यूपी की वो जगह जहां करवा चौथ पर पसर जाता है सन्नाटा, महिलाएं नहीं रखतीं व्रत
करवाचौथ पर महिलाएं निर्जला व्रत रखकर पति की लंबी उम्र की कामना करती हैं. हिंदू पंचांग के अनुसार कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को यह त्योहार रखा जाता है. लेकिन यूपी में एक ऐसी भी जगह है, जहां करवा चौथ का व्रत नहीं रखा जाता है.
करवा चौथ 2024 कब है?
हिंदू पंचांग के अनुसार कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को सुहागिन महिलाएं करवा चौथ व्रत रखा जाता है. इस बार करवा चौथ 20 अक्टूबर रविवार को मनाया जाएगा. करवा चौथ के दिन सुहागिन महिलाएं पति की लंबी उम्र और खुशहाल जीवन के लिए निर्जला व्रत रखती हैं.
नहीं रखा जाता करवा चौथ व्रत
उत्तर प्रदेश में एक ऐसी जगह भी है, जहां करवा चौथ का पर्व आते ही गांव में सन्नाटा पसर जाता है और मायूसी छा जाती है. ये जगह है मथुरा जिले का कस्बा सुरीर. जहां करवा चौथ नहीं मनाया जाता है. यहां की महिलाएं अनहोनी के डर से सुहाग के लिए व्रत रखने में डरती हैं.
व्रत न रखने की वजह
सुरीर में करवाचौथ न मनाने के पीछे एक कहानी है. स्थानीय लोगों के मुताबिक, करीब डेढ़ सौ साल पहले गांव रामनगला (नौहझील) का ब्राम्हण युवक अपनी पत्नी को ससुराल से विदा कराकर सुरीर के रास्ते भैंसा-बुग्गी से गांव लौट रहा था. तभी सुरीर में क्षत्रिय समाज के लोगों ने भैंसा-बुग्गी रोक ली.
मोहल्ले के लोगों को दिया श्राप
बुग्गी में लगा भैंसा अपना बताते हुए विवाद खड़ा कर दिया. विवाद में युवक की हत्या कर दी गई. इस दिन करवाचौथ था. अपने सामने पति की मौत से गुस्साई नव विवाहिता ने मोहल्ले के लोगों को श्राप दिया कि अगर यहां किसी सुहागिन ने करवा चौथ का व्रत रखा तो उसकी तरह ही विधवा हो जाएगी. इसके बाद वह सती हो गई.
सुहागिनें नहीं करतीं शृंगार
कहा जाता है कि घटना के बाद मोहल्ले में अनहोनी शुरू होने लगी. यहां कई नव विवाहिताएं विधवा हो गईं. बुजुर्गों ने इसे सती का श्राप मान लिया और गलती के लिए क्षमा मांगी. तभी से यहां की कोई महिला करवा चौथ और अहोई अष्टमी मनाना तो दूर, इस दिन पूरा श्रृंगार भी नहीं करती है.
भूलकर भी नहीं रखती व्रत
सुरीर में क्षत्रिय समाज की महिलाएं खासतौर पर व्रत नहीं रखती. यहां करीब 200 से ढाई सौ परिवार क्षत्रिय समाज के हैं. क्षत्रिय महिलाओं में आज तक भय का माहौल बना हुआ है. व्रत ना रखने की परंपरा काफी समय से चली आ रही है.
गांव में भय
कहा जाता है इस समाज की कई महिलाएं करवा चौथ मनाने का श्राप झेल चुकी हैं. व्रत रखने पर उनके सुहाग उजड़ गए. यही वजह है कि गांव में आज तक डर का माहौल बना हुआ है.
आज तक नहीं टूटी परंपरा
यहां रहने वाली ओमवती देवी कहती हैं कि वह करवा चौथ के दिन व्रत नहीं रखतीं, बल्कि अपने परिवार की सलामती पर विश्वास रखती हैं. शांतिदेवी ने कहा कि सती माता अब श्राप नहीं, आशीर्वाद देती हैं. रही बात करवा चौथ और अहोई अष्टमी न मनाने की, तो वर्षों से चली आ रही इस परंपरा को तोड़ने की हिम्मत किसी में नहीं है.
नहीं रखती व्रत
नव विवाहित अपने सुहाग की सलामती के लिए सभी व्रत रखना तो चाहती हैं, लेकिन जब उनके ससुराल वालों ने उन्हें यहां की परंपरा बताई तो सब पीछे हट जाती हैं. उन्होंने व्रत रखने का ख्याल दिमाग से निकाल दिया. अपनी पति की लंबी उम्र के लिए निर्जला व्रत रखना एक सपना बन कर रह गया.
डिस्क्लेमर
यहां दी गई जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स और मान्यताओं पर आधारित है. इसकी विषय सामग्री का जी यूपीयूके दावा या पुष्टि नहीं करता.