोर्ट एक जैसी, सबने चुनाव में हार का ठीकरा एक पर ही फोड़ा
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UP Politics: उत्तर प्रदेश में भाजपा लोकसभा चुनाव में हार की वजहों को तलाशने के लिए तीन स्तरों पर रिपोर्ट तैयार करा रही है. इसमें पार्टी के चुनाव में पराजित उम्मीदवारों ने खुद अपने स्तर पर रिपोर्ट तैयार कर भेज दी है.
UP Lok Sabha Chunav 2024: यूपी भाजपा की लोकसभा चुनाव में बड़ी हार के बाद आंतरिक रिपोर्ट तीन स्तरों पर तैयार की जा रही है. मंडल स्तर के बाद अब हारे हुए सभी प्रत्याशियो ने अपनी रिपोर्ट प्रदेश नेतृत्व को सौंप दी है. इसमें सारा दोष पार्टी के भीतर गुटबाजी पर मढ़ दिया है. सूत्रों का कहना है कि हारे हुए प्रत्याशियो की रिपोर्ट में ज्यादातर भीतरघात की बात कही गई है. अब सबका इंतजार जिलो में भेजे गए भाजपा के टास्कफोर्स की रिपोर्ट पर है, जिसके बाद आलाकमान बड़ा फैसले ले सकता है.तीनों रिपोर्ट के मिलान के बाद ही केंद्रीय नेतृत्व को रिपोर्ट सौंपी जाएगी.
इससे पहले पिछले हफ्ते मंडल स्तर की रिपोर्ट प्रदेश भाजपा नेतृत्व को सौंपी गई थी. इसमें गुटबाजी का जिक्र तो था ही, साथ ही संगठन और सांसदों के बीच प्रचार में समन्वय न होने की बात कही गई थी. चुनाव में उतरे सांसद प्रत्याशी सीएम योगी आदित्यनाथ और पीएम मोदी की लोकप्रियता के भरोसे बैठे रहे. प्रचार में वो जमीनी स्तर पर उतरे ही नहीं, भयंकर गर्मी के बीच वो सिर्फ बड़ी जगहों पर जनसभा और रैलियों से ही माहौल बनाते रहे. जबकि विपक्षी उम्मीदवारों ने सीधे जनता के साथ जुड़कर जनता के मुद्दों पर चुनाव प्रचार पर फोकस किया.
हालांकि सबको इंतजार भाजपा की तीसरी सबसे अहम रिपोर्ट का है, जिसके लिए 80 सदस्यों की स्पेशल टॉस्कफोर्स बनाई गई है. इसमें दूसरे जिलों के नेताओं को शामिल किया गया है, जो स्वतंत्र तौर पर यह आकलन करेगी कि किस जिले की किस लोकसभा सीट पर क्या चूक रही. हर जिले में इसको लेकर टीम भेजी जा रही है. इसमें स्थानीय सांसदों, विधायकों के अलावा संगठन स्तर के तमाम नेताओं से राय मशविरा किया जा रहा है.
गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश लोकसभा चुनाव में बीजेपी महज 33 सीटों पर सिमट कर रह गई. समाजवादी पार्टी ने 37 और कांग्रेस ने छह सीटें जीतकर सबको चौंका दिया. बीजेपी की कई जीती सीटों पर अंतर 20 हजार से भी कम रहा है. अगर विधानसभा वार देखें तो सपा ने करीब 188 सीटों पर बढ़त बनाई, जबकि बीजेपी 133 पर ही अटक गई. ये नतीजे 2027 के विधानसभा चुनाव के लिए बीजेपी के लिए खतरे की घंटी साबित हो सकते हैं.
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