लखनऊ: किसान क्रेडिट कार्ड देने को लेकर सख्त निर्देश जारी किए गए हैं. निर्देश पर गौर करें तो अधिसूचित फसलों में अब एक किसान को केवल एक ही किसान क्रेडिट कार्ड यानी केसीसी जारी किया जाएगा. एक नाम पर ही कई-कई केसीसी जारी किए जाने की बहुत बड़ी संख्या हैं. अब सभी की पहचान की जाएगी और फिर उनको कैंसिल भी किया जाएगा. बैंकों को इस बात के सख्त निर्देश दिए गए हैं कि पशुपालन व मछली पालन से संबंधित किसानों को भी केसीसी जारी करने को प्राथमिकता दी जाए और इस ओर तेजी लाई जाए. 


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एक किसान-एक केसीसी
आधार से खातों के संबद्ध होने के बाद इस बात की जानकारी मिलने लगी है कि बहुत बड़ी तादद में किसानों के द्वारा अलग-अलग बैंक से केसीसी लिए गए हैं. अब एक से ज्यादा कार्ड धारक के केसीसी निरस्त होंगे और ऐसा एक किसान-एक केसीसी के नियमों के अंतर्गत किया जाएगा. किसान क्रेडिट कार्ड देने में ऐसी बुरी स्थिति कोआपरेटिव बैंकों में देखी गई कि जिसके बाद आरबीआई और नाबार्ड के द्वारा इस पर गहरी चिंता जताई गई है. अप्रैल से जून के बीच के समय में तीन महीने में किसान क्रेडिट कार्ड का 32 प्रतिशत लक्ष्य पूरा हो पाया. निजी बैंकों की सरकारी योजनाओं में जिस तरह की कमजोर भागीदारी रही उस पर सवाल खड़े हो रहे हैं और इस संबंध में कई निर्देश भी दिए गए है. 


बढ़ रहा कारोबारी माहौल, लोन लेने वाले बढ़े
ध्यान देने वाली बात है कि बैंकों में लोन की संख्या अगर बढ़ती है तो इसे औद्योगिक निवेश के साथ ही प्रगति का संकेत माना जाता है. अगर इस साल की बात की जाए तो जून के आखिर तक 55 फीसदी से अधिर बैंकों का ऋण-जमा प्रवाह रहा, यह पिछले साल से लगभग 1.5 फीसदी अधिक दर्ज हुआ है. केवल 11 जिले में 40 प्रतिशत से कम ऋण और जमा का अनुपात है. इस साल प्रदेश में 3.48 लाख करोड़ देने का बैंकों के सामने लक्ष्य रखा गया है. वहीं अप्रैल से जून की अवधि में 1.24 लाख करोड़ रुपये लोन के रूप में दिए जा चुके हैं.


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