उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश समेत कई राज्यों में विधानसभा उपचुनाव हो रहे हैं. इसको लेकर चुनाव आचार संहिता भी लागू है, लेकिन इसका असर सोने-चांदी के आभूषण का कारोबार करने वाले कारोबारियों पर पड़ रहा है. ज्वेलरी कारोबारियों का कहना है कि वो हॉलमार्किंग या अन्य कार्यों को लेकर भारी मात्रा में गहने लेकर भी नहीं जा पा रहे हैं.


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यूपी नगर निकाय चुनाव की घोषणा विधानसभा सत्र के बाद! चुनाव आचार संहिता के चलते अड़ंगा


आचार संहिता को लेकर 50 हजार से ज्यादा नकद लेकर आने-जाने पर रोक है. गुजरात विधानसभा चुनाव हो रहा है और वहां इसका असर हीरे, कपड़े के व्यापार पर भी देखने को मिल रहा है. यूपी में उपचुनाव खत्म होते ही नगर निकाय चुनाव की अधिसूचना जारी होने वाली है, ऐसे में एक महीने और प्रतिबंध कायम रह सकता है. 


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कारोबारियों का कहना है कि ज्वेलरी बिजनेस का 75 फीसदी से ज्यादा काम शादी ब्याह के सीजन में होता है. ऐसे में सिर्फ 50 हजार रुपये की रकम की पाबंदी के कारण दिक्कतें होती हैं. वहीं बहुत सारे लोग ऐसे प्रतिबंधों को लेकर अंजान होने के कारण भी मुश्किलों में फंस जाते हैं. जिन्हें पता भी है, उन्हें यह जानकारी नहीं होती है कि किसे ये सूचना देनी है. 


गांव-कस्बों के लोग शहरों में जब सहालग के मौसम में कपड़ा, ज्वेलरी या अन्य सामान खरीदने आते हैं तो नकदी ही लेकर आते हैं. रास्ते में चेकिंग के दौरान नकदी मिलने पर वो मुसीबत में फंस जाते हैं. बैंक अकाउंट से ट्रांजैक्शन का भी वो हिसाब नहीं दे पाते.  


कई बार मैरिज हॉल, गेस्ट हाउस, बैंक्वेट हॉल या वैवाहिक आयोजन के स्थलों पर भी कैश ले जाते वक्त लोग ऐसी मुश्किलों में फंस जाते हैं. दिल्ली बुलियन एंड ज्वेलरी एसोसिएशन के प्रमुख योगेश सिंघल का कहना है कि चुनाव में कालेधन के इस्तेमाल को रोकने के लिए कैश की लिमिट तो ठीक है, लेकिन इसकी व्यावहारिक व्यवस्था होनी चाहिए. इसकी सीमा भी बढ़ाई जानी चाहिए.


ये दस्तावेज जरूरी


1. पहचान पत्र : नकद लेकर जा रहे शख्स के पास उसका कोई पहचान पत् (आधार वगैरा) और नकद लेनदेन से संबंधित दस्तावेज. 
2. नकद निकासी का बिल : अगर आपने एटीएम या बैंक से कैश निकाला है तो कैश विदड्रॉल बिल भी साथ जरूर रखें.ताकि कैश का स्रोत पता चले.
3. रिसीवर का भी प्रूफ  : नकद धनराशि किसको भेजी गई है, उसके कागज भी आपसे मांगें जा सकते हैं.


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