Jayant Chaudhary Video: केंद्र सरकार में मंत्री और बीजेपी के सहयोगी दल राष्ट्रीय लोकदल के प्रमुख जयंत चौधरी ने कांवड़ यात्रा मार्ग वाले जिलों में मुस्लिम दुकानदारों द्वारा दुकान पर अपना नाम लिखने के फरमान पर करारा हमला बोला है. उन्होंने मुजफ्फरनगर में सोमवार को एक कार्यक्रम के दौरान खुलकर इस मुद्दे पर सरकार की मुखालफत की. 


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जयंत चौधरी का कावड़ मार्ग पर नेम प्लेट को लेकर कहा कि वो सरकार के इस फैसले से खुश नहीं हैं. कांवड़ ले जाने वाले या सेवादार की कोई पहचान नहीं होती है. धर्म या जाति की पहचान करके कोई सेवा नहीं लेता है. इस मामले को धर्म और जाति से भी नहीं जोड़ा जाना चाहिए. सब अपनी दुकानों पर नाम लिख रहे हैं. लेकिन मैकडॉनल्ड और बर्गर किंग क्या लिखेगा. सरकार ने यह फैसला ज्यादा सोच समझ कर नहीं लिया है.अब फैसला ले लिया तो उस पर टिक रहे हैं. अभी भी समय है वापस हो जाना चाहिए या इस पर ज्यादा जोर नहीं दिया जाना चाहिए. मुसलमान भी शाकाहारी यानी वेजिटेरियन होते हैं और हिन्दू भी नॉनवेज खाने वाले होते हैं. कहां-कहां नाम लिखते फिरेंगे, क्या अब कुर्ते में भी नाम लिखना शुरू कर दें क्या ताकि देख कर हाथ मिलाना है या गले लगाना है.


मुजफ्फरनगर में शहीद जवान की प्रतिमा का अनावरण करने के लिए पहुंचे जयंत ने ये तीखी प्रतिक्रिया दी. जयंत चौधरी ने यह प्रतिक्रिया ऐसे वक्त दी, जब उनके बगल में यूपी सरकार के मंत्री अनिल कुमार साथ थे. गौरतलब है कि कांवड़ यात्रा सहारनपुर, मुजफ्फरनगर, गाजियाबाद, हापुड़, बागपत, मेरठ समेत कई पश्चिमी यूपी के जिलों से गुजरती है. इन इलाकों में यही फरमान चल रहा है. 


इससे पहले स्वामी रामदेव ने भी कांवड़ मुस्लिम नाम के विवाद पर प्रतिक्रिया दी थी. उन्होंने कहा था कि अगर रामदेव नाम बता सकता है तो रहीम क्यों नहीं. गौरतलब है कि मुजफ्फरनगर प्रशासन ने सबसे पहले ये निर्देश दिया था कि कांवड़ रूट पर सभी दुकानदार अपनी दुकान पर स्वेच्छा से अपने-अपने नाम लिखेंगे. होटल-ढाबे ही नहीं ठेले वालों के लिए भी ये फरमान सुना दिया गया. पुलिस खुद दुकानों पर नाम लिखवाने के लिए भी पहुंच गई. टायर पंक्चर से परचून वालों की दुकान पर भी इसे सख्ती से लागू कराया गया. 


समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव ने भी इसका तीव्र विरोध किया था. उन्होंने कहा था, अगर किसी दुकानदार का नाम छोटू, गुड्डू, पप्पू और मुन्ना है तो वो अपनी दुकान पर क्या लिखेगा. कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अजय राय ने भी इसे सांप्रदायिक जहर फैलाने वाला कदम बताया था. यूपी सरकार के कई मंत्रियों ने हालांकि इसका बचाव किया है. 


यूपी सरकार के मंत्री कपिल देव अग्रवाल की मांग से यह पूरा मामला शुरू हुआ था, उन्होंने धर्म छिपाकर धंधा करने वालों पर सवाल उठाए थे और प्रशासन से कदम उठाने को कहा था. 


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