लखनऊ: बीजेपी नेता कृष्णानंद राय की हत्या के वक्त आरोपी मुख्तार अंसारी और अभय सिंह के बीच हुई बातचीत का ऑडियो सामने आया है. यह ऑडियो 15 साल पुराना बताया जा रहा है. इसमें मुख्तार अंसारी माफिया अभय सिंह से बातचीत कर रहा है. 
सुनिए मुख्तार अंसारी और अभय सिंह के बीच हुई बातचीत के अंश.


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हेलो, अभय सिंह बोल रहा हूं


मुख्तार: बोलो ठाकुर.


अभय: भैय्या वो जमीन में बीच में मामला बिगड़ गया.


मुख्तार: हां, थोड़ा बदमाशी किया है वो, लेकिन तुम वो छोड़ो अभी. अभी यहां पता चला है कि गोली चल रही है कृष्णानंद राय और मुन्ना बजरंगी के बीच में.


अभय: कहां भैय्या?


मुख़्तार: कृष्णानंद राय के गांव में दोनों तरफ से मुकाबला चल रहा है.


अभय: दोनों तरफ से या एकतरफा?


मुख़्तार: जय श्री राम!


अभय: अच्छा-अच्छा.


मुख़्तार: सुनो-सुनो काट लीन्ही, मुट्ठी में.


अभय: अच्छा-अच्छा ठीक है बाद में बात करते हैं.


यह ऑडियो बीजेपी नेता कृष्णानंद राय की हत्या के वक्त का बताया जा रहा है. जेल में बंद डॉन मुख़्तार अंसारी ने माफिया अभय सिंह को कॉल किया था. इसमें मुख्तार अभय सिंह को बता रहा है कि, काट ली, काट के मुट्ठी में ले ली. फोन कॉल में मुख़्तार बोला गोलियां चल रहीं हैं दोनों तरफ से. इस पर अभय पूछता है कि दोनों तरफ से या सिर्फ एक तरफ से? बाद में मुख्तार अभय को समझाता है कि काट ली यानी कृष्णानंद राय की चुटिया काट ली.
दरअसल, मुख्तार अंसारी वो चोटी जो कृष्णानंद राय चोटी रखा करते थे, जिसे वो अपनी शान समझते थे. मुख़्तार अंसारी और अभय सिंह के बीच 15 साल के पहले फोन पर हुई बातचीत का यह ऑडियो अब सामने आया है. 


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कौन है मुख्तार अंसारी?
मुख्तार अंसारी का जन्म यूपी के गाजीपुर जिले में ही हुआ था. उसके दादा मुख्तार अहमद अंसारी अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष रहे. जबकि उसके पिता एक कम्युनिस्ट नेता थे. राजनीति मुख्तार अंसारी को विरासत में मिली. किशोरावस्था से ही मुख्तार निडर और दबंग था. उसने छात्र राजनीति में कदम रखा और सियासी राह पर चल पड़ा. कॉलेज में मुख्तार ने एक प्रतियोगिता में स्वर्ण पदक जीतने के अलावा कुछ खास नहीं किया, लेकिन राजनीति विज्ञान के एक सेवानिवृत्त प्रो. बीबी सिंह के मुताबिक वह एक आज्ञाकारी छात्र था. 


कृष्णानंद राय हत्याकांड को दिया था अंजाम
मुख्तार अंसारी जेल में बंद था. इसी दौरान बीजेपी विधायक कृष्णानंद राय और उनके 6 अन्य साथियों को सरेआम गोलीमार हत्या कर दी गई. हमलावरों ने 6 एके-47 राइफलों से 400 से ज्यादा गोलियां चलाई थीं. मारे गए सातों लोगों के शरीर से 67 गोलियां बरामद हुईं थीं. इस हमले का एक महत्वपूर्ण गवाह शशिकांत राय 2006 में रहस्यमयी परिस्थितियों में मृत पाया गया था. उसने कृष्णानंद राय के काफिले पर हमला करने वालों में से अंसारी और बजरंगी के निशानेबाज अंगद राय और गोरा राय को पहचान लिया था.


कृष्णानंद राय की हत्या के बाद मुख्तार अंसारी का दुश्मन ब्रजेश सिंह गाजीपुर-मऊ क्षेत्र से भाग निकला था. 2008 में उसे ओडिशा से गिरफ्तार किया गया था. 2008 में अंसारी को हत्या के एक मामले में एक गवाह धर्मेंद्र सिंह पर हमले का आरोपी बनाया गया था, हालांकि बाद में पीड़ित ने एक हलफनामा देकर अंसारी के खिलाफ कार्यवाही रोकने का अनुरोध किया था. 2012 में महाराष्ट्र सरकार ने मुख्तार पर मकोका लगा दिया था. मुख्तार के खिलाफ हत्या, अपहरण, फिरौती सहित जैसे कई आपराधिक मामले दर्ज हैं. मुख्तार अंसारी फिलहाल लखनऊ की जेल में है.