लखनऊ : उत्तर प्रदेश में निकाय चुनाव के पहले चरण का मतदान 4 मई को होना है. सभी दल और उनके प्रत्याशियों ने वोटरों को आकर्षित करने के लिए अपनी पूरी ताकत झोंक दी है. उधर वोटिंग से पहले चुनाव में बुर्के की एंट्री हो गई है. जी हां. बीजेपी ने राज्य निर्वाचन आयोग से मांग की है कि पर्दानशीं यानी बुर्के वाली महिलाओं की पहचान तय होने के बाद ही वोटिंग करने दिया जाए. बीजेपी का तर्क है कि इससे फर्जी मतदान की आशंका नहीं रहेगी. बीजेपी ने हर पोलिंग बूथ में महिला कर्मचारियों और पुलिस कर्मी तैनात करने की मांग भी की है, जिससे बुर्के में आने वाली महिलाओं का चेहरा देखकर पहचान तय की जा सके.


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पहले भी हो चुका है बवाल
2019 में लोकसभा चुनाव के दौरान मुज्जफरनगर लोकसभा क्षेत्र में बुर्के में आई महिलाओं द्वारा फर्जी मतदान किए जाने का आरोप लगा था. हालांकि निर्वाचन अधिकारी ने जांच के बाद ऐसे आरोपों को निराधार बताया था. 2022 में विधानसभा चुनाव के दौरान रामपुर में फर्जी वोटिंग करते हुए दो महिलाएं पकड़ी गईं थी. ये महिलाएं बुर्का पहनकर वोटिंग कर रहीं थी. पिछले विधानसभा चुनाव के दौरान भी बीजेपी नेताओं द्वारा पर्दानशीं महिलाओं की पहचान तय होने के बाद ही वोटिंग की इजाजत दिए जाने की मांग की गई थी. 4 मई को यूपी के 37 जनपदों में अलग-अलग निकायों के लिए चुनाव होना है. इसके लिए पुलिस और स्थानीय प्रशासन द्वारा सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए हैं.


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फर्जी वोटिंग में सजा का प्रावधान
यदि कोई भी वोटर दूसरे के नाम से वोटिंग करता है तो उसके खिलाफ भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 171 डी के तहत मुकदमा दर्ज किया जाता है. आरोप साबित होने पर उसे एक साल की जेल या जुर्माना या दोनों हो सकती हैं. बहरहाल चुनाव जैसे लोकतंत्र के महान पर्व को ईमानदारी से संपन्न करने के लिए निर्वाचन आयोग को अवश्य ही इस मामले में संज्ञान लेना होगा.


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