नाग पंचमी आज, भूलकर भी न करें ये काम वरना राहु का झेलना पड़ सकता है प्रकोप
Nag Panchami 2024 : हिंदू धर्म में भोजन को भी धर्म से जोड़ कर देखा जाता है. अन्न ही ब्रह्म है. रसोई में मां अन्नपूर्णा का वास होता है. ऐसी मान्यताओं के तहत भोजन और त्योहारों से जुड़े कुछ खास नियम होते हैं.
Nag Panchami Puja Kaise Karen : देशभर में आज नाग पंचमी (Nag Panchmi 2024) का त्योहार मनाया जा रहा है. इस दिन नाग देवता की पूजा की जाती है. नाग पंचमी पर नाग देवता की पूजा करने से घर में धन दौलत बढ़ती है. साथ ही सर्पदंश का भय भी दूर होता है. इस दिन भगवान शिव प्रसन्न मुद्रा में होते हैं. वहीं, कुछ मनाही भी होती है. इसी में से एक है रोटी पर बैन. नागपंचमी पर घर में रोटी बनाने पर मनाही होती है. तो आइये जानते हैं इसके पीछे की वजह?.
यह है मान्यता
हिंदू धर्म में भोजन को भी धर्म से जोड़ कर देखा जाता है. अन्न ही ब्रह्म है. रसोई में मां अन्नपूर्णा का वास होता है. ऐसी मान्यताओं के तहत भोजन और त्योहारों से जुड़े कुछ खास नियम होते हैं, जिनका सभी को पालन करना चाहिए. नागपंचमी पर भी घर में रोटी नहीं बनती है, नाग पंचमी पर तवे में खाना नहीं पकाना चाहिए. रोटी बनाने के लिए जिस लोहे के तवे का इस्तेमाल किया जाता है उसे नाग का फन माना जाता है. तवे को नाग के फन का प्रतिरूप माना गया है. इसलिए नागपंचमी के दिन आग पर तवा नहीं रखा जाता है.
ये भी वर्जित
इस दिन नाग की पूजा का विधान है. इनकी पूजा से राहु-केतु जनित दोष और कालसर्प दोष से मुक्ति मिलती है. इसलिए इस दिन कुछ और काम वर्जित हैं. जैसे- किसी भी काम के लिए जमीन की खुदाई न करें. इस दिन सिलाई, कढ़ाई नहीं करनी चहिए, दिवाली के दिन भी रोटी नहीं बनानी चाहिए. ज्योतिषीय मान्यताओं के हिसाब से भी मां लक्ष्मी के त्योहारों में विशेष पकवान बनाने की परंपरा है. यही वजह है कि आज भी अधिकांश घरों में इन त्योहारों पर रोटी की जगह पूड़ी बनाई जाती है.
इन दिनों भी नहीं बनती रोटी
नाग पंचमी के अलावा शीतला अष्टमी के दिन भी घर पर रोटी या कोई पकवान नहीं बनाया जाता है. बल्कि इस दिन बासी भोजन का सेवन किया जाता है. कई धार्मिक मान्यताओं के अनुसार मकर संक्रांति, शरद पूर्णिमा और दीवाली के दिन भी रोटी नहीं बनाई जाती है. हालांकि, अलग-अलग समुदाय अलग-अलग धार्मिक मान्यताओं पर विश्वास करते हैं और उन्हें मानते हैं.
डिस्क्लेमर: पौराणिक पात्रों की यह कहानी धार्मिक मान्यताओं और ग्रंथों में किए गए उल्लेख पर आधारित है. जी यूपीयूके हूबहू समान होने का दावा या पुष्टि नहीं करता.