Tota Maina Kabra History: संभल में पौराणिक मंदिर और कूपों के साथ रहस्यमय बावड़ी और इमारतों के मिलने का सिलसिला जारी है. चंदौसी में राजा की 200 साल से अधिक बावड़ी मिलने के बाद संभल में रहस्यमय बावड़ी और तोता मैना की सैकड़ों साल पुरानी कब्र मिली है. संभल में मिली रहस्यमय बावड़ी इलाके के लोगों के बीच चोरों के कुएं के नाम से मशहूर है, लेकिन इस रहस्यमय बावड़ी से कुछ दूरी पर बनी एक कब्र भी कम रहस्यमय नहीं है. कब्र पर लिखी आयते भाषा के जानकारों के लिए आज भी अबूझ पहेली बनी हुई है. 


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रहस्‍यमय बावड़ी सैनिकों के लिए छिपने का ठिकाना 
दरअसल, संभल का इतिहास काफी पौराणिक रहा है. संभल में मिली विशाल रहस्यमय बावड़ी राजपूत राजा के काल में सैनिकों के ठहरने और छिपने का स्थान हुआ करता था जो कि राजपूत काल खत्म होने के बाद इलाके में लूटमार और चोरी करने वाले डाकुओं और चोरों का ठिकाना बन गया है. डाकू और चोर इस बावड़ी में छिपने के साथ ही लूटपाट की सम्पत्ति के खजाने को छिपाने के लिए इस्तेमाल करते थे जिसकी वजह से इस बावड़ी का नाम चोरों का कुआं पड़ गया. 


1400 साल पुरानी कब्र 
तोता मैना कब्र करीब 1400 साल पुरानी है. यहां पर लिखी हुईं आयतों को आज तक कोई भी नहीं पढ़ पाया है. यह कब्र एक तोता मैना की है. लेकिन हजारों साल के बाद भी एक से एक फारसी के विद्वान के लिए भी इस पर लिखी आयतें एक अनसुलझी पहेली है. 


बीहड़ में बनी है कब्र
संभल में मौजूद तोता मैना की रहस्यमयी कब्र शहर से 6 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है. यहां पर एक बीहड़ जंगल है. कब्र के ऊपर लिखी आयतें और इस कब्र का राज जानने के लिए कई भाषाओं के जानकार लोग यहां आ चुके हैं, लेकिन उसे पढ़ने में सभी लोग आज तक नाकाम रहे हैं. 


पृथ्वीराज चौहान से जुड़ी कहानी
संभल में इस तोता मैना की रहस्य भरी कब्र को लेकर पृथ्वीराज चौहान की भी एक कहानी मशहूर है. इतिहासकारों के अनुसार यह जगह राजपूत राजा पृथ्वीराज चौहान की राजधानी हुआ करता थी. उस समय राजा पृथ्वीराज चौहान तोता मैना के इस जोड़े के एक दूसरे के प्रति प्रेम से बहुत प्रभावित थे. दोनों की मृत्यु के बाद पृथ्वीराज चौहान ने उनकी याद में यह कब्र बनवाई थी. उसके साथ ही पृथ्वीराज चौहान के कहने पर इके ऊपर तोता मैना की प्रेम कहानी कब्र पर लिखी गई थी. लेकिन आज तक किसी भी भाषा के जानकार द्वारा वह पढ़ा नहीं जा सका है. 


ऐतिहासिक इतिहास
आपको बता दें कि संभल का इतिहास अपने आप में बहुत सी कहानियां समेटे हुए है. पुरातत्वविदों के अनुसार आज भी संभल से हजारों सालों पुरानी ऐतिहासिक मूर्तियां और ताम्र फलक आदि मिलते रहते हैं. इनके साथ ही यहां से राजपूत  राजाओं की आराध्य देवी चतुर्भुज महिष मर्दिनी की मूर्ति समेत तमाम पुरावशेष भी मिले हैं. 


 



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