Nikay Chunav 2023 :निकाय चुनाव में गर्मी और महंगाई की मार, व्हाट्सएप-फेसबुक पर धुआंधार प्रचार
UP Nagar Nikay Chunav 2023 : उत्तर प्रदेश नगर निकाय चुनाव में चुनाव प्रचार का बुखार सड़क पर भले ही न दिखाई दे रहा हो, लेकिन सोशस मीडिया पर धमाकेदार तरीके से कंपेन हो रहा है. चुनाव की आदर्श आचार संहिता की उड़ रही धज्जियां.
UP Nagar Nikay Chunav 2023 : नगर निकाय चुनाव को लेकर गर्मी और महंगाई की मार साफ तौर पर दिखाई दे रही है. नगर निगम, नगरपालिका और नगर पंचायत चुनाव में एक ओर तो उम्मीदवारों को 40-42 डिग्री सेल्सियस की भयंकर गर्मी में चुनाव प्रचार करना पड़ रहा है. दूसरी ओर पोस्टर-बैनर और महंगी होर्डिंग का खर्च भी उन पर भारी पड़ रहा है. ऐसे में व्हाट्सएप ग्रुप और फेसबुक के सहारे ही धुआंधार चुनाव प्रचार चल रहा है. खासकर नगर पालिका सभासद और नगर पंचायत सदस्य यही तरकीब आजमा रहे हैं.
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एक व्हाट्सएप ग्रुप से 1024 सदस्य जुड़ सकते हैं. ऐसे में वार्ड वार ग्रुप बनाकर भी लोगों तक अपनी बात पहुंचा रहे हैं. सोशल मीडिया कंपेन की कंसल्टेंसी चलाने वाले श्रीप्रकाश का कहना है कि नगर निगम के प्रत्याशियों के अलावा ग्रामीण क्षेत्रों में नगरपालिका और नगर पंचायतों के प्रत्याशी भी सोशल मीडिया प्रचार की जिम्मेदारी संभालने वाले एक्सपर्ट के चक्कर लगा रहे हैं. सोशल मीडिया चुनाव खर्च पर खर्च भी एक माह के दौरान 10 हजार से एक लाख तक चुनाव खर्च बताया जा रहा है. ये पैकेज पर डिपेंड करता है.
वहीं नगरपालिका चुनाव प्रत्याशी संदीप पांडेय का कहना है कि महंगाई और गर्मी का असर वाजिब है. इतनी भयंकर गर्मी में दोपहर किसी के घर दरवाजा खटखटाना भी उचित नहीं लगता. कार्यकर्ताओं के हुजूम के साथ मोहल्लों में घूमना, जनसंपर्क के दौरान भी गर्मी झेलनी पड़ती है. लेकिन वोटरों में युवाओं की बड़ी तादाद को देखते हुए सोशल मीडिया बड़ा हथियार है. लोकसभा चुनाव, विधानसभा चुनाव हो या नगर पंचायत सदस्य का सबसे छोटा चुनाव हो, इसकी अहमियत की अनदेखी नहीं की जा सकती.
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मालूम हो कि उत्तर प्रदेश में 17 नगर निगम, 199 नगर पालिका और 544 नगर पंचायतों मे चुनाव कराया जा रहा है. नगर निगम के पार्षद औऱ नगरपालिका के सभासद और नगर पंचायतों के सदस्यों का भी निर्वाचन हो रहा है. चुनाव में महापौर, नगरपालिका चेयरमैन, नगर पंचायत अध्यक्ष और सदस्यों के लिए अलग-अलग चुनाव प्रचार खर्च भी निर्धारित है. चुनाव आचार संहिता का पालन भी प्रत्याशियों को करना है और चुनाव आयोग इस पर पैनी नजर रखे हुए है.
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