संभल: उत्तर प्रदेश के संभल जिले में बबराला में रहने वाली आंचल की जिंदगी अभी शुरू ही हुई थी, लेकिन देश और समाज की कुछ चिंताएं उस पर इस तरह हावी हुईं कि उसने दुनिया छोड़ देने की ठान ली. 15 साल की छात्रा आंचल गोस्वामी ने खुदकुशी से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम सुसाइड लेटर लिखा है. इस नोट को सुसाइड लेटर कम और विमर्श ज्यादा कहा जा सकता है. 19 पेज के लेटर में आंचल ने घर-परिवार ही नहीं, देश और समाज के हालात पर भी चिंता जाहिर की है. बढ़ते प्रदूषण और बढ़ती जनसंख्या जैसे मुद्दे भी उठाए हैं और पीएम से इनके समाधान की अपेक्षा रखी है. परिजन अब चाहते हैं कि ये चिट्ठी पीएम मोदी तक पहुंचे और उनकी दिवंगत बेटी की चिंताओं से प्रधानमंत्री मोदी रूबरू हों. 


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'प्रधानमंत्री जी, आप जैसा कोई नहीं'
आंचल ने सुसाइड नोट में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तारीफ करते हुए लिखा है कि देश में कई पीएम हुए पर आप जैसा कोई नहीं. मेरे हृदय में आपके लिए अत्यधिक सम्मान है, काश मैं अपनी उम्र आपको दे पाती. आपमें संस्कार कूट-कूटकर निवास करते हैं. यह देश वर्षों से अंधेरे में था और आप पहले सूर्य बनकर उभरे हैं. प्रधानमंत्री जी मैं आपसे पर्सनल मीटिंग करना चाहती थी, परंतु यह असंभव है क्योंकि आप खुद को ही समय नहीं दे पाते हो. निरंतर देश की सेवा में लगे रहते हो.


'मुझे नहीं पसंद यह दुनिया'
आंचल बेहद भावुक लेटर में लिखती हैं कि दुनिया उन्हें इसलिए नहीं पसंद है क्योंकि यहां पर लोग झगड़े करते हैं. मां-बाप को वृद्ध आश्रम भेज देते हैं, उनके साथ गाली-गलौज मारपीट करते हैं. लोग पेड़-पौधे अपने हितों के लिए काटते हैं, जानवरों पर अत्याचार करते हैं. आंचल बताती है कि उसे नफरत है ऐसे लोगों से जो अपने राष्ट्रगान पर खड़े होने से कतराते हैं और देश विरोधी गतिविधियों में हिस्सा लेते हैं.


'परिस्थितिया बड़ी अनमोल होती हैं'
श्री राम मंदिर का शिलान्यास होने को लेकर आंचल ने चिट्ठी में  लिखा है कि 'बरसों से अधूरे पड़े कार्यों को आपने पूर्ण किया, जय श्री राम. परिस्थितियां बड़ी अनमोल होती हैं, क्योंकि कभी हमें पार लगा देती है तो कभी डुबो देती हैं. मैं निराकार अर्थात शिव के निष्काल रूप से प्रार्थना करती हूं कि भारत को मजबूत बनाएं, अमर बनाएं.


बढ़ते प्रदूषण से भी आहत थी आंचल 
आंचल ने अपनी चिट्ठी में लिखा है कि, भारत तो औषधि का देश है, पर अब प्रदूषित हवा हर जगह फैल रही है। प्रधानमंत्री जी, क्या आप मेरी इच्छाओं को पूर्ण कर सकेंगे? चाइना भारत को खिलौने आदि प्लास्टिक का सामान भेजता है. वह खिलौने महीने तो दूर कुछ ही दिन चलते हैं और वह कूड़ा भारत की जमीन को और जहरीला बना देता है. लोग सड़कों पर कूड़ा फैलाते हैं तो उन पर कार्रवाई की जाए तथा उन्हें डस्टबिन उपलब्ध कराए जाएं. छोटी नदियों के आधा किलोमीटर तथा बड़ी नदियों के एक किलोमीटर तक वृक्षों का रोपण करवाएं इससे बहुत अधिक फायदा होगा. आप वाटर हार्वेस्टिंग पर भी जोर दें.


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जनसंख्या रोकने के लिए बनाएं सख्त कानून
आंचल ने सुसाइड नोट में लिखा है कि प्रधानमंत्री जी, भारत की आबादी 135 करोड़ हो चुकी है. वह दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है. इससे संसाधन की पूर्ति करना असंभव हो जायेगा, इसलिए दो से अधिक बच्चे होने पर सख्त से सख्त कानून बनाएं तथा ऐसे लोगों को जेल भेजने के साथ ही जुर्माना भी वसूला जाए. 


'अपनी इच्छा से कर रही हूं आत्महत्या'
अंत में आंचल ने लिखा है कि, मैं आत्महत्या अपनी इच्छा से कर रही हूं. इसका कोई भी जिम्मेदार नहीं है, न कोई घर वाला न कोई बाहर वाला. अपने परिवार से माफी मांगते हुए आंचल लिखती है कि, 'मैं मजबूर हूं, मेरे दिमाग ने क्या बना दिया, नर्क कर दी है मेरी जिंदगी. हां यह शरीर सिर्फ कपड़ा है जो कमजोर था... अलविदा.'


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