बेजुबान जानवर के लिए पुलिसकर्मियों ने सजाई अर्थी, अनोखे तरीके से निकली `राकेश` की अंतिम यात्रा
पुलिस वालों ने उसकी देखभाल की और उस कुत्ते का नाम भी राकेश रख दिया. तब से डॉगी राकेश पुलिसवालों के साथ ही रहता था. पुलिसवाले इसे अपना साथी मानकर अपने साथ बड़े प्यार से साथ रखते थे
मेरठ: मेरठ के कमिश्नरी चौराहे पर मंगलवार को अनोखी तस्वीर देखने को मिली. यहां एक कुत्ते की मौत के बाद गमगीन पुलिसकर्मियों ने उसकी अंतिम यात्रा निकाली और उसे सुपुर्द-ए-खाक भी किया. कुत्ता कोरोना काल से मेरठ कमिश्नरी चौराहे पर तैनात पुलिसकर्मियों और पीएसी के जवानों के साथ रहता था. कुत्ते का मालिक राकेश उसे कोरोना के शुरुआती दौर में चौराहे पर छोड़ कर चला गया था, पुलिस वालों ने उसकी देखभाल की और उस कुत्ते का नाम भी राकेश रख दिया. तब से डॉगी राकेश पुलिसवालों के साथ ही रहता था. पुलिसवाले इसे अपना साथी मानकर अपने साथ बड़े प्यार से साथ रखते थे, लेकिन बीमारी के चलते मंगलवार को उसकी मौत हो गई.
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कुत्ते की लाश को कफन ओढ़ाया, मालाएं चढ़ाईं, नम आंखों से दी विदाई
कुत्ते राकेश की मौत से पुलिसकर्मी गमगीन हो गए. सुबह जब पीएसी के जवान अपनी डयूटी पर पहुंचे थे तो राकेश जिंदगी और मौत के बीच जूझ रहा था. कुछ देर बाद उसने प्राण त्याग दिए. इसके बाद पीएसी के जवानों ने विधिवत तरीके से उसकी शव यात्रा निकालने का मन बनाया. कुत्ते की लाश को कफन पहनाकर, मालाएं चढ़ाई गईं. इसके नम आंखों से कुत्ते की शव यात्रा निकाली गई. कुत्ते को कमिश्नरी पार्क में ही गड्ढे में सुपुर्द-ए-खाक कर दिया गया.
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पीएम मोदी ने सराहा था पुलिस जवानों के काम को
बताया जाता है कि डॉगी राकेश कुछ दिन पहले सर्दी लगने से बीमार हो गया था. बेजुबान राकेश की जिंदगी बचाने के लिए पुलिकर्मियों ने पूरी कोशिश की थी. उनके इस कार्य से प्रभावित होकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी मन की बात में ज़िक्र कर पुलिसवालो की भूरी-भूरी प्रशंसा की थी. पीएसी के जवान उस बेजुबान की सेवा में लगे हुए थे. पीएसी के जवानों ने आग की गर्मी देकर उसकी सेवा की, दवाई दी का भी देते थे. डॉगी राकेश को अस्पताल भी ले जाकर उसको दवाई दिलवाई, लेकिन उसकी मौत हो गई.
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मालिक के नाम पर रख दिया नाम
पीएसी में तैनात दारोगा उमेश सिंह ने कहा कि यह बेजुबान चौराहे पर रहता था. कोरोना काल में इसका मालिक राकेश यहां से चला गया था. लेकिन बेजुबान यहीं रहता था. इसकी हमने पूरी देखभाल की. बेजुबान जानवर को हमने राकेश का नाम दे दिया था. राकेश कहकर बुलाने पर यह दौड़ा चला आता था.
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