Yogi Cabinet Decisions: उत्तर प्रदेश में पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) पद पर तैनाती के लिए नई नियमावली बना दी गई है.  इसे सोमवार को कैबिनेट से मंजूरी भी मिल गई है. इतना ही नहीं, अब यूपी के डीजीपी का कार्यकाल दो साल का होगा. समिति के अध्यक्ष हाईकोर्ट के रिटायर न्यायाधीश (retired judge) होंगे. साथ ही इस समिति में प्रदेश के मुख्य सचिव, संघ लोक सेवा आयोग और यूपी लोक सेवा आयोग से नामित एक-एक व्यक्ति, अपर मुख्य सचिव गृह और एक रिटायर डीजीपी होंगे.


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अच्छे ट्रैक रिकॉर्ड और अनुभव की सीमा के आधार पर  चयन 
कैबिनेट के इस फैसले के बाद अब यूपीएससी को पैनल नहीं भेजा जाएगा. सेवा अवधि ,अच्छे ट्रैक रिकॉर्ड और अनुभव की सीमा के आधार पर डीजीपी का चयन किया जाएगा. हाईकोर्ट के रिटायर जज की अध्यक्षता वाली कमेटी डीजीपी का चयन करेगी. कमेटी में मुख्य सचिव, यूपीएससी की ओर से नामित एक व्यक्ति, उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष या उनकी तरफ से नामित व्यक्ति, अपर मुख्य सचिव या प्रमुख सचिव गृह और एक रिटायर डीजीपी होंगे.


दो साल का होगा कार्यकाल
अब यूपी के DGP का कार्यकाल दो साल का होगा. अगर तैनाती के बाद उनकी सेवा छह महीने ही शेष है तो सेवा अविधि को बढ़ाया जा सकता है. डीजीपी वही बनेगा जिसकी कम से कम 6 महीने की नौकरी बची हो. एक बार सिलेक्शन होने के बाद डीजीपी को दो साल तक कार्यकाल मिलेगा. 


सरकार हटा भी सकती है
नियमावली के मुताबिक डीजीपी पद पर वे ही अधिकारी चुने जाएंगे जो वेतन मैट्रिक्स 16 के लेवल में पुलिस महानिदेशक के पद पर कार्यरत हो.अगर नियुक्त डीजीपी किसी आपराधिक मामले या भ्रष्टाचार अथवा अपने कर्तव्यों का पालन करने में सफल नहीं हुए तो सरकार उन्हें दो साल का कार्यकाल पूरा होने से पहले ही हटा सकती है. डीजीपी को उनके पद से हटाने के लिए संबंधित प्रावधानों में भी हाई कोर्ट के निर्देश का पालन करना जरूरी होगी.