लखनऊ/अतीक अहमद: उत्तर प्रदेश में नाबालिग बच्चों की सेहत को नुकसान से बचाने के लिए उनके जिम जाने पर पाबंदी लगाई जा सकती है. 14-15 साल के बच्चों के जिम में जाकर बॉडी बनाने की जिद और इसके लिए प्रोटीन पाउडर और स्टेरॉयड लेने की बढ़ती प्रवृत्ति को देखते हुए यह सिफारिश की गई है. बाल संरक्षण आयोग ने यह मांग उठाई है. इसके पहले नाबालिग बच्चों के वाहन चलाने पर नियम सख्त किए जा चुके हैं. उनके द्वारा तंबाकू उत्पाद खरीदने या बेचने पर भी रोक लगाई है. 


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आयोग का कहना है कि जिम में शरीर बनाने की चाह रखने वाले नाबालिगों के शरीर को बर्बाद किया जा रहा है.जिम में नाबालिगों के स्वास्थ्य से खिलवाड़ किया जा रहा है.


यूपी राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने मुख्य सचिव को पत्र लिख इस गंभीर मसले को उठाया है. इसमें तत्काल जिम में नाबालिगों को दिए जाने वाले प्रोटीन पाउडर समेत अन्य स्टेरॉयड पर रोक लगाने की मांग की गई है.  राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग की सदस्य डॉ. सुचिता चतुर्वेदी ने जी मीडिया से कहा कि न सिर्फ उत्तर प्रदेश में बल्कि पूरे देश में आज के युवाओं को खासकर 15 से लेकर 20 वर्ष के बच्चों में दिखावे और फैशन के लिए अपने शरीर को बॉलीवुड हीरो जैसे बनाने का क्रेज जोरों पर है.ऐसे में वो कम उम्र में ही जिम में दाखिला ले लेते हैं.


इतना ही नहीं जिम में ट्रेनर द्वारा उनकी बॉडी को हीरो जैसी बनाने का भरोसा भी दिया जाता है, जबकि हल्की-फुल्की एक्सरसाइज के लिए तो ठीक, लेकिन नाबालिग बच्चों को जिम में हैवी एक्सरसाइज करवाना ही गलत है, लेकिन जिम में नाबालिग बच्चों को हैवी एक्सरसाइज करवाने के साथ-साथ उन्हें प्रोटीन पाउडर और एस्टेरॉयड भी दिए जा रहे हैं, जो एक बच्चे के लिए घातक है. इसी वजह से यूपी के मुख्य सचिव मनोज सिंह को आयोग ने पत्र लिखा है, जिसमें जिम के लिए मानकों का निर्धारण करने और उल्लंघन करने पर उनके खिलाफ कार्रवाई करवाने की मांग की


वहीं, लखनऊ के एक जिम में हम पहुंचे जिम ट्रेनर ने जिम का नाम को गोपनीय रखने के बाद बताया कि ऐसा सही नहीं है. जिम में बच्चे 14 साल के बाद या 15 साल के बाद आ सकते हैं. हम लोग भी उन्हें जो एक्सरसाइज कराते हैं, उसे एक्सरसाइज को लेकर 10 साल के बच्चे कर सकते हैं. बस आपको यह देखना होगा कि जिम में आप जा रहे हैं, वह जिम सर्टिफाइड हो. जिम ट्रेनर से आप ट्रेनिंग ले रहे हो, वहां ट्रेनर सर्टिफाइड हो, आजकल बहुत से लोग एक कमरे में जिम खोल कर बैठ जाते हैं. उनको कुछ पता नहीं होता है और वह प्रोटीन जैसे चीज खाने के लिए बोलते हैं उसे दिक्कतें पैदा होती हैं.


लखनऊ के दूसरे जिम में जब हम पहुंचे तो जिम ट्रेनर अनुज वर्मा ने कहा कि फैसला सही है, उनकी जिम में 14 से 16 वर्ष के बच्चे एडमिशन लेने के लिए रोजाना आते हैं. लेकिन वह उन्हें मना करते हुए घर में ही कुछ एक्सरसाइज करने के लिए कह देते हैं.


जिम ट्रेनर अविनाश द्विवेदी ने बीते कुछ वर्षों में देखा गया है कि इस उम्र के बच्चों में जिम जाने को लेकर क्रेज बढ़ा है और वह जा भी रहे हैं. लेकिन यह बहुत खतरनाक है क्योंकि इस उम्र में बच्चों के शरीर में पहले ही कई बदलाव हो रहे होते हैं इतना ही नहीं इन बच्चों की मसल्स भी इतनी मजबूत नहीं होती कि कम उम्र में जिम की हैवी एक्सरसाइज और उसके इक्विपमेंट्स को झेल सके. ऐसे में बच्चों को जिम भेजने की सही उम्र 17-18 साल के करीब होनी चाहिए.


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