Jama Masjid or Neelkanth Temple history: संभल जामा मस्जिद फिलहाल चर्चाओं में बनी हुई है. यहां कोर्ट के आदेश पर सर्वे भी हुआ और इसके बाद हिंसा भी भड़की. उत्तर प्रदेश में बदायूं जामा मस्जिद बनाम नीलकंठ महादेव मंदिर मामले में सुनवाई टल गई है. अब अगली सुनवाई जिला कोर्ट में 10 दिसंबर को होगी. बदायूं की जामा मस्जिद को लेकर हिंदू पक्ष का दावा है कि यहां पहले नीलकंठ महादेव मंदिर था. बता दें कि ये मामला फिलहाल फास्ट ट्रैक कोर्ट में चल रहा है. आइए इस लेख में जानते हैं मस्जिद और मंदिर के इतिहास के बारे में.


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बदायूं मस्जिद का इतिहास


बदायूं की जामा मस्जिद देश की प्रमुख मस्जिदों में एक है. यह मस्जिद अपने समय की वास्तुकला का श्रेष्ठ उदाहरण है. दिल्ली के बादशाह रहे इल्तुतमिश ने 1210 में इसकी नींव तब रखी थी जब वह बदायूं का सूबेदार था. 1223 में जब इल्तुतमिश दिल्ली का बादशाह था तब बदायूं के सूबेदार उसके बूटे रुकुनुद्दीन जामा मस्जिद का निर्माण पूरा कराया, लेकिन पूर्ण रूप से 1225 में तैयार हुई थी. इतिहासकार गिरिराज नंदन की पुस्तक बदायू दर्शन में इसका उल्लेख किया गया है.


मुस्लिम पक्ष का दावा


मस्जिद 850 साल पुरानी है बदायूं जामा मस्जिद के वकील असरार अहमद ने बताया, मस्जिद करीब 850 साल पुरानी है और वहां मंदिर का कोई अस्तित्व नहीं है. उन्होंने कहा, इस मामले में हिंदू महासभा ने जो याचिका दायर की है, उसका कोई अधिकार ही नहीं है. यहां पूजा-अर्चना की अनुमति देने का कोई मामला नहीं बनता. मुस्लिम पक्ष ने दावा किया है कि शम्सी मस्जिद में कभी मंदिर होने के कोई सबूत नहीं है. इस मस्जिद का निर्माण सूफी संत बादशाह शमशुद्दीन अल्तमश ने कराया था. शमशुद्दीन अल्तमश जब बदायूं आए थे तो उन्होंने अल्लाह की इबादत के लिए इसे बनवाया था.


नीलकंठ महादेव मंदिर होने का दावा


हिन्दू पक्ष की ओर से दावा किया है कि बदायूं की जामा मस्जिद शम्सी को नीलकंठ महादेव मंदिर को तोड़कर बनाया गया था. मस्जिद से पहले मंदिर था. हिंदू पक्ष के वकील विवेक रेंडर का कहना है कि हिंदू पक्ष की तरफ से कोर्ट में ठोस सबूत पेश किए गए हैं. मुस्लिम पक्ष की मानें तो सूफी विचारक बादशाह शमशुद्दीन अल्तमश जब बदायूं आए थे, तब उन्होंने यहां पर अल्लाह की इबादत करने के लिए मस्जिद बनवाई थी. यहां पर कभी मंदिर या मूर्ति होने का कोई सबूत नहीं है. इसको लेकर जो दावे किए जा रहे हैं, वो झूठ है और हकीकत के खिलाफ हैं.


हिन्दू पक्ष के दावों में कितना दम है, इसके लिए zee news Team ने गहन रिसर्च की औरजो तथ्य और साक्ष्य निकल कर आये वो हिन्दू पक्ष के दावों को और मजबूत करते हैं. आइए जानते हैं....


पहला प्रमाण


Archeological Survey of India (ASI) की साल 1875 से 1880 तक बदायूं से लेकर बिहार तक किये गए सर्वेक्षण की 148 साल पुरानी 'TOURS IN THE GANGETIC PROVINCES from Badaon to Bihar' नाम की रिपोर्ट है. जिसे ASI के संस्थापक एलेक्जेंडर CUNNINGHAM ने तैयार किया था.



इस रिपोर्ट के पहले पन्ने पर ही बदायूं की विवादित जामा मस्जिद शम्सी की सर्वेक्षण रिपोर्ट है. इसमें लिखा है कि बदायूं में इस्लामिक आक्रांताओं के शासन से पहले यहां के राजा महिपाल ने हरमंदर नाम से एक हिन्दू मन्दिर बनवाया था.जिसे तोड़ दिया गया था और इसी स्थान पर बदायूं की जामा मस्जिद को बनवाया था. रिपोर्ट में आगे अलेक्जेंडर कनिंघम लिखते हैं. बदायूं के लोगों का एक सुर में मानना है कि हिन्दू मन्दिर को गिराने के बाद मन्दिर की मूर्तियों को इस्लामिक आक्रमणकारियों ने जहां नमाज़ पढ़ी जाती है, उसके सामने कहीं जमीन के अंदर गाड़ दिया है.



4 गुम्बद मंदिर के खंबे? अलेक्जेंडर कनिंघम की इसी रिपोर्ट के पेज नंबर 4 पर लिखा है कि जामा मस्जिद शम्सी जो भारत की सबसे बड़ी मस्जिद में से एक है, उसकी दीवार का निचला भाग हिन्दू मन्दिरों के अवशेष को ध्वस्त करके बनाया गया है. रिपोर्ट के पेज नंबर 6 पर लिखा हुआ है कि मस्जिद में मौजूद 4 गुम्बदों के खम्बे असल में उस हिन्दू मन्दिर के हैं, जिसे ढहा कर मस्जिद का निर्माण किया गया था. एक और सर्वे में चौंकाने वाला खुलासा वर्ष 1926 में ASI के एक और अधिकारी जेएफ ब्लैकिस्टन ने भी बदायूं की जामा मस्जिद का सर्वेक्षण किया. उन्होंने बदायूं में जामा मस्जिद के इतर BUILDINGS IN THE UNITED PROVINCES नाम की अपनी रिपोर्ट के पेज 4 पर जामा मस्जिद के केंद्रीय गुम्बद को सहारा दे रहे छोटे खम्बों को ढहाकर हिन्दू मन्दिरों का खंबा बताया.



सरकारी गैजेटर में भी मिले सबूत


यह उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा साल 1986 में जारी किया गया बदायूं जनपद का गैज़ेटर है. जिसे यूपी की तत्कालीन कांग्रेस सरकार के समय मे जारी किया गया था. इस सरकारी गैज़ेटर के पेज 249 पर साफ लिखा हुआ है कि मुस्लिम आक्रांता इल्तुतमिश मौलवी टोला स्थित जामा मस्जिद शम्सी का निर्माण, ध्वस्त हिन्दू मन्दिर की जगह पर किया है.


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