दिवाली हम सभी के जीवन में कई किस्म की खुशियां लेकर आती है. इस दिन सारे दुश्मन भी दुश्मनी भुलाकर एक दूसरें को दिवाली की शुभकामनाएं देते हैं. दिवाली के बाद छठ पूजा हमारा सबसे बड़ा त्यौहार होता है. बिहार, झारखण्ड और उत्तरप्रदेश में लोग बड़ी ही धूम धाम के साथ छठ पूजा मनाते हैं. पण्डित चंद्रशेखर मलतारा के मुताबिक इस बार 17 से 20 नवंबर तक छठ पूजा मनाई जाएगी और 20 नवंबर को ही छठ पूजा का समापन हो जाएगा. उत्तरप्रदेश समेत कई शहरों में सरकार द्वारा नदियों की सफाई भी कर दी गई है.
छठपूजा पर सूर्यदेव को प्रसन्न करें
17 नवंबर को सुबह जल्दी उठकर स्नान करें. प्रात: काल स्नान करने के बाद सूर्यदेव की पूजा करें. थोड़ा गुड़ और कच्चे चावलों को नदी में प्रवाहित करने से हमारे ग्रह भी शांत होंगे. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार इससे सूर्यदेव हमसे प्रसन्न होते हैं. 17 नवंबर के ही दिन उत्तरप्रदेश और बिहार में दूध, चावल और गुड़ की खीर खाने का रिवाज भी होता है. छठ पूजा मनाने वाले लोग इसे छठी माता और सूर्यदेव का प्रसाद भी मानते हैं.  छठ पर्व में 19 नवंबर यानी अंतिम दिन से एक दिन पहले का समय श्रेष्ठ है. इस दिन सूर्यास्त के समय सूर्यदेवता को अर्घ्य दिया जाना है. इस दिन सूर्य देवता को आटे और चावल से बनें लड्डू, देशी घी का ठेकुआ और पांच फलों का भोग लगाया जाता है. भोग के बाद शाम के समय ही सभी व्रती नदी के किनारें सूर्यदेवता को अर्घ्य देंगे. 20 नवंबर के दिन ही छठ पूजा का समापन हो जाएगा. सुबह उगते सूरज पर सभी व्रती महिलाएं अर्घ्य देंगी. यह अर्घ्य नदी के बहते पानी में खड़े होकर दिया जाएगा. पूजा पूरी होने के बाद सभी को ठेकुआ और फलों का प्रसाद बांटा जाएगा. 20 नवंबर को इसी तरह देश में छठ पूजा का समापन हो जाएगा खासकर यूपी, बिहार और झारखण्ड में.


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Disclaimer: यहां दी गई सभी जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. Zeeupuk इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.