फोरेंसिक टीम के मुताबिक 30-06 विनचेस्टर कारतूस का इस्तेमाल 1970 में अमेरिकन सेना किया करती थी. इन कारतूसों का इस्तेमाल स्प्रिंग फील्ड रायफल, इन फील्ड राइफल, सेमी ऑटोमेटिक एम-01, ग्रारनेड रायफल, सेमी ऑटोमेटिक जॉनसन रायफल, फैमेज माउनर जैसे पिस्टल्स में होते हैं.
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कानपुर: बिकरू कांड में बड़ा खुलासा हुआ है. हत्याकांड में इस्तेमाल होने वाले कारतूस को लेकर फोरेंसिक टीम ने खुलासा किया है. टीम ने अपनी जांच में पाया कि पुलिसवालों पर विकास दुबे गैंग ने अमेरिकी 30-06 विनचेस्टर कारतूस से हमला किया था. फोरेंसिक टीम ने बताया कि हत्याकांड में इस्तेमाल होने वाले कारतूस सिर्फ अमेरिकी सेना इस्तेमाल करती थी. यह करीब 50 साल पुरानी हैं.
फोरेंसिक टीम के मुताबिक 30-06 विनचेस्टर कारतूस का इस्तेमाल 1970 में अमेरिकन सेना किया करती थी. इन कारतूसों का इस्तेमाल स्प्रिंग फील्ड रायफल, इन फील्ड राइफल, सेमी ऑटोमेटिक एम-01, ग्रारनेड रायफल, सेमी ऑटोमेटिक जॉनसन रायफल, फैमेज माउनर जैसे पिस्टल्स में होते हैं.
किससे बने होते हैं ये कारतूस?
ये कारतूस आमतौर पर पीतल व तांबे के बने होते हैं. इनकी बॉडी व नोक बेहद सख्त स्टील की होती है जो मोटे से मोटे लोहे की चादर के पार जा सकती है. इन्हीं कारतूस से बिकरु कांड में गोपाल सैनी के भाई के घर में लोहे के गेट के पार हो गई थी.
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क्या हुआ था 2 जुलाई की आधी रात?
आपको बतां दे कि 2 जुलाई की दरम्यानी रात कानपुर के बिकरू गांव में गैंगस्टर विकास दुबे को पुलिस गिरफ्तार करने गई थी. जिसमें विकास दुबे और उसके साथियों ने सीओ समेत 8 पुलिस जवानों की हत्या कर दी थी. इसमें 6 पुलिस जवान घायल भी हो गए थे. विकास के गुर्गों ने पुलिस से हथियार लूट लिए थे. घटना को अंजाम देकर वह फरार हो गया था. पुलिस ने जगह-जगह छापेमारी कर उसके कई गुर्गों को मार गिराया था. इसके बाद 8 जुलाई को नाटकीय ढंग से विकास दुबे ने मध्य प्रदेश के उज्जैन के महाकाल मंदिर से सरेंडर किया था. यूपी एसटीएफ उसे लेकर कानपुर आ रही थी. तभी रास्ते में पुलिस गाड़ी हादसे का शिकार होकर पलट गई थी. विकास दुबे वहां से भागने की कोशि कर रहा था जिस पर पुलिस ने उसे एनकाउंटर में मार गिराया था.
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