अभिषेक माथुर/अलीगढ़: 15 अगस्त को भारत अपनी आजादी का जश्न धूमधाम से मनाता है. देश का हर नौजवान आजादी के इस जश्न को सेलीब्रेट करने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ता है. जब देश की राजधानी दिल्ली में लाल किले पर तिरंगा शान से फहराया जाता है, तो हर हिन्दुस्तानी का सीना फख्र से तन जाता है. ऐसे में युवा उन शहीदों को भी याद करते हैं, जिन्होंने अपनी बहादुरी और पराक्रम से इस देश को आजादी दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी.


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631 शहीद जवानों के नाम
उत्तर प्रदेश के हापुड़ जिले से भी एक ऐसा नौजवान सामने आया है, जिस पर देशभक्ति का ऐसा जुनून सवार है कि वह अपने देश के शहीद हुए जवानों का नाम किसी भी तरह से अपनी आंखों के सामने से ओझल नहीं होने देना चाहता. उसे हर दिन अपने शहीद हुए जवान याद रहें, इसके लिए उसने अपने शरीर पर 631 शहीद जवानों के नाम गुदवा लिये. 


‘लिविंग वॉल मेमोरियल’ के खास नाम से पहचान
देशभक्त युवा ने अपने पूरे शरीर पर शहीद जवानों के नाम के अलावा एक शहीद स्तंभ भी बनवाया हुआ है. यहीं वजह है कि उसकी इस तरह की देशभक्ति के कारण इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड में उसका नाम तक दर्ज हो गया है और उसे ‘लिविंग वॉल मेमोरियल’ के खास नाम से पहचान दी जाने लगी है.


एक शहीद स्तंभ शरीर पर गुदवा लिया
हापुड़ के रहने वाले देशभक्त नौजवान अभिषेक गौतम ने बताया कि वह लेह लद्दाख राइड पर गया था. जहां से उसमें देशभक्ति की भावना जागी और उसने कारगिल में शहीद हुए जवानों की वीर गाथाओं को पढ़ा. यहीं से उसे एहसास हुआ कि एक आम आदमी के पारिवारिक माहौल में और जवान के परिवार के माहौल में कितना अंतर होता है. यहीं से उसने उन जवानों के परिवारों के करीब जाने की सोची और इसके लिए उसने सबसे पहले कारगिल में शहीद हुए 559 जवानों के नाम एक शहीद स्तंभ के साथ अपने शरीर पर गुदवा लिए. 


जवानों को बनाए आइडियल
अभिषेक गौतम ने बताया कि जवानों के परिवारीजनों को अपनेपन का एहसास कराने के लिए वह पहले शहीद जवानों के नाम को अपने शरीर पर गुदवाते हैं और उसके बाद उनसे मिलते हैं. यही वजह है कि उनके शरीर पर 631 शहीद जवानों के नाम दर्ज हैं. इसी कारण उन्हें इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्डस ने भी सम्मानित किया है. साथ ही अब साथ के लोगों ने उसे ‘लिविंग वॉल मेमोरियल’ नाम का टाइटल भी दिया है. देशभक्त अभिषेक गौतम का कहना है कि वह इससे समाज को संदेश देना चाहते हैं कि अगर किसी नौजवान को अपना आइडियल किसी को बनाना है, तो सेना के जवानों को बनाना चाहिए. इससे अच्छे आइडियल उन्हें नहीं मिल सकते हैं.


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