प्रमोद कुमार/कुशीनगर : यूपी में नगर निकाय चुनाव के पहले चरण की नामांकन प्रक्रिया खत्‍म हो चुकी है. इसके बाद प्रत्‍याशी अपने दावों और वादों के साथ जनता के बीच जा रहे हैं. लोकसभा चुनाव से पहले हो रहे निकाय चुनाव को 2024 का सेमीफाइल माना जा रहा है. कुशीनगर जिले में इस बार नगर निकाय का चुनाव इस लिए भी खास है क्योंकि इस बार नवसृजित 6 नगर पंचायत जिले में नए सियासी समीकरण खड़ा कर सकते हैं.  


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जातीय समीकरण समझें 
कुशीनगर जिले में नवसृजित 6 नगर पंचायतों में से एक सुकरौली नगर पंचायत भी है, जो 8 ग्राम सभाओं को जोड़ कर बना है. इस नगर पंचायत में कुल वोटर 21034 हैं, जबकि जातीय समीकरण की बात करें तो सामान्य 2541, अनुसूचित जाति 3231, अनुसूचित जनजाति 161 वहीं, पिछड़ा वर्ग की संख्या 15101 है जो सबसे अधिक है. इस वजह से नवसृजित नगर पंचायत सुकरौली को पिछड़ा वर्ग की सीट घोषित कर नए सियासी समीकरण खड़ा किया गया है. 


पुराने नेता निर्दल मैदान में उतरे 
इस वजह से इस बार राजनीति पार्टियों ने भी नए चेहरे पर दांव खेला है. इसमें भाजपा ने वरुण जायसवाल तो सपा ने सरिता सिंह पर दांव लगाया है. यह दांव एक मुसीबत भी बना हुआ है यूं कहे तो सिरदर्द. कारण इन पार्टियों के नेता दो खेमे में बंट गए हैं. कई वर्षों से भाजपा और सपा से जुड़कर अपनी सेवा देने वाले नेता निर्दल मैदान में उतर चुके हैं, जो सियासी समीकरण को बदल रहे हैं. भले ही भाजपा नए उमीदवार वरुण जायसवाल जीत के दावे करें पर यह लड़ाई आसान नहीं. 


नए चेहरे मैदान में उतारे 
इस बार कुशीनगर जिले में टिकट बंटवारे और नए चहेरे मैदान में उतारे जाने से सियासी समीकरण खड़ा करने के साथ विभिन्न राजनीतिक दल इस उथल पुथल को ठीक करने के लिए हर तरह से कोशिश कर किसी भी तरह जीत हासिल करने को लेकर कोई कोर कसर नहीं छोड़ना चाहते हैं. चाहे भाजपा से नाराज नेता अशोक कुमार हो जो 45 सालों से सेवा देने के बावजूद टिकट न देने और उनके द्वारा गंभीर आरोप लगाया जाना सियासी पारा चढ़ा रहा है. 


टिकट न मिलने पर बगावत के सुर 
भाजपा से टिकट की दावेदारी करने और टिकट न मिलने से नाराज नेताओं को बगावत कर निर्दल मैदान में उतरना नगर निकाय चुनाव के समीकरण को बदलता दिख रहा है. अब नाराज नेताओं को मनाने और भाजपा को जीत दिलवाने के लिए पार्टी हर संभव मेहनत कर जीत हासिल करना चाहती है. इसके लिए खुद कुशीनगर सांसद विजय दुबे और हाटा विधानसभा के विधायक मोहन वर्मा भी मैदान में उतर चुके हैं. कुशीनगर में नए बने 10 नगर पंचायत और 3 नगरपालिका में जीत हासिल करना बड़ी चुनौती है. भले ही कुशीनगर सांसद नाराज नेताओं को घर वापसी करवाने को लेकर प्रयास किए जाने का दावा करे, लेकिन यह राह इतनी भी आसान नहीं. 


भाजपा नेता दो खेमे में बंटा 
भाजपा में तो नेताओं का दो खेमा हो चुका है, लेकिन कुछ यही हाल सपा का भी है. वर्षों से सपा में सेवा देने वाले राजनेत कश्यप तो पूर्व राज्य मंत्री राधेश्याम सिंह पर बेहद गंभीर आरोप लगाते हुए टिकट कटवाने का आरोप लगा है तो दूसरी तरफ जीत के दावे भी कर रहे हैं. सुकरौली नगर पंचायत की जनता किसके साथ खड़ी है यह कह पाना शायद आसान नहीं लेकिन जनता निर्दल उमीदवारों को पसंद कर रही है जो सियासी समीकरण को बदलने के साथ भाजपा और सपा के जीत में एक बड़ा रोड़ा है. 


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