बिजनौर/ राजवीर चौधरी  उत्तर प्रदेश के बिजनौर में सालों से अदालत का भगोड़ा पुलिस को अपनी बीन पर नचाता रहा. पुलिस उसकी तलाश में जुटी रही. आरोपी सांप दिखाकर और बीन बजाकर जगह-जगह घूमकर अपना जीवन जीता रहा. लगातार प्रयास के बाद भी पुलिस नही हो पा रही थी सफल.


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आखिर क्या है पूरी कहानी?
बिजनौर के नजीबाबाद थाना क्षेत्र के ग्राम परमावाला निवासी सुनील कुमार  एक जनवरी 1998 में एक मकान में चोरी की थी. पुलिस ने सुनील समेत चार आरोपियों को जेल भेजा था. चारों आरोपी जमानत पर जेल से छूट गए थे. सुनील परिवार के साथ अस्थाई रुप से डेरा डालकर परमावाला में रहता था.वे सपेरा का काम करता था. जमानत के बाद वह कोर्ट में पेश नहीं हुआ. सात अगस्त 2002 को बिजनौर के एडीजे फाइव के यहां से सुनील का  गैर जमानती वारंट जारी हुआ. पुलिस ने उसकी तलाश की, लेकिन कोई पता नहीं चला. तब तक वह परिवार समेत परमावाला छोड़ चुका था.



पुलिस को उसके पैत्रिक गांव का पता नहीं था 
 पुलिस के पास उसके पैतृक गांव घोसीपुर सपेरा बस्ती थाना पथरी जिला हरिद्वार का पता नहीं था. पुलिस 26 साल तक उसकी तलाश करती रही. इस दौरान 25 से अधिक कप्तान बदल गए और 40 से अधिक थानेदार. उनकी खोजबीन पूरी नहीं हुई. सोमवार को नजीबाबाद पुलिस की टीम में शामिल दारोगा कयूम और सिपाही रोहित चौधरी ने सुरागरसी के बाद उसे साहनपुर क्षेत्र से दबोच लिया. सुनील को कोर्ट में पेश किया गया जहां से उसे जेल भेज दिया गया.


क्या थी सुनील की सच्चाई ?
दरअएसल सुनील सपेरा समाज से था. वह सांप का खेल दिखाकर रोजी रोटी कमाता था. परमावाला में उसका कोई स्थाई ठिकाना नहीं था. जमानत से छूटने के बाद वह वहां से गायब हो गया और उत्तराखंड और हरियाणा में जगह-जगह डेरा लगाने लगा. वह बीन बजाकर सांप का तमाशा दिखाता . लक्सर और हरिद्वार में घूमता. 


हर छह माह पर बदलता था ठिकाना 
सुनील छह-छह माह के बाद अपना ठिकाना बदलता रहता था.  वर्तमान में इसका डेरा लक्सर क्षेत्र में था . इस दौरान उसने हुलिया बदल लिया था. दाड़ी बढ़ा ली और मोटा हो गया.


26 साल बाद कैसे आया पुलिस के काबू?
एसपी नीरज जादौन ने दस दिन पहले नजीबाबाद थाना पुलिस को  भगोड़े सुनील को पकड़ने का टास्क दिया था. सुनील की गिरफ्तारी के लिए दारोगा मोहम्मद कय्यूम और सिपाही रोहित चौधरी को लगाया गया. उसके गांव के बारे में जानकारी निकाल कर उसके पैत्रिक गांव घोसीवाला पहुंचे। पैत्रिक गांव घोसीवाला से उसके परिवार के कुछ लोग मिले और इसके बारे में सटीक सूचना दी. जिसके बाद वे पुलिस के हत्थे चढ़ा.