यूपी में जानलेवा हुआ डेंगू का शॉक सिंड्रोम, लखनऊ से लेकर कानपुर तक बढ़े मरीज, इन लक्षणों को न करें नजरअंदाज
Dengu Shock syndrome: डेंगू शॉक सिंड्रोम से लखनऊ में एक मरीज की मौत होने के बाद यूपी स्वास्थ्य विभाग अलर्ट पर है. स्वास्थ्य विभाग ने हर जिले में इससे निपटने के लिए तैयारी करने के निर्देश दिए हैं.
Dengu Shock syndrome: यूपी में डेंगू का शॉक सिंड्रोम जानलेवा हो रहा है. लखनऊ में डेंगू से इस सीजन की पहली मौत होने के बाद अस्पतालों को अलर्ट पर रहने के निर्देश दिए गए हैं. वहीं, डेंगू मरीजों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है. लखनऊ समेत कई शहरों में डेंगू मरीजों के लिए बेड रिजर्व रखा गया है. ऐसे में आपको भी सतर्क और सावधान रहने की जरूरत है.
स्वास्थ्य विभाग ने बेड रिजर्व रखने को कहा
पिछले 24 घंटे में लखनऊ में दो दर्जन से ज्यादा मामले सामने आ चुके हैं. बुधवार सुबह बलरामपुर समेत शहर के अलग-अलग अस्पतालों में दो हजार ज्यादा डेंगू के मरीज पहुंचे. इनमें ज्यादातर लोग बुखार आने के बाद भर्ती हुए हैं. इसकी डेंगू की जांच कराई जा रही है. इससे पहले मंगलवार को शहर में डेंगू से एक मरीज की मौत भी हो चुकी है. लखनऊ के अलावा अन्य शहरों में भी बुखार के मरीज सामने आ रहे हैं. ऐसे में स्वास्थ्य विभाग ने अस्पतालों में बेड रिजर्व में रखने को कहा है.
लखनऊ में मरीजों की संख्या बढ़ी
बता दें कि अकेले लखनऊ में पिछले एक दिन में डेंगू के 25 मरीज सामने आए हैं. एक दिन में मिलने वाले मरीजों की इस साल की यह सबसे बड़ी संख्या है. इससे पहले 21 सितंबर को 24 केस सामने आए थे. जिले में इस साल डेंगू के 309 मरीज मिल चुके हैं. स्वास्थ्य विभाग अस्पतालों में भर्ती बुखार के मरीजों की जांच कर रहा है.
क्या है डेंगू शॉक सिंड्रोम?
डेंगू शॉक सिंड्रोम डेंगू का ही बढ़ा हुआ अगला रूप है. यह डेंगू बुखार की दूसरी और तीसरी स्टेज में होता है. जब मरीज का बुखार कई दिन तक नहीं उतरता है और बदन दर्द भी होने लगता है तो इसकी शुरुआत होती है. होंठ नीले पड़ने लगते हैं. त्वचा पर लाल चकत्ते और दाने तेजी से उभरते हैं. साथ ही मरीज की नब्ज बहुत धीमे चलने लगती है.
तंत्रिका तंत्र खराब होने लगता है
डेंगू शॉक सिंड्रोम में मरीज का तंत्रिका तंत्र खराब होने लगता है और वह लगभग सदमे की हालत में आ जाता है. इसलिए इसे डेंगू शॉक सिंड्रोम कहा जाता है. डेंगू के दौरान ब्लड प्रेशर भी नापना जरूरी होता है. अगर बीपी घटने लगे तो स्थिति गंभीर हो जाती है. ऐसी स्थिति में मरीज को अस्पताल में भर्ती कराना सबसे जरूरी होता है.
इन बातों का रखें ध्यान
- अगर बच्चे या बड़े को बुखार है तो उसे पैरासीटामोल दें और घर पर ही लिक्विड डाइट देने के साथ मच्छरों से बचाव का ध्यान रखें.
- बुखार के मरीज का बार-बार बीपी जांचते रहें. साथ ही बच्चा है तो उससे पूछते रहें कि कहीं से खून तो नहीं आ रहा है. अगर ऐसा कोई लक्षण दिखाई दे तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें.
- एक या दो दिन में बुखार उतर रहा है तो घबराने की बात नहीं है, लेकिन अगर बुखार बढ़ रहा है तो उसे अस्पताल लेकर आएं और डॉक्टर को दिखाएं.
- अगर बुखार के साथ ही बच्चे के शरीर पर चकत्ते पड़ रहे हैं, वह अचेतावस्था में जा रहा है और उसे ठंड व कंपकंपी आ रही है तो ये लक्षण गंभीर हैं. ऐसे में बच्चे को बिना देर किए अस्पताल में लेकर पहुंचें.
- बच्चों को पूरी आस्तीन के कपड़े पहनाकर रखें, मच्छरों से बचाव करें. कहीं भी पानी जमा न होने दें. साफ-सफाई का ध्यान रखें.
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