मयूर शुक्ला/लखनऊ: पिछले कई दिनों से एंबुलेंस कर्मियों की हड़ताल लगातार जारी है. राजधानी के इको गार्डन में पूरे प्रदेश भर से हजारों एंबुलेंस कर्मी इकट्ठा हुए हैं. उनका कहना है कि जब तक उनकी मांगे नहीं मानी जाएंगी वह इसी तरह धरने पर बैठे रहेंगे और यह संख्या और भी बड़ी होने वाली है.


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सरकार ने दिया 24 घंटे का अल्टीमेटम
राजधानी के इको गार्डन में पूरे प्रदेश भर से लगभग 10,000 एंबुलेंस कर्मी इकट्ठा हुए हैं. हालांकि यूपी सरकार ने सभी कर्मियों को वापस काम पर लौटने का 24 घंटे का अल्टीमेटम दिया है. सैकड़ों लोगों को नौकरी से निकाला गया है और हजारों पर मुकदमा भी दर्ज हुआ है. प्रदर्शनकारियों ने मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री से न्याय की गुहार लगाई है.


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तीन तरह की एंबुलेंस सेवा संचालित


उत्तर प्रदेश में तीन तरह की एंबुलेंस सेवा संचालित हैं, जिनमें 108, 102 और एडवांस लाइफ सपोर्ट एंबुलेंस (ALS)शामिल हैं. कर्मचारियों के मुताबिक प्रदेश में 19000 से ज्यादा कर्मचारी हैं जो ठेका कंपनी (सर्विस प्रोवाइडर) के जरिए काम करते हैं. 


कर्मचारियों का आरोप है कि यूपी में एंबुलेंस संचालन (एलएस) का ठेका लेने वाली नई कंपनी, पुराने कर्मचारियों को नौकरी से हटा रही है. जो नौकरी करना चाहते हैं, उन्हें पहले की अपेक्षा कम सैलरी दे रही हैं और काम के घंटे भी बढ़ा रही हैं.  इसके साथ ही ट्रेनिंग के नाम पर 20 हजार रुपए का ड्राफ्ट मांगा जा रहा है.


कर्मचारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई
यूपी में एंबुलेंस सेवा ठप कर आंदोलन कर रहे कर्मचारियों के खिलाफ बुधवार को और सख्त कार्रवाई की गई. मंगलवार को 11 कर्मचारियों को बर्खास्त कर और 8 कर्मियों के खिलाफ FIR कराए जाने के बावजूद हड़ताल पर डटे 570 और एंबुलेंस कर्मियों को बुधवार को नौकरी से हटा दिया गया. बर्खास्त किए जाने वालों में एंबुलेंस ड्राइवर और इमरजेंसी मेडिकल टेक्नीशियन (ईएमटी) शामिल हैं.


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